सोनभद्र। वह दौर दूसरा था अब यह दौर दूसरा है। पहले होटल और अस्पताल मानक को ताक पर रखकर लोग संचालन कर रहे थे बिना टर्म्स ऑफ कंडीशन के ही होटल एवं हॉस्पिटल काम करना शुरू कर देते थे पर अब वह ज़माना लद गया। अब सभी को कानूनन जरूरी सम्बंधित विभागों से एनओसी लेना अनिवार्य है। जिस भी विभाग का कर्मचारी एवं अधिकारी मानक को नज़र अंदाज़ कर एनओसी जारी करेगा उसकी अब तेरही हो जायेगी।
ऐसा हम नहीं योगी जी के कड़े तेवर खुद ब खुद बयान कर रहे हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए जिलाधिकारी सोनभद्र ने जांच टीम का गठन कर दिया है। रोबेर्टसगंज नगर में जांच टीम को अबतक एक भी अस्पताल और होटल मानक के अनुरूप नहीं मिले। सभी को एक नोटिस जारी कर जरूरी औपचारिक पूरी करने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। इसके बाद जांच टीम रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप देगी। फिर इसके बाद सोर्स एवं सिफारिश का दौर शुरू होगा। जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी। राजनीतिक पहुंच के जारिये जांच को ठंडे बस्ते में डालने की क्यावद की जायेगी। फिर कोई हादसा होगा। फिर जनधन की हानि होगी और फिर शासन प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागेगा। समय चक्र यूं ही रिपीट होता रहेगा।
बहरहाल दिनांक 11 सितम्बर 2022 को जांच टीम ने रोबेर्टसगंज में तकरीबन एक दर्जन होटल्स एवं अस्पतालों की सघन जांच किया। कहीं भी कोई अस्पताल एवं होटल्स कसौटी पर खरे नहीं उतरे। सब से खराब दुर्गति लोढी स्थित एक होटल की रही। जिसे नियम को ताक पर रखते हुए नक्शा प्रदान किया गया है। वहीं लोढी स्थित एक अस्पताल का नक्शा भी जारी नहीं हुआ है। सड़क पर ही दर्जनों वाहन पार्क किये जा रहे हैं। जिसे देखकर लगता है कि सड़कों पर संचालित हो रहा यह अवैध पार्किंग किसी दुर्घटना को दावत दे रही है। जबकि योगी आदित्यनाथ ने ऐसे अवैध पार्किंग के लिए गुंडा एक्ट एवं सम्पत्ति सीज़ करने का आदेश जारी किया है।
वहीं लोढी स्थित एक होटल को मानक को ताक पर रखकर फायर विभाग ने एनओसी जारी किया है। वहीं कुछ विभाग की एनओसी एक साल से लम्बित है।
होटल लेवाना अग्निकांड की जांच रिपोर्ट में उस होटल को एनओसी देने वाले अलग अलग विभागों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर सख्त कारवाई के आदेश जारी हो गयें हैं। इसमें चार गृह विभाग / अधिकारी अग्निशमन विभाग से हैं। तत्कालीन अग्निशमन अधिकारी सुशील यादव, सम्प्रति सेवानिवृत्त मुख्य अग्निशमन अधिकारी, अग्निशमन अधिकारी द्वितीय योगेंद्र प्रसाद, मुख्य अग्निशमन अधिकारी विजय कुमार सिंह हैं। उर्जा विभाग से सहायक निदेशक विद्युत सुरक्षा विजय कुमार राव, अवर अभियंता आशीष कुमार मिश्रा एवं उपखण्ड अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा सहित तीन लोगों पर गाज गिरी है।
नियुक्ति विभाग से तत्कालीन विहित अधिकारी लखनऊ विकास प्राधिकरण महेंद्र कुमार मिश्रा जैसे मजबूत पीसीएस ऑफिसर भी योगी के कोप से बच नहीं पाया।
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग लखनऊ विकास प्राधिकरण से सेवानिवृत्त तत्कालीन अधिशासी अभियंता अरुण कुमार सिंह, सेवानिवृत्त तत्कालीन अधिशासी अभियंता ओम प्रकाश मिश्रा, तत्कालीन सहायक अभियंता राकेश मोहन, तत्कालीन अवर अभियंता जितेंद्र नाथ दुबे, सेवानिवृत्त अवर अभियंता गणेश दत्त सिंह, तत्कालीन अवर अभियंता रविन्द्र कुमार श्रीवास्तव, तत्कालीन अवर अभियंता जयवीर सिंह एवं मेट लखनऊ विकास प्राधिकरण राम प्रताप सहित आठ लोगों को जांच में दोषी पाया गया।
वहीं आबकारी विभाग से तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी लखनऊ संतोष कुमार तिवारी, तत्कालीन आबकारी निरीक्षक सेक्टर-1 लखनऊ अमित कुमार श्रीवास्तव एवं उप आबकारी आयुक्त लखनऊ मंडल जैनेन्द्र उपाध्याय सहित तीन आबकारी अधिकारी जांच रिपोर्ट में फंस गये। जिससे साफ साफ योगी सरकार का अल्टीमेटम है कि अब जो भी जिम्मेदार विभाग नियम विपरीत एनओसी जारी करेगा उसकी असली जगह जेल होगी।
इस प्रकार दिनांक 5 सितम्बर 2022 को लखनऊ के हजरतगंज इलाके में आबाद होटल लियाना में लगी आग के सम्बंध में पुलिस आयुक्त/आयुक्त लखनऊ मंडल से जांच कराई गई। इसी जांच में कुल 19 अधिकारियों पर नियमानुसार कारवाई की संस्तुति की गई है। जांच में इन अधिकारियों को दोषी पाया गया है। इन्हीं अधिकारियों ने नियम को ताक पर रखकर एनओसी जारी की थी। इस जांच से एक बात साफ हो गई है कि अब योगी सरकार में जो अधिकारी नियम को नज़र अंदाज़ करके एनओसी जारी करेगा उसे सज़ा मिलना अब तय है। चाहे वह रिटायर्ड होकर पाताल में ही क्यों न छुप जाये। योगी सरकार ऐसे भ्र्ष्टाचारियों को कब्रिस्तान से भी खोदकर बाहर निकालकर उसके किये का दन्ड उसे देगी। अब भी सोनभद्र में जांच को लेकर होटल और हॉस्पिटल संचालक खिलौना समझ रहे हैं। कुछ संचालक् खुलेआम कह रहे हैं कि यह जांच सिर्फ खाने कमाने का धंधा है। खैर यह तो आने वाला समय बतायेगा की ऊंठ किस करवट बैठेगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवर बता रहे हैं कि तय मानक से विपरीत चल रहे अस्पतालों और होटलों पर चलेगा शासन प्रशासन का हंटर और अब एक भी मानक के विपरीत प्रतिष्ठान नज़र नहीं आयेंगे।