आगरा । आगरा में कोल्ड स्टोरेज मालिक के बेटे सचिन चौहान अपहरण और हत्याकांड में गिरफ्तार हर्ष चौहान और सुमित आसवानी उसके अच्छे दोस्त थे। दोस्त इतना कैसे गिर सकते हैं। यह बात घरवालों को ही नहीं पुलिस को भी परेशान कर रही है। प्रारंभिक छानबीन में पता चला है कि विवाद की शुरूआत 40 लाख रुपये की उधारी से हुई थी। सुमित ने यह रकम लौटाने से इनकार कर दिया तो सुमित और हर्ष ने मिलकर वारदात का तानाबाना बुना।
एसटीएफ के अनुसार सुमित आसवानी बड़ा कारोबारी है। दयालबाग क्षेत्र की कालोनी तुलसी विहार में रहता है। दो साल पहले तक वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ चाइना में रहता था। वहां उसका गारमेंट का कारोबार था। उसका अमेरिका में भी गारमेंट का कारोबार है। चाइना में कोरोना का कहर शुरू हुआ तो वह भारत आ गया। दयालबाग में सौ फुटा मार्ग पर उसने सीबीजेड नाम से स्पोर्टस क्लब खोला। वहां हर्ष और सचिन स्नूकर खेलने आया करते थे। धीरे-धीरे तीनों में गहरी दोस्ती हो गई। सचिन और हर्ष दोनों अच्छे दोस्त थे। एक साथ ठेकेदारी कर रहे थे।
हर्ष चौहान के कहने पर सुमित आसवानी ने धीरे-धीरे करके सचिन को 40 लाख रुपये उधार दे दिए। जब उधारी चुकाने की बारी आए तो सचिन आनाकानी करने लगा। यह बात सुमित आसवानी को नागवार गुजरी। उसने हर्ष चौहान को भलाबुरा करना शुरू कर दिया। उस पर अपनी उधारी दिलाने का दवाब बनाया। हर्ष के कहने पर भी सुमित ने उधारी की रकम नहीं लौटाई। यह देख सुमित आसवानी ने हर्ष से कहा कि अब जैसा वह कहेगा वैसा करना। इसके बदले में उसे भी एक करोड़ रुपये मिल जाएंगे। रुपयों के लालच में हर्ष चौहान उसकी बातों में आ गया।
दोनों ने मिलकर सचिन चौहान के अपहरण की योजना बनाई। तय किया कि उसके पिता से दो करोड़ रुपये की फिरौती वसूलेंगे। 21 जून को सुमित ने फोन करके सचिन से कहा कि मस्त पार्टी का इंतजाम किया है। रशियन लड़कियां भी बुलाई हैं। चुपचाप आ जाए। सचिन उसके जाल में फंस गया। घर पर बिना बताए पैदल निकल लिया। सुमित, हर्ष और उनके साथी पहले केंद्रीय हिन्दीं संस्थान पर आए। यहां एक दुकान से शराब खरीदी।
उसके बाद दयालबाग के गांव खासपुर में एक बंद पड़े पानी के प्लांट में पहुंचे। वहां सभी ने मिलकर सचिन चौहान को मार डाला। बाद में हैप्पी खन्ना, रिंकू और मनोज की मदद से शव को बल्केश्वर घाट पर ले गए। शव का दाह संस्कार कैसे करना है यह योजना भी सुमित ने बनाई थी। ताकि पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिले। शव को एक मारुति वैन से ले जाया गया था। उसे रिंकू लेकर आया था ।
पर्ची पर लिखा दिया जीजा का नंबर
अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो कोई न कोई गलती जरूर करता है। ऐसा ही इस मामले में हुआ। हत्यारोपियों ने अंतिम संस्कार के लिए क्षेत्र बजाजा कमेटी की दुकान से सामान लिया। पर्ची पर मृतक का नाम राजू वर्मा पता 12 ए सरयू विहार, कमला नगर लिखाया। पहले जो मोबाइल नंबर बताया वह गलती से एक हत्यारेापी ने अपने जीजा का नंबर लिखा दिया। उसे लगा कि यह गलती हो गई। उन्होंने उस नंबर को कटवाया। बाद में एक फर्जी नंबर लिखवाया। घटना के खुलासे के बाद पुलिस ने सरयू विहार के पते पर पहुंची। जानकारी हुई कि वहां राजू वर्मा नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है। किसी का कोराना से देहांत भी नहीं हुआ था। यह छानबीन साक्ष्य संकलन के लिए की गई। ताकि आरोपियों के खिलाफ हत्या, अपहरण के अलावा धोखाधड़ी की धाराओं में भी कार्रवाई की जा सके।
मोबाइल लेकर कानपुर गया मनोज
