लीडर विशेषसोनभद्र

शौचालय रह गए अधूरे,पैसा खर्च हो गए पूरे, जांच के बाद भी अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही

रामगढ़। केंद्र में जब से मोदी की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनी है तभी से गांवों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।इसी कड़ी में गांवों को स्वच्छ रखने के लिए गाँव में सरकार द्वारा शौचालय निर्माण पर विशेष ध्यान देते हुए हर घर शौचालय बनाने का कार्य किया गया। परन्तु अन्य सरकारी योजनाओं की तरह सरकार की उक्त योजना में भी जिम्मेदार सरकारी अमले द्वारा जमकर लूट पाट मचाते हुए कागजी बाजीगरी का कमाल दिखाते हुए सोनभद्र के तमाम गांवों को ओ डी एफ़ अर्थात खुले में शौच मुक्त गांव तो घोषित कर दिया परन्तु उन गांवो की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

यहां आपको बताते चलें कि सोनभद्र के चतरा विकास खण्ड की ग्राम पंचायत सोढ़ा में गांव के कुछ लोगों ने तीन चार माह पूर्व उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर शौचालय निर्माण में की गई धांधली की जांच कर जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।उसके बाद कमेटी बनाकर जांच भी की गई।सूत्रों के मुताबिक जांच कमेटी ने जांच में यह पाया कि सैकड़ो की संख्या में शौचालय केवल कागजों पर पूर्ण दिखा कर उसका पैसा निकाल लिया गया है। गांव के लोगों का कहना है कि जांच कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट विभाग में पेश किये हुए दो माह से अधिक हो चुके हैं परन्तु कार्यवाही के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही चल रही है।

यहां आपको बताते चलें कि पंचायत विभाग में गांव के विकास के लिए आये धन के बंदरबांट की अक्सर शिकायतें ग्रामीणों द्वारा की जाती रही है और अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर उन शिकायतों को लटकाकर भ्र्ष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को बचाने की पुरानी परंपरा भी रही है।

पुर्व के प्रकरणों पर गौर करें तो यह बात उभर कर सामने आती है कि यदि गांव का कोई व्यक्ति भ्र्ष्टाचार की शिकायत करता भी है तो पहले तो जांच शुरू कराने के लिए उसे उच्चधिकारियों द्वारा अपने ऑफिस का इतना चक्कर लगवाया जाता है कि वह हिम्मत हार कर घर बैठ जाये।यदि इतने के बाद भी उक्त शिकायत कर्ता मैदान में डटा रह जाता है तो जांच तो कर ली जाती है पर कार्यवाही के नाम पर परिणाम शिफर ही रहता है।

सोढ़ा में शौचालय की जब जांच होने लगी तो वहां के ग्रामीणों ने अब यह आस लगा ली थी कि उनके शौचालय के लिए निकले धन की जो बंदरबांट की गई है अब उस धन से उनके लिए शौचालय बन जाएंगे ,पर धीरे धीरे उनकी यह आस भी मिटने लगी है।

यहां आपको यह भी बताते चलें कि उक्त सोढ़ा गांव की जमीनी सच्चाई जानने जब खबरनवीस गांव में गए तो शौचालय निर्माण के प्रति इस कार्य मे लगे जिम्मेदार लोगों की करतूत देख दंग रह गए।जो शौचालय नहीं बने वह तो एक बात है परन्तु जो निर्मित कराए गए उन्हें देख कर ऐसा लगता है कि जैसे इन्हें भी इस लिए बनवाया गया है ताकि इनकी सिर्फ गिनती की जा सके।बने अधिकांश शौचालय में अंदर कुछ लगा ही नहीं है अपितु निर्माण के नाम पर तीन तरफ से ईंट की दीवाल खड़ी कर छोड़ दी गयी है।चौथी तरफ कुछ में दरवाजे लगा दिए गए हैं तो अधिकांश बिना यूज के खंडहर बन गए हैं।

ग्रामीणों ने इन्हें यूज न करने के बाबत बातचीत के दौरान कहा कि जब इनके अंदर बैठने की कोई व्यवस्था की ही नहीं गई है तो इन्हें हम प्रयोग में कैसे लें।एक ग्रामीण ने तो बातचीत के दौरान बताया कि हम जब भी ग्राम प्रधान से कहते थे कि हमारे शौचालय में बैठने वाला समान तथा गड्ढा आदि बनवा दीजिये तो प्रधान कहते थे कि देहात में शौचालय की क्या जरूरत है ?जब जिम्मेदार लोगों का यह जबाब होगा तो ग्रामीण क्या करें ? अब जब जांच के बाद मामला सबके सामने आ चुका है फिर भी पिछले कई महीने से जांच रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही शुरू नहीं होने से जिम्मेदार अधिकारियों पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं। देखना होगा कि जांच के बाद जिन्न बाहर निकलता है अथवा कार्यवाही के लिए जिम्मेदार आल इज वेल की घंटी बजा देते हैं।

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