धर्मसोनभद्र

राम मंदिर समिति की जमीन कब्जा करने का षडयंत्र हुआ विफल, सिविल कोर्ट ने जारी किया निषेधाज्ञा आदेश

ओबरा में राममंदिर तथा रामलीला मैदान की करोड़ों की ज़मीन को हड़पने को लेकर मचे घमासान का अदालत ने किया पटाक्षेप

ओबरा/सोनभद्र। आज स्थानीय पत्र प्रतिनिधियों के समक्ष श्रीरामचरित मानस मंदिर समिति के सचिव नीलकांत तिवारी तथा समिति के कुछ अन्य सदस्य व उनके अधिवक्ता संजीव कुमार चौबे ने अपनी बात रखते हुए बताया कि ओबरा स्थित राम मंदिर व रामलीला मैदान की जमीन पर स्थानीय कुछ व्यक्तियों द्वारा धोखाधड़ी करके उसकी ज़मीन को हड़पने की जो साजिश रची जा रही थी,माननीय अदालत ने उसका पटाक्षेप करते हुए हमारे आवेदन पत्र पर स्टे आर्डर दे, विपक्षियों को हमारी समिति के कार्यो में हस्तक्षेप करने से रोक दिया है।

  
यहाँ आप सब को बताते चलें कि जनपद सोनभद्र के नगर पंचायत ओबरा में बीच आबादी में तक़रीबन 7 बीघा ज़मीन जो राम मंदिर तथा रामलीला मैदान के नाम है। जिसे तीन तरफ से बाउंड्री वाल से श्री रामचरित मानस मंदिर समिति ने बाउंड्रीवाल से घेर दिया है। इसी ज़मीन के एक छोर पर राममंदिर और रामलीला का मंच भी बना हुआ है।बकौल श्री राम चरित मानस मंदिर समिति, कुछ लोगों ने उक्त जमीन पर अपना कब्जा जमाने के उद्देश्य से पुरानी समिति जो कि बहुत पहले से ही उक्त मन्दिर तथा उससे जुड़ी जमीन आदि के विकास व उसके रख रखाव का कार्य संपादित करती आ रही है, के नाम से मिलते जुलते नाम से एक नयी समिति के गठन हेतु चिट फण्ड सोसाइटी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया।सोसायटी रजिस्ट्रार ने उक्त सोसायटी को रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र निर्गत करने के पूर्व स्थानीय प्रशासन को पत्र लिख वर्तमान स्थिति की स्थलीय व अभिलेखों की जांच कर मालिकाना हक के बाबत जानकारी मांग ली।

रजिस्ट्रार सोसाइटी के पत्र के बाद उप जिलाधिकारी ओबरा ने जांच पड़ताल कर जो रिपोर्ट रजिस्ट्रार को प्रेषित की उसमें साफ साफ लिखा गया है कि उक्त जमीन राममंदिर व रामलीला मैदान के नाम से अभिलेखों में दर्ज है।वहीं मालिकाना हक के बाबत प्रशासन की रिपोर्ट स्पष्ठ न होकर गोल मोल होने के कारण एक बार फिर से जमीन हड़पने की नियत से वही अवांछनीय तत्व सक्रियता दिखाते हुए,चूंकि प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में त्रुटि वस इस विवादित ज़मीन को नगर पंचायत ओबरा की मिल्कियत बता दिया था,प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर नगर पंचायत को उक्त जमीन को अपने कब्जे में लेने के लिए प्रार्थना पत्र दे कार्यवाही किए जाने की मांग की। इस पर नगर पंचायत ओबरा दल बल के साथ उक्त विवादित ज़मीन पर कब्ज़ा करने पहुंच गया। कब्ज़ा करने गई नगर पंचायत की टीम को स्थानीय जनता के  भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। मंदिर से जुड़े लोगों ने कब्जे पर एतराज जताते हुए इसे मंदिर की भूमि बताया। फिलहाल उक्त विवाद को स्थानीय प्रशासन ने शांत करा दिया।

