आदिवासियों को कैम्प लगाकर 4 माह पूर्व लगाई गई थी कोरोना वैक्सीन की पहली डोज परन्तु आज तक उन्हें नहीं लगी दूसरी डोज
सोनभद्र/डाला । कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार से लेकर जिले के अफसर भले ही आंकड़ों की बाजीगरी के चलते व्यवस्था को चाक चौबंद दिखा रहे हों परन्तु आज हम आपको जिस सच्चाई से रूबरू करवाने जा रहे हैं वह न सिर्फ जिला प्रशासन की इस महामारी के प्रति संजीदगी की पोल खोल देगी अपितु योगी सरकार को भी हैरान व परेशान कर सकती है । मामला जनपद सोनभद्र के आदिवासी समुदाय से जुड़ा हुआ है । चोपन ब्लाक का गुरमुरा इलाका काफी पिछड़ा व आदिवासी बाहुल्य माना जाता है ।शुरुआत में कोविड वैक्सीन को लेकर आदिवासी बेहद डरे व सहमे हुए थे । लेकिन काफी समझाने – बुझाने के बाद वह लोग वैक्सीन लगाने को तैयार हुए । जिसके बाद मार्च में कैम्प के माध्यम से गुरमुरा अस्पताल पर लगभग 900 की संख्या में आदिवासी लोगों का टीकाकरण कराया गया। परन्तु अब तक लगभग 4 माह गुजर जाने के बाद भी पहली डोज लग चुके लोगों को दूसरी डोज नहीं लगवाई गयी जबकि अधिकतम 90 दिन में ही दूसरी डोज लग जानी चाहिए।

गुरमुरा अस्पताल के फार्मासिस्ट ने बताया कि दूसरे कैम्प के लिए अभी कोई आदेश नहीं आया है , आते ही टीकाकरण करवाया जाएगा । पहले कैम्प लगे लगभग चार महीने से अधिक का समय बीत गया दूसरी डोज के लिए दोबारा गुरमुरा में कैम्प नहीं लगा । जिसका नतीजा यह रहा कि आज भी क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण दूसरी डोज के इंतजार में प्रशासन की राह देख रहे हैं।

स्वास्थ्य विधेसज्ञों की राय में तय समय सीमा में लगने वाले कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज यदि नहीं लगती तो दूसरी डोज का उतना असर नहीं रहता है जितना कि होना चाहिए। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा 0 रामकुंवर ने दूसरी डोज में हुई देरी पर स्वास्थ्य विभाग की पहले तो लापरवाही मानने को तैयार नहीं हैं । लेकिन उन्होंने बातचीत में यह जरूर माना कि इतने लंबे अंतराल के बाद पहले डोज का कोई मतलब नहीं रह गया ।

वहीं विपक्ष इतनी बड़ी लापरवाही के लिए सरकार व जनप्रतिनिधियों की सम्बेदनशीलत को ही दोषी ठहरा रहै है । सपा के पूर्व विधायक रमेश दुबे का कहना है कि सरकार केवल झूठी रिपोर्ट तैयार कर वाहवाही लूटने का काम कर रही है और लोगों की जिंदगी के साथ खेल रही है ।