उत्तर प्रदेशबलिया

शिक्षक को 26 साल से लम्बित वेतन ब्याज सहित देने का कोर्ट का आदेश

आधिकारियों की कार्यशैली से हैरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लेट लतीफी की वजह से सरकार को ब्याज के रूप में 88 लाख रुपये भुगतान कर ना पड़ेगा।

बलिया ।  28 सितम्बर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया के एक शिक्षक के मामले ने फैसला दिया है की वेतन का भुगतान एक सप्ताह के भीतर ब्याज सहित 1,25,92,090 रुपए का भुगतान करे अन्यथा की स्थिति में अवमानना के लिए तैयार रहें। आधिकारियों की कार्यशैली से हैरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लेटलतीफी की वजह से सरकार को ब्याज के रूप में 88 लाख रुपये भुगतान कर ना पड़ेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक लक्ष्मन प्रसाद कुशवाहा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

ऐसा करने से विफल रहने पर 30 सितंबर को अदालत में अवमानना की कार्यवाही के लिए हाजिर रहने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि याची की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में दो जुलाई 1994 में बलिया के जूनियर हाईस्कूल में हुई थी । तब से वह बिना वेतन के पढ़ा रहा था। 22 अप्रैल 2002 को याची की याचिका को स्वीकार करते हुए  बीएसए को नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया। साथ ही नौ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाये वेतन का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया था। लेकिन, तत्कालीन बीएसए ने आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारी लगातार टाल मटोल करते रहे। इसके बाद याची ने दुबारा 2009 में याचिका दाखिल की और उस पर भी मय ब्याज बकाये वेतन का भुगतान करने का आदेश हुआ। इसके बाद भी अधिकारियों ने भुगतान नहीं किया । 2009 अवमानना याचिका दाखिल की थी जो 14 साल बाद आज भी लम्बित है मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा विभाग से जवाबी हलफनामा मांगा था। आदेश के अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बलिया और बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त नियंत्रक ने  व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर बताया कि रिट कोर्ट के आदेश के अनुपालन के संदर्भ में बेसिक शिक्षा निदेशक को याची के बकाये 1,25,92,090/-रुपये स्वीकृत करने के लिए पत्र लिखा गया है। इसमें वेतन का बकाया और बकाया राशि पर ब्याज भी शामिल है। कोर्ट ने पाया कि निदेशक की स्वीकृति का अभाव में एक तरफ याची 14 साल से  कानूनी लड़ाई लड़ रहा है । यह सरकारी आधिकारियों की मनमानी का यह अकेला उदाहरण नहीं है। इस तरह के हजारों मामले कोर्ट में आज भी लंबित पड़े हैं। बहरहाल कोर्ट के इस फैसले को याची भगवान का फैसला मानते हुए हुए आभार प्रकट कर रहा है।

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