सोनभद्र में मरीज भगवान भरोसे , स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर , शासन को हो रही फर्जी रिपोर्टिंग – सदस्य राज्य महिला आयोग
- राज्य महिला आयोग की सदस्य के सामने अधीक्षक ने खुद स्वीकार किया कि यहां दलालों की भरमार
- 100 बेड के मातृ- शिशु विंग और जिला अस्पताल में आयोग की की सदस्या ने पकड़ा बाहर से लिखी हुई पर्ची
- आयोग की सदस्य ने कहा कि मेरे पास कहने को शब्द नही
- आयोग की सदस्य ने फार्मासिस्टों की नियुक्ति व उनकी योग्यता पर भी उठाया सवाल
- आकांक्षी जनपद की मॉनिटरिंग खुद प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री करते हैं
जनपद सोनभद्र में वन स्टाफ सेंटर में कार्यरत महिलाओं ने महिला आयोग को पत्र देकर आरोप लगाया कि वन स्टाफ सेंटर के केंद्र प्रभारी ने उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर करने से रोक लगा दिया गया जिसमें यह बताया गया कि तुम लोगों की डिग्री फर्जी है। महिलाओं ने बताया कि डेढ़ वर्षों से सरकार का पैसा लिया गया जिसमें डिग्री फर्जी नहीं था नया प्रोबेशन अधिकारी आते ही वन स्टाफ सेंटर के प्रभारी द्वारा डिग्री को फर्जी साबित कर दिया जिला प्रोबेशन अधिकारी रह चुके राजेश खैरवार व सुधांशु शेखर शर्मा चार्ज पर थे तब तक सब कुछ ठीक था जब से दूसरे प्रोबेशन अधिकारी आए तब से हम लोग की डिग्री फर्जी हो गई बोला गया कि आप लोग अपने पद से इस्तीफा दे दीजिए अन्यथा की दशा में मै कार्रवाई कर दूंगा। जिस समय नियुक्ति हुई 4 लाख रु भी लिया गया था जिस मे बोला गया कि आप लोगो को कोई नही निकाल सकता है महिलाओं ने बताया कि जब से प्रोबेशन अधिकारी तब से हम लोगो का मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है और 5000 हजार महीने का डिमांड भी किया गया था जब हम लोगो ने मना कर दिया तो उपस्थित पंजीयन पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया गया। आरोप लगाने वाली महिला कर्मियों ने अपने आरोप के पक्ष में साक्ष्य के तौर पर कुछ का ऑडियो रिकॉर्डिंग भी आयोग की सदस्य को सौंपा।
सोनभद्र । 6 नवम्बर 24 । उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात ने सोनभद्र के जिला अस्पताल व पीपीपी मॉडल पर संचालित 100 बेड मातृ एवं शिशु विंग का किया निरीक्षण, दुर्व्यवस्था को देख रह गई दंग पहुंची तो वहां की व्यवस्था को देखकर दंग रह गयी । उल्लेखनीय हैं कि मोदी सरकार द्वारा 2018 में आकांक्षी जनपद कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी जिसका उद्देश्य था पिछड़े व सबसे कम विकसित जिलों को तेज़ी से विकसित कर प्रभावी ढंग से बदलना । जिसकी समीक्षा खुद प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री करते हैं।
लेकिन हद तो तब हो गई जब राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात जैसे ही पीपीपी मॉडल पर संचालित 100 बेड मातृ एवं शिशु विंग में पहुंची और चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा था । शौचालय देखकर सन्न रह गयी कि आखिर महिला डिलेवरी जैसे केस से जुड़ी मरीज आखिर कैसे इस शौच का इस्तेमाल करती होंगी। इसके बाद जब वे अधीक्षक के कार्यालय में पहुंची तो वहां खुद बीजेपी महिला अध्यक्ष व पत्रकारों ने समस्या गिनाना शुरू किया तो अधीक्षक की बोलती ही बन्द हो गयी । महिला आयोग की सदस्य के सामने अधीक्षक ने खुद स्वीकार किया कि यहां दलालों की भरमार है। और कार्यवाही करने पर धमकी भी मिलती है। अधीक्षक ने नाम तो उजागर नहीं किया लेकिन बताया कि कई बड़े नेताओं का भी दबाव आता है।
इसके बाद आयोग की सदस्य के सामने एक मरीज का पर्चा आया तो अस्पताल व प्रशासन के दावे की पोल खुल गई , मरीज के पर्चे पर बाहर की दवा लिखी गयी थी और जिसके पीछे दवा की अनुपलब्धता बताया गया था हैरत तो सदस्य महोदया को तब हुई जब स्टॉक वेरिफिकेशन में दवा स्टॉक में मिली । लेकिन फार्मासिस्ट द्वारा बाहर से दवा लेने की बात मरीज से कही गयी थी। इस मामले के बाद अधीक्षक बगली झांकने लगे ।
जैसे-जैसे मामले सामने आ रहे थे आयोग की सदस्य का गुस्सा भी साफ नजर आ रहा था। निरीक्षण के दौरान अल्ट्रासाउंड का एक मामला भी सामने आया। जिसमें पिता ने बताया कि उसकी बेटी की तबियत खराब है और डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराने के लिए लिखा है लेकिन यहां एक महीने की डेट मिल गयी। कहा जा रहा है कि एक महीने बाद ही नम्बर आ सकेगा। आयोग की सदस्य द्वारा पूछने पर बताया गया कि अल्ट्रासाउंड करने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। प्राइवेट से डॉक्टर बुलाकर काम चलाया जा रहा है।
निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आया नीलम प्रभात ने कहा कि सोनभद्र की स्थिति देखने के बाद उनके पास कोई शब्द नहीं है। उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद खराब है और शासन को फर्जी रिपोर्टिंग हो रही है। आयोग की सदस्य ने फार्मासिस्टों की नियुक्ति व उनकी योग्यता पर भी सवाल उठाया । उन्होंने कहा कि ऐसे स्टाफों की नियुक्ति कैसे हो गयी समझ से परे है, जिन्हें कोई जानकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वे आयोग के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र के माध्यम से अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि उच्च स्तर से आदेश कराएंगी कि मरीज रेफर का मामला हो या पर्चे पर कारण सहित लिखे ।
बहरहाल निरीक्षण में सरकारी दावे की पोल खुलना कोई नया नहीं है, इसके पहले भी निरीक्षण के दौरान व्यवस्थाओं की पोल खुल चुकी है। ऐसे में जरूरत जेल व बर्खास्त जैसे कड़ी कार्यवा ही की ताकि वह अगले के लिए नजीर बन सके।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग की सदस्य नीलम प्रभात द्वारा लगभग 2 घंटे किए गए निरीक्षण के बाद कितनों पर कार्यवाही और कितनी व्यवस्था दुरुस्त होती है।