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शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान इस्तीफा दें , उनके रहते निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं- आइपीएफ


नीट परीक्षा धांधली पर पीएम मोदी मौन क्यों
● नीट परीक्षा तत्काल रद्द हो, नए सिरे से हो परीक्षा

लखनऊ । आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने नीट पेपर लीक व धांधली प्रकरण में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के इस्तीफा की मांग की है। आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी द्वारा प्रेस को जारी बयान में कहा गया है कि पेपर लीक, धांधली और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एन.टी.ए.) के स्तर पर अनियमितता के पर्याप्त सबूतों के बावजूद शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान इसे एक सिरे से खारिज करते आए हैं। जब से रिजल्ट निकला है तभी से छात्र 10 दिन पहले रिजल्ट घोषित करने, पेपर लीक होने, गलत ग्रेस मार्क दिए जाने जैसे तमाम गम्भीर आरोप लगा रहे हैं और इस परीक्षा को रद्द करने के लिए आंदोलनरत हैं।

सुप्रीम कोर्ट तक को कहना पड़ा है कि यदि 0.001 प्रतिशत भी गडबड़ी हुई तो कार्रवाई होगी। विपक्षी दलों द्वारा भी इसे लेकर आवाज उठाई गई। चौतरफा बन रहे दबाव के बाद अब शिक्षा मंत्री ने नीट परीक्षा में कुछ गड़बड़ी को स्वीकार किया है और इसकी वे नैतिक जिम्मेदारी लें रहे हैं। भविष्य में नीट परीक्षा में जीरो इरर के लिए आश्वस्त कर रहे हैं और इसके लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) में सुधार हेतु उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन करने की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री के पास इसका जवाब नहीं है कि पेपर लीक व धांधली के पर्याप्त सबूतों के बावजूद नीट परीक्षा रद्द करने से क्यों इंकार किया जा रहा है।

जबकि इसी तरह के पेपर लीक प्रकरण में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा ही आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द किया गया है। परीक्षा में शामिल लाखों छात्रों के हितों का हवाला देकर नीट परीक्षा रद्द करने से इंकार करना नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और शिक्षा माफियाओं का बचाव करना है। इसलिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के रहते निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं है और उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।

आइपीएफ ने देश में हुई इतनी बड़ी धांधली पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौन धारण करने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं उनका यह मौन दोषियों को बचाने की ही एक और राजनीतिक कोशिश तो नहीं है, जैसा वह गुजरात दंगों और मणिपुर में जारी आदिवासियों के नरसंहार जैसे तमाम मामलों में करते रहे हैं।

आइपीएफ ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनटीए के शीर्ष पर बैठे हुए लोग आरएसएस से जुड़े हुए हैं। दरअसल पूरी शिक्षा व्यवस्था को मोदी सरकार ने आरएसएस के लोगों के हवाले कर दिया है जो मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं।

यदि सरकार में थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो उसे तत्काल नीट की परीक्षा को रद्द कर पुनर्परीक्षा करानी चाहिए, इसमें लिप्त दोषी लोगों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, पूरी धांधली की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच करानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में पारदर्शी प्रवेश परीक्षाओं की गारंटी होगी।

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