हत्याकांड में शामिल मनोज बंसल को साथियों ने सचिन चौहान का मोबाइल लेकर कानपुर की तरफ भेज दिया था। उससे कहा था कि किसी का भी फोन आए उठाना नहीं है। उसे सिर्फ इसलिए भेज रहे हैं ताकि पुलिस गुमराह हो जाए। पुलिस को लगे कि सचिन को अपहर्ता कानुपर की तरफ लेकर गए हैं। पुलिस इस दिशा में जांच करेगी। मनोज बंसल पैर से विकलांग है। उसने ऐसा ही किया। फोन लेकर चला गया। रात करीब पौने बारह बजे सचिन की मां अनीता चौधरी बेटे के घर नहीं लौटने पर परेशान थीं। लगतार बेटे का फोन मिला रही थीं। एक बार फोन उठा। मनोज ने फोन उठाया। उनसे कहा कि सचिन सो रहा है। उसने शराब पी रखी है। वह नोएडा आया हुआ है। परेशान मत हो। सुबह तक लौट आएगा। उसे फोन पर उनसे फिरौती की मांग भी करनी थी। वह हिम्मत नहीं जुटा पाया। फिरौती के लिए दो करोड़ की मांग नहीं कर पाया। इधर आगरा में घरवाले समझ नहीं पा रहे थे कि बेटा अचानक नोएडा कैसे चला गया। वह भी चप्पल पहनकर। सचिन घर से टीशर्ट और नेकर में निकला था।
घरवालों के साथ तलाश करा रहा था हत्यारोपी हर्ष
कोल्ड स्टोरेज स्वामी का पूरा परिवार परेशान था। न्यू आगरा थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। घरवाले समझ नहीं पा रहे थे कि बेटा आखिर कहां गया। क्या चल रहा है यह जानने के हत्यारेापी हर्ष चौहान साय की तरह सचिन चौहान के परिजनों के साथ रह रहा था। उसकी तलाश का ड्रामा कर रहा था। हर्ष के पिता लेखराज चौहान को भी नहीं पता था कि पूरा खेल उनके बेटे का है। उन्होंने ही इस मामले में एसटीएफ को लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से सिफारिश कराई थी।
सचिन के पिता सुरेश चौहान और हर्ष के पिता लेखराज चौहान के बीच चार दशक पुरानी दोस्ती है। बरहन के गांव रूपधनु में दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती है। दोनों एक साथ काम शुरू किया था। साझेदारी में एसएस आइस एंड को कोल्ड के नाम से शीतगृह शुरू किया। दोनों परिवार खुशी और गम एक साथ बांटा करते थे। किसी के घर कोई भी काम होता दूसरे का परिवार जी जान से जुटा रहता था। हर्ष उम्र में सचिन से दो साल छोटा था। दोनों एक साथ ठेकेदारी कर रहे थे। किसी को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि हर्ष भी इस आपराधिक साजिश का हिस्सा है।
वह साय की तरह सचिन के घरवालों के साथ रह रहा था। उसकी तलाश में घर वालों के साथ इधर-उधर भटक रहा था। मामला एसटीएफ तक पहुंच गया है यह जानकारी भी उसने ही हत्यारोपियों को दी थी। हत्यारोपी को भी सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि एसटीएफ सुराग लगा लेगी। वे बेनकाब हो जाएंगे। हत्यारोपी हर्ष चौहान के पिता लेखराज चौहान के एक रिश्तेदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में तैनात हैं। लेखराज ने उन्हें फोन किया था। बताया था कि पार्टनर का बेटा सुमित चौहान 21 जून से लापता है। कोई सुराग नहीं मिल रहा है। अनहोनी की आशंका उन्हें सता रही है।
इस मामले में गहराई से जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद मामला एसटीएफ के सुपुर्द किया गया था। एसटीएफ ने 23 जून से इस मामले में छानबीन शुरू की थी। एसटीएफ को भी हर्ष पर शक नहीं था। वह तो खुद एसटीएफ टीम को यह जानकारी दे रहा था कि सचिन कहां जा सकता है। किसके साथ उठता बैठता था। एसटीएफ से फोन करे भी यह जानकारी लेता था कि कोई लाइन मिली अथवा नहीं। एसटीएफ को जब उसका नंबर संदिग्ध लोगों की सूची में दिखा तो दूसरी तरीके से उस पर नजर रखना शुरू किया गया।
एक फोटो से उलझ गई न्यू आगरा पुलिस
सचिन चौहान के पिता सुरेश चौहान ने बताया कि वह 22 जून की रात न्यू आगरा थाने गए थे। पुलिस को बताया कि 25 वर्षीय बेटा लापता है। पुलिस ने तहरीर पर गुमशुदगी लिख ली। उनसे पूछा कि फिरौती का कोई फोन आया अथवा नहीं। उन्होंने इनकार कर दिया। सुरेश चौहान ने बताया कि थाना पुलिस ने इस मामले को हल्केपन से लिया। उन्होंने अपने स्तर से कालोनी में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले।
एक कैमरे में बेटा बाइक पर जाता दिखा। वह पीछे बैठा था। उसने हेलमेट पहन रखा था। यह जानकारी उन्होंने थाना पुलिस को दी। पुलिस ने उनसे कहा कि इसमें कहां दिख रहा है कि अपहरण हुआ है। उनका बेटा तो खुद अपनी मर्जी से बाइक पर बैठा नजर आ रहा है। थाना पुलिस यही मान रही थी कि यह मामला फिरौती के लिए अपहरण का नहीं है। एसटीएफ को इस मामले में नहीं लगाया जाता तो इस घटना का खुलासा इतना जल्दी संभव नहीं था। पुलिस फिरौती का फोन आने के बाद हरकत में आती।