सावधान पत्रकारों के लिए खनन बेल्ट बन गया वर्जित ज़ोन
(समर सैम की ज़ीरो ग्राउण्ड़ रिपोर्ट)
सोनभद्र। समाचार की यह हेडलाइन्स कैंटोनमेंट एरिया के बोर्ड या फिर दीवारों पर लिखी कोई इबारत नहीं बल्कि सोनभद्र के खनन बेल्ट में अवैध खनन के खेल को छुपाने के लिए खनन माफियाओं के धमकियों की है। खनन माफियाओं द्वारा मीडिया कर्मियों को दी जाने वाली धमकी और मीडिया कवरेज को बलपूर्वक रोकने की आपराधिक मानसिकता पर लगाम लगाना नितांत आवश्यक है। अगर शीघ्र ही इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में खनन बेल्ट में मीडिया कर्मियों के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
बेबस मज़दूरों के लहू से सनी सोनभद्र की पत्थर खदानें एक ओर सोना उगल रही है तो वहीं दूसरी अवैध खनन की काली कमाई के बल पर खनन माफिया आग मूत रहे हैं।आपको बताते चलें कि कमलेश्वर प्रसाद एवं सरफराज अहमद के पत्थर खदान में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन के खेल की जानकारी धीरे धीरे आस पास के लोगों से होते हुए मुख्यालय के मीडिया दफ्तरों तक पहुंच गई। मीडिया की टीम जब उक्त खबर की जमीनी हकीकत जानने व समाचार संकलन के उद्देश्य से उक्त खदान पर पहुंची तो नज़ारा देखकर भौचक हो गई। कमलेश्वर प्रसाद की खदान में चारो दिशाओं में बेतरतीब अंधाधुन्ध अवैध खनन किया जा रहा था। देख कर मौके पर ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे लीज एरिया से बाहर अवैध खनन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा हो।
यहां आपको बताते चलें कि उक्त लीज धारक द्वारा कागज पर समाप्त हो चुकी मेसर्स दीपाली सेवा समिति के एरिया में भी अवैध खनन किया जा रहा था। एक ओर पीडब्ल्यूडी की सड़क तक अवैध खनन किया जा चुका है। पीडब्ल्यूडी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध खनन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ क्रेशर प्लांट के लीज एरिया में भी अवैध खनन किया जा रहा है। मौके पर लीज एरिया से हटकर चारो दिशाओं में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन का नज़ारा चीख़ चीखकर ज़िम्मेदार विभाग की संलिप्तता को उजागर कर रहा है। मीडिया कवरेज के समय खनन माफियाओं ने भाजपा के एक नेता का नाम लेकर धमकियां भी दी। कमलेश्वर प्रसाद की खदान में कवरेज के वक्त मीडिया को जबरन वीडियो ग्राफी और फोटोज के लिए बलपूर्वक रोका गया। यही नहीं अवैध खनन की वीडियोग्राफी करते वक्त मोबाईल पर हाथ मारा गया जिससे पत्रकार का मोबाइल ज़मीन पर गिरकर टूट गया।
सवाल उठ रहा कि आखिर किसकी शय पर खुलेआम खनन माफिया पत्रकारों से बदसलूकी करने से बाज नहीं आ रहे। सूबे में भारतीय जनता पार्टी सरकार की कमान ईमानदार एवं साफसुथरी छवि वाले योगी आदित्यनाथ के पास है और खनिज विभाग को भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पास ही रखा है। इसके बाद भी मनबढ़ खनन माफिया बेलगाम घोड़े की तरह अवैध खनन के घुड़दौड़ को किसकी शह पर सरपट दौड़ा रहे हैं ? आखिर बेलगाम इन खनन माफियाओं को किन सफ़ेद पोशों का संरक्षण हासिल है ? इनके दुस्साहस का आलम दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। अब तो खनन माफिया अवैध खनन के कुकृत्य को छिपाने के लिए किसी भी हद तक चले जा रहे हैं। खदान की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने पर मनबढ़ खनन माफिया हमलावर हो रहे हैं। यही नहीं मारपीट के साथ फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकियां भी देने से गुरेज़ नहीं करते। आखिर किसके शय पर ये खनन माफिया उग्र होकर संविधान के चौथे स्तम्भ पर हमलावर हो रहे हैं ?
कमलेश्वर प्रसाद के पत्थर खदान की लीज की आड़ में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन तो कोई एक रोज़ में हुआ नहीं होगा। ज़ाहिर सी बात है कि ये खुलाखेल फरुक्खाबादी लम्बे समय से अबाध गति से चल रहा है।इससे यह बात तो साफ है कि ज़िम्मेदार विभाग और सम्बंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर इतने व्यापक पैमाने पर अवैध खनन किया जाना असंभव है। इस पर क्या अब ज़ीरो टॉलरेंस की बात करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार शासन प्रशासन में ट्रांसपरेंसी लाने के लिए कठोर कार्रवाई को अमल में लायेगी? समय कि शिला पर खड़ी जनता सोंच रही है कि कानपुर में ब्राह्मण परिवार को बुलडोजर चलवाकर मौत के घाट उतार दिया गया तो क्या अब योगी आदित्यनाथ सरकार अवैध खनन से अर्जित संम्पत्तियों को भी बुलडोज़ करेगी। अंत में एक शेर बस बात खत्म, ज़ुल्म की टेनी कभी फलती नहीं। नाव कागज़ की कभी चलती नहीं।