Friday, April 19, 2024
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सोनभद्र में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के मद्देनजर दो धड़ो में बंटा दिखा भाजपा खेमा

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जन विश्वास यात्रा में भाग लेने आ रहे सूबे के मुखिया के सभास्थल व रैली की सफलता के लिए की जा रही तैयारियों के अंतिम दिन भाजपा संगठन के पदाधिकारियों व वरिष्ठ नेताओं के बीच की आपसी खींचतान अब सतह पर आ गयी है जो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के तैयारी में साफ देखी जा सकती है।

सोनभद्र। विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों को धार देने तथा कार्यकर्ताओं में जोश भरने के उद्देश्य से भाजपा द्वारा जन विश्वास यात्रा निकाली जा रही है।इसी कड़ी में 22 दिसम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सोनभद्र में आगमन हो रहा है जिसमें वह एक सभा को भी संबोधित करेंगे।इस सभा को ऐतिहासिक बनाने के लिए प्रदेश भर से भाजपा के दिग्गजों का जमावड़ा हो रहा है।सभा का एक उद्देश्य तो यह है कि भाजपा अपने पांच साल के कार्यकाल में कराए गए कार्यों व भविष्य की अपनी योजनाओं से जनता को आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी तरफ खींच सके और उक्त सभा का एक दूसरा उद्देश्य भी है जिसमें भाजपा इस यात्रा के बहाने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के विजय रथ यात्रा में उमड़ते जन सैलाब का जबाब भी देना चाहती है ।

यही वजह है कि भजपा नेतृत्व उक्त यात्रा को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है वहीँ सोनभद्र में संगठन के लोगों की आपसी खींचतान भाजपा नेतृत्व के उद्देश्यों पर पानी फेर सकता है। भाजपा के इस जन विश्वास यात्रा की तैयारियों में लगे संगठन के पदाधिकारियों के आपसी खींचतान का असर दूरगामी होगा। लंबे समय से सत्ता की मलाई खा रहे भाजपा संगठन के लोगों व सत्ता की मलाई से मरहूम पदाधिकारियों के आपसी मनमुटाव अब सतह पर दिखने लगा है।कैडर बेस कार्यकर्ताओं का दम्भ भरने वाली पार्टी का भरम भी अब टूटने लगा है।अब कार्यकर्ताओं व संगठन से जुड़े उच्च पदाधिकारियों व उनके इर्द गिर्द घूमने वाले चापलूसों द्वारा सत्ता के सुख का आनंद लेने व कैडर बेस कार्यकर्ताओं के लिए छद्म ईमानदारी का प्रदर्शन अब भाजपा के लिए भारी पड़ने लगा है।

भाजपा संगठन के लोगों के इर्द गिर्द जमा चापलूसों की भीड़ व जनप्रतिनिधियों के इस छद्म ईमानदारी से आहत भाजपा के परम्परागत कार्यकर्ताओं की नाराजगी की कीमत आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।आने वाले समय मे भाजपा को इसका समाधान भी ढूढना पड़ेगा।अब देखना होगा कि सूबे के मुखिया इन असहाय खुद को ठगा महसूस करने के कारण टूट चुके मनोबल वाले कार्यकर्ताओं में जोश भर पाने में कितना सक्षम हो पाते हैं ?फिहलाल इन सारे सवालों के जबाब तो आने वाले समय मे ही मिल पाएंगे।

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