सोनभद्र। जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि ‘ तत्कालीन जिलाधिकारी टीके शिबू ने विभिन्न शासनादेशों के क्रम में गत 29 अक्टूबर 2021 को एक आदेश जारी कर व्यवस्था दी थी कि यदि जिले में एडीओ (पंचायत) की पद के सापेक्ष कमी है तो जिले के वरिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार दी जाय।उनके जिले से जाते ही पंचायत विभाग द्वारा वरिष्ठ तम की बजाय , कनिष्ठतम सेक्रेटरी को प्रभारी एडीओ पंचायत का प्रभार दिए जाने संबंधी आदेश को दर किनार कर नगवां , घोरावल और करमा में वरिष्ठतम की बजाय कनिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभारी एडीओ (पंचायत ) का चार्ज सौंप दिया गया है। संतोष पटेल ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि वरिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार न देते हुए , उनसे कनिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार सौंपा जाना शासनादेश / पंचायत राज निदेशालय के आदेशों का उल्लंघन है।उन्होंने पत्र में जिलाधिकारी से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
यहां आपको बताते चलें कि जिला पंचायती राज विभाग में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है । कभी बेंच घोटाला , सफाई किट घोटाला , शौचालय घोटाला तो कभी कार्यस्थल बोर्ड घोटाला सहित कई मामले सामने आ चुके हैं । बगैर टेंडर और फोटो स्टेट के नाम वाली फर्मों से बिल्डिंग मैटेरियल आपूर्ति , नियमों की अनदेखी कर एक व्यक्ति के खाते में कई मजदूरों की मजदूरी को लेकर भी शिकायतें सामने आ चुकी हैं । इसके बावजूद भी कुछ मामलों को छोड़कर जहां कई मामलों की जांच किसी न किसी रूप में विभागीय अधिकारियों द्वारा लटकाए रख घोटालेबाजों को भरसक बचाने का अनवरत प्रयास जारी है।
पंचायत राज विभाग पर पैनी नजर रखने वाले कुछ लोगों की बात को यदि सच माना जाय तो उनके मुताबिक विभाग की इसी लचर प्रणाली अर्थात घोटालेबाजी के बाजीगर या यूं कहें कि नियमों की आड़ में ही नियमविरुद्ध तरीके से ग्रामपंचायतों में घपलेबाजी के अभ्यस्त हो चुके कुछ पंचायत सेक्रेटरीयों को बराबर पुरस्कृत करते रहने की परंपरा से ही घोटाले दर घोटाले सामने आ रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार चतरा ब्लॉक में कई ग्राम पंचायतों में इन दिनों टेंडर मैनेज करने का खेल खेले जाने का आरोप आम जनों द्वारा लगाया जा रहा है । शिकायत पर गौर करें तो कई ग्राम पंचायतों में काफी ‘ विलो टेंडर ‘ डाल दिए गए हैं, सवाल तो यही है कि जो वस्तु मसलन सीमेंट या फिर सरिया कोई सप्लायर बाजार कीमत से 30 से 40 प्रतिशत कम कीमत पर कैसे सप्लाई कर सकता है ? इसका सीधा सा मतलब है कि इन वस्तुओं से हुए घाटे को किसी अन्य वस्तु की सप्लाई या फिर जितनी आपूर्ति कागज पर दिखाई जाएगी उससे कम की सप्लाई देकर हुए घाटे की भरपाई किये जाने की संभावना बढ़ जायेगी।
इतना ही नही कई ग्राम पंचायतें ऐसी भी हैं , जहां अभी तक टेंडर प्राप्तकर्ता की तरफ से धरोहर राशि ही नहीं जमा की गई है और उसकी फर्म को सप्लाई के बदले भुगतान शुरू भी किया जा चुका है। इससे भी दिलचस्प मसला यह है कि एडीओ पंचायत और डीपीआरओ को इसकी जानकारी दिए जाने के एक सप्ताह बाद , कि ऐसी कितनी ग्राम पंचायतें हैं , अभी तक उन लोगों की तरफ से इसकी जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है । चर्चा तो यह है कि चतरा ब्लाक में बड़े स्तर से टेंडर मैनेज करने की कोशिश की जा रही है इसलिए इस मसले को फिलहाल टाला जा रहा है ।
इस सम्बंध में एडीओ पंचायत चतरा सुधाकर राम से फोन पर जानकारी चाही गई , तो उनका कहना था कि स्वतंत्रता दिवस से पूर्व वह अमृत महोत्सव की तैयारी में व्यस्त थे । अब खाली हो रहे हैं इसके बाद , कहां – कहां धरोहर धनराशि नहीं जमा है और कहां – कहां , टेंडर प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई , इसकी जानकारी हासिल कर जरूरी कदम उठाए जाएंगे । इस मसले पर पूर्व में डीपीआरओ विशाल सिंह से सेल फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है । वह स्थिति की जानकारी करने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे । बुधवार को इस मसले पर उन्हें कॉल कर जानकारी लेने की कोशिश की गई लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए ।