सोनभद्र। पिछले दिनों सोसल मीडिया में एक कर्मचारी का पैसा गिनते हुए एक वीडियो खूब वायरल हो रहा था।मिली जानकारी के मुताबिक उक्त कर्मचारी सोनभद्र वन प्रभाग के पटना रेंज में कार्यरत है तथा उक्त कर्मचारी पर आरोप है कि वन विभाग की ज़मीनों को फर्जी कागजात के सहारे अनाधिकृत लोगों को वनाधिकार कानून की आड़ में पट्टा आवंटित कराने हेतु कुछ लोगों द्वारा दी गयी रकम का ऑफिस में ही बैठ कर मिलान कर रहे थे। उक्त मामले की जांच हेतु सोनभद्र वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी ने एक जांच टीम गठित कर जांच के आदेश जारी कर दिए हैं तथा उक्त आरोपी कर्मचारी को से भी स्पष्टीकरण जारी कर जबाब मांग लिया है। बातचीत के दौरान प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि जांच में यदि उन्हें दोषी पाया जाता है तो उनके विरुद्ध कठोर कानूनी व विभागीय कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
सवाल तो यही है कि वनों के अवैध कटान व अनधिकृत रूप से वन विभाग पर लगातार हो रहे कब्जों पर आखिर जिम्मेदार वन विभाग के कर्मचारियों की नजर क्यूँ नहीं पड़ती ? जबकि यदि कोई गरीब अपने परिवार का पेट पालने के लिए यदि कुछ पेड़ नही यदि जंगल मे झंखाड़ काट कर उसे ले जाते हुए मिल जाता है तो उस पर इतनी बड़ी बड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर देते हैं जैसे वह वन विभाग की बाउंड्री नहीं पाकिस्तान की सीमा से भारत की सीमा में प्रवेश कर गया हो और पता नहीं क्यूं इन वन विभाग की जिम्मेदार कर्मचारियों की नजर उन लोगों पर नहीं पड़ती जो लोग पूरा का पूरा वन विभाग की जमीन पर लगे दरख्तों को काटकर खेती योग्य जमीन बना डाली।

आखिर यह जांच टीम बनाकर जांच व दोषियों से स्पष्टीकरण मांग कर होने वाले विभागीय खेल से निजात कब मिलेगी ?लोग तो अब यह भी कहने लगे हैं कि जब वन विभाग नहीं था तो प्रदेश में वन था पर जबसे वनों की सुरक्षा के लिए वन विभाग बन गया तब से लगातार बन क्षेत्र में कमी देखी जा रही है।अब इसकी वजहों पर सरकार को सोचना पड़ेगा।
