वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए जागरूकता विषय पर मलेरिया अधिकारी द्वारा किये जा रहे कार्यक्रम लोगों में बन रहे चर्चा के विषय
मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी उक्त जागरूकता विषयक किसी कार्यक्रम की कोई खबर नही
सोनभद्र। जब से उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान संभाली है तभी से वह लगातार स्वास्थ्य विभाग की सेहत पहले से कुछ बेहतर करने में जुटे हुए हैं और लगातार उनका दावा है कि स्थिति पहले से बेहतर हुई है,पर लगता है कि सोनभद्र में उनकी इस मेहनत का कोई असर नहीं है और यहां का मलेरिया विभाग उनकी बात से कोई इत्तेफाक नहीं रखता।यदि ऐसा नहीं होता तो बरसात का मौसम आने वाला है और यही वह मौसम है जब वेक्टर जनित बीमारियों के फैलने का खतरा सर्वाधिक होता है और शायद यही कारण है कि सरकार बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही उन क्षेत्रों में जहां इस तरह की बीमारियां अधिक होती हैं उन क्षेत्रों में वेक्टर जनित रोगों से बचाव विषयक जागरूकता कार्यक्रमों को चला कर इस तरह की बीमारियों के प्रभाव पर प्रभावी अंकुश लगाने का प्रयास करती हैं।परन्तु सोनभद्र का मलेरिया विभाग है कि सुधारने का नाम ही नहीं ले रहा इसका नजारा मलेरिया विभाग में लगातार देखने को मिल रहा है।
यहां आपको बताते चलें कि सोनभद्र का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी और जंगली है शायद यही कारण है कि सोनभद्र के कुछ हिस्सों में पूर्व के वर्षों में बरसात के मौसम व उसके तुरंत बाद ही वेक्टर जनित बीमारियों के फैलने से हुई लगातार मौतों ने शासन तक को हिला कर रख दिया था।पिछले कुछ वर्षों में सोनभद्र में वेक्टर जनित रोगों से हुई बीमारियों व मौतों पर नजर डालें तो सोनभद्र का म्योरपुर ब्लाक सबसे अधिक सम्बेदनशील इलाका है जहां बरसात के मौसम के बाद सर्वाधिक वेक्टर जनित बीमारी फैलने का खतरा रहता है और अब तक वेक्टर जनित बीमारियों से सर्वाधिक प्रभावित यही ब्लाक रहा है परन्तु कुम्भकर्णी नींद में सोया मलेरिया विभाग सोनभद्र के मुख्यालय के आस पास के कुछ स्कूलों व होटलों में या फिर सरकारी गेस्टहाउस के एसी कमरों में जागरूकता कार्यक्रम कराकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहा है।यहां यह बात भी गौरतलब है कि यदि वेक्टर जनित बीमारियों से बचाव के उपाय कुछ समाचार पत्रों में छप जाने भर से ही उस क्षेत्र में बचाव हो सकता है तो फिर यह तो राज्य की सरकार की तरफ से छपता ही रहता है फिर मलेरिया विभाग द्वारा क्षेत्र में जाकर कैम्प करना या फिर उस विशेष क्षेत्र में जाकर प्रभावित इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने का क्या फायदा ?
यहां आपको यह भी बताते चलें कि पिछले वर्ष म्योरपुर ब्लाक के कुछ गांवों में बरसात के मौसम के तुरंत बाद ही फैलने वाले वेक्टर जनित किसी रहस्यमयी बीमारी के कारण ही पूरे क्षेत्र को मौत के दहशत ने हिला कर रख दिया था और लगातार हुई दर्जनों मौतों के बाद शासन स्तर से आई स्वास्थ्य विभाग की एक्सपर्ट टीम ने यह निष्कर्ष निकाला था कि इस तरह की बीमारियों से बचाव के लिए क्षेत्र के लोगों में वेक्टर जनित बीमारियों के फैलने के कारणों के प्रति जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें इसके प्रति जागरूक करने से ही इस तरह की बीमारियों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है । परन्तु लगता है कि सोनभद्र का मलेरिया विभाग अभी तक अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है यदि ऐसा नहीं होता तो विभाग अपना जागरूकता अभियान प्रभावित क्षेत्रों में न चलाकर सीएमओ कार्यालय या फिर स्वास्थ्य केंद्रों या फिर जिला मुख्यालय के कुछ स्कूलों ,होटलों के एसी कमरों में कराकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री न कर रहा होता।
शासन की मंशा है कि वेक्टर जनित रोगों खासकर मलेरिया से बचाव की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे इसके लिए बाकायदा अधिकारियों को कार्यक्रम संचालित कर लोगों तक यह जानकारी पहुंचाने को निर्देशित भी किया गया है मगर मलेरिया विभाग कुछ चंद लोगों या एरिस्टोक्रेट जीवन जीने वाले कुछ लोगों के बीच में जागरूकता विषयक कार्यक्रम कर अपने उत्तरदायित्व को खानापूर्ति करने में लगा हुआ है। सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण डेंगू-मलेरिया जागरूकता कार्यक्रमों में सीएमओ तक को नहीं बुलाया जाता और न ही उन्हें किसी तरह की जानकारी दी जाती है और यह बात अब विभाग से निकल कर चट्टी चौराहों पर चर्चा का विषय बनी हुई है कि आखिर मलेरिया विभाग के कार्यक्रम आखिर गुपचुप तरीके से क्यों चलाये जा रहे हैं ?लोग बाग तो अब यह भी कहने लगे हैं कि क्या पिछले साल की भांति आगे भी सोनभद्र के कुछ इलाकों में रहस्यमयी बीमारी के कारण लोगों को असमय अपनी जान गवानी पड़ेगी क्या ?फिलहाल मलेरिया विभाग की कारगुजारियों को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है अब तो भगवान ही सोनभद्र को बचाये ।