इस प्रकरण में श्री राम मंदिर ओबरा के सचिव नीलकांत तिवारी ने मीडिया को बताया कि ओबरा में 1962 में ही उक्त राम मंदिर  का निर्माण किया गया है तथा उसी समय से संचालित है राम लीला और लगभग उसी समय बनी मंदिर समिति द्वारा यहां धर्मशाला, मानस भवन एवं राम नाम बैंक का भी संचालन किया जा रहा है।  पूर्व में  वर्ष 1974 से मृत्यु पर्यन्त तक केशव चन्द्र तिवारी बतौर सचिव श्री राम चरित्र मानस मंदिर समिति का कार्यभार देखते रहे हैं। 1974 में ओबरा परियोजना के वरिष्ठ इंजीनियर मथुरा राय इसके  संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। कालांतर में सुदामा पाठक सहित कई गणमान्य नागरिक जन भी अध्यक्ष के पद पर विराजमान रह चुके हैं। वर्तमान में उक्त समिति के अध्यक्ष ईश्वरिय नारायण सिंह हैं जो कि पिछले कई वर्षो से अधिक समय से समिति को अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं। समिति की ग्राम बिल्ली मारकुंडी में आराजी संख्याव3048 गा रकबा 4 बीघा एवं आराजी संख्या 3048 क रकबा 2 बीघा 13 बिस्वा समिति की संपत्ति है। सचिव का दावा है कि राजस्व अभिलेखों में आराजी संख्या 3048 ग रकबा 4 बीघा रामलीला मैदान के नाम से व 3048 क रकबा 2 बीघा 13 बिस्वा मंदिर के नाम दर्ज है। जबकि प्रशासन ने नगर पंचायत ओबरा को इस विवादित भूमि पर मालिकाना हक होने की रिपोर्ट बता रहा है।

इस पर समिति के सदस्य एवं अधिवक्ता संजीव चौबे का कहना है कि कुछ लोग प्रशासन को गुमराह करके ऐसा कर रहे हैं जिससे कि उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति हो सके। उन्होंने आगे कहा कि पहले इन्हीं लोगों ने मंदिर समिति के नाम से मिलते जुलते नाम की समिति का पंजीकरण कराना चाहा। जब दाल नहीं गली तो तथाकथित लोगों ने मंदिर समिति पर अनियमितता का आरोप लगाने लगे। यहीं नहीं उन्होंने अर्जी देकर मंदिर की बेशकीमती भूमि को नगर पंचायत की मिल्कियत घोषित करा दिया। गलत रिपोर्ट लगाकर नगर पंचायत ओबरा के फेवर में भूमि घोषित कर दी गई। इस पर लिखा पढ़ी की जा रही है। साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ आवश्यकता पड़ने पर मुकदमा भी दर्ज कराकर विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। फ़िलहाल मंदिर से जुड़े लोगों ने स्थानीय जनता के सहयोग से भूमि कब्ज़ा करने आई नगर पंचायत के दल बल को  रोक दिया। नगर पंचायत ओबरा की टीम बिना कब्ज़ा किये बैरंग लौट गई। उसके बाद पूर्व में बनी श्री राम चरित्र मानस मंदिर समिति , राम मंदिर, बजरिये सचिव , नील कांत तिवारी द्वारा समिति एवम समिति की आराजी स0 3048 गा रकबा 4 बीघा व 3048 क: रकबा 2 बीघा 13 बिश्वा स्तिथ ग्राम बिल्ली मारकुंडी ओबरा सोनभद्र के संबंध में प्रतिवादिगण विशाल गुप्ता पुत्र स्व0 कर्मवीर गुप्ता ,आलोक भाटिया पुत्र स्व0 तिलकराज भाटिया व सी0बी0 राय पुत्र स्व0 जमुना राय निवासीगण राम मंदिर कॉलोनी ओबरा सोनभद्र के विरुद्ध न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीज़न सोनभद्र के समक्ष निषेधाज्ञा वाद प्रस्तुत किया गया, जिसपर माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनाँक 7/10/2024 द्वारा विपक्षीगण को वादी के समिति के कार्यो व मंदिर के पूजा पाठ, धर्मशाला व स्थलों पर धार्मिक आयोजनो में , दखल दखल में हस्तक्षेप न तो स्वम करे और न ही एजेंटों कारकुनों से कराने से मना किया गया है।

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