सोनभद्र।प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परासी दूबे के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि यहाँ तैनात फार्मासिस्ट जो वर्तमान में केंद्रीय औसधि भंडार कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से संबद्ध हैं, ने उस वक्त मेरे साथ बदसलूकी की व अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जब जिलाधिकारी के आदेश पर परासी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर रखी एक्सपायरी डेट की डी डी टी के बोरियों की जांच करने उच्चधिकारियों की टीम आयी हुई थी।प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि उक्त फार्मासिस्ट ने कहा कि एक बार यह जांच मैनेज हो जाय फिर हम तुम्हें देख लेंगे।यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि उक्त जांच में 34 बोरी डी डी टी एक्सपायरी डेट की पाई गई है।यहाँ यह सवाल भी अब उठने लगा है कि जब पूर्व के वर्षों में यदि पूरी डी डी टी का छिड़काव कर दिया गया था तो यह एक्सपायर डी डी टी किसकी है तथा यह सरकारी अस्पताल के गोदाम में कैसे पहुँची।खैर इस बात पर फिलहाल बाद में विचार किया जा सकता है क्योंकि अभी इस प्रकरण की जांच जिलाधिकारी के आदेश से चल रही है।परंतु प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा सी एम ओ को लिखे पत्र में फार्मासिस्ट पर जो आरोप लगाये गए हैं वह काफी गम्भीर हैं, क्योंकि फार्मासिस्ट द्वारा यह कहना कि “एक बार यह जांच मैनेज हो जाये”ही जाँच की निष्पक्षता पर एक बड़ा सवाल है।जांच से फार्मासिस्ट का इस प्रकार से तिलमिलाना ही इस बात का सबूत है कि सब कुछ ठीक नहीं है तथा अपने उच्चधिकारी से इस तरह बदसलूकी भी वह इसलिए कर पा रहा है कि शायद विभाग के किसी न किसी उच्चधिकारी का वरदहस्त भी उसके ऊपर बना है।यहाँ पर इस बात को भी बल मिलता है कि एक्सपायरी डेट की डी डी टी की जांच में जिस तरह से विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डाल रहे हैं ,उससे इतना तो तय है कि यदि जांच ठीक से हुई तो इसकी आँच कई रसूखदार लोगों तक पहुंच सकती है।फिलहाल स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों का अपने उच्चधिकारियों से बदसलूकी का यह कोई पहला मामला नहीं है अपितु इसके पुर्व भी मधुपुर व ककरही स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा कर्मियों द्वारा अपने प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से बदसलूकी की खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं, परन्तुअब तक किसी भी मामले में बड़ी कार्यवाही नहीं की गई है।सम्भवतः इसके पीछे यही कारण रहा है कि बदसलूकी करने वाले कर्मचारियों पर विभागीय उच्चाधिकारियों का वरदहस्त रहता है।बस बहुत हो हल्ला मचा तो इन वरदहस्त प्राप्त कर्मचारियों को इधर से उधर कर दिया जाता है।यही वजह है कि जिले के स्वास्थ्य महकमे के कुछ कर्मचारी अपने हिसाब से महकमे को चला रहे हैं।ऐसे में बस यही कहा जा सकता है कि जब स्वास्थ्य विभाग ही बीमार है तो इससे जिले के लोगों का इलाज की क्या अपेक्षा की जाय।