मैनपुरी। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव की तारीख जैसे जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे ही चुनाव प्रचार दिनों दिन रोचक होता जा रहा है । सपा से डिंपल यादव और भाजपा की तरफ से सपा के ही पूर्व दिग्गज नेता रह चुके रघुराज शाक्य के नामांकन के साथ ही दोनों ओर से ताकत झोंक दी गई है ।लेकिन सबकी नजरें अखिलेश यादव के प्रचार अभियान पर ज्यादा हैं ।
यहां आपको बताते चलें कि रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव के दौरान प्रचार से दूर रहने वाले अखिलेश यादव इस बार मैनपुरी में घर – घर दस्तक दे रहे हैं । मुहल्ले – मुहल्ले में उनकी सभाएं हो रही हैं और इतना ही नहीं जिस चाचा शिवपाल को रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के दौरान प्रसपा का नेता बताते हुए सपा की बैठकों से भी दूर रखा गया था , उन्हें मैनपुरी उपचुनाव के लिए सपा का स्टार प्रचारक बना दिया गया है और चाचा शिवपाल भी घर की बहू को विजयी बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिए हैं।
शिवपाल को स्टार प्रचारक बनाने और खुद प्रचार अभियान में अखिलेश के उतरने का मतलब तो साफ ही है कि सपा की नजर में डिंपल का चुनाव इतना आसान नहीं रह गया है ।यहाँ आपको बताते चलें कि अभी तक मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सपा का ऐसा गढ़ जहां भाजपा को कभी सफलता नहीं मिल सकी है । शायद इसी लिये इस बार के उपचुनाव में भाजपा ने बड़ा दांव खेल दिया है और मुलायम और शिवपाल के बेहद करीबी रहे और सपा के ही टिकट पर दो बार सांसद और एक बार विधायक बने रघुराज शाक्य को भाजपा का टिकट देकर कमल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