ओबरा व दुद्धी क्षेत्र में हैं खदानें सप्ताह भर में जियो मैपिंग कर
भेजनी है रिपोर्ट ।।
एंडालुसाइट : सिलीमैनाइट अनुमिनी सिलिकेट खनिज है । इसका नाम अमेरिका के रसायन शास्त्री बेंजामिन सिलीमैन के नाम पर रखा गया है ।
केंद्रीय खनन मंत्रालय के पत्र के बाद सोनभद्र प्रशासन सक्रिय , दोनों महत्वपूर्ण खननिजो के ब्लाक की जियो टैगिंग हेतु टीम हुई गठित
सोनभद्र । सोनांचल के धरती खनिज संपदाओं से भरी पड़ी है । अभी कुछ दिनों पूर्व सोनभद्र की धरती पर सैकड़ों टन सोने के भंडार पाए जाने की खबर समाचार पत्रों में छपने पर सोनभद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख़बरों की सुर्खियों में आया था परन्तु तत्कालीन समय पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त भंडारण मात्रा पर संदेह व्यक्त करने के कारण उक्त खबर पर विराम लग गया था।सोने व एंडालुसाइड को लेकर चल रहे कयासों पर खनन मंत्रालय नई दिल्ली के पत्र के बाद एक बार फिर से सोनभद्र की धरती की कोख में सोने के भंडार होने की पुष्टि हो गयी है। केंद्रीय खनन मंत्रालय ने जनपद के स्वर्ण व एंडालुसाइड खदान में खनन करने हेतु माइनिंग साइड के ब्लॉक निर्धारण हेतु भूमि को चिन्हित करने व उसकी जीओ मैपिंग कराने का निर्देश दिया है । मंत्रालय से पत्र आने के बाद जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम बनाकर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया है । इसी क्रम में शनिवार को एसडीएम दुद्धी की अगुवाई में संयुक्त टीम ने डूमरा में चिन्हित खनन क्षेत्र का जीपीएस सीमांकन किया । दुद्धी के चक डूमरा गांव के भुइयां टोला में शनिवार को एंडालुसाइट खनिज के दो ब्लाकों का जीपीएस सीमांकन किया गया । वन भूमि , निजी भूमि तथा सरकारी भूमि का विवरण तैयार करने को टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया गया । जिलाधिकारी ने बताया कि जिले के तीन ब्लाक जिसमे एक ब्लॉक में सोना व दो ब्लॉक एंडालुसाइट के लिए नीलामी प्रक्रिया के लिए उपलब्ध हैं । इसके लिए ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप का गठन भी किया गया है । भूमि चयन के दौरान यह देखा जाएगा कि उक्त खनन ब्लॉक में वन भूमि , राजस्व भूमि व निजी भूमि कितनी है । इसके लिए टीम को एक सप्ताह का समय दिया गया है । टीम में डीएफओ रेणुकूट , डीएफओ ओबरा , एसडीएम दुद्धी , एसडीएम ओबरा व खान अधिकारी हैं । रिपोर्ट मिलने के बाद इसकी जानकारी खनन निदेशालय को उपलब्ध कराई जाएगी ।
एंडालुसाइट : सिलीमैनाइट अनुमिनी सिलिकेट खनिज है । इसका नाम अमेरिका के रसायन शास्त्री बेंजामिन सिलीमैन के नाम पर रखा गया है । तापरोधक सामग्री के अतिरिक्त इसका उपयोग अन्य कार्यों में होता है । एंडालुसाइट का प्रयोग स्पार्क प्लग और पोर्सलेन बनाने में होता है । उप्र में यह मीरजापुर ,सोनभद्र समेत कई स्थानों पर मिलता है । जीएसआइ की टीम ने वर्ष 2005 से 2012 तक इस दिशा में काम किया था ।
सोने के भंडार की पुष्टि वर्ष 2012 में हुई थी , लेकिन लेकिन मात्रा को लेकर मंत्रालयों में सामन्जस्य नहीं होने के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था । इस दिशा में काम अब शुरू हो रहा है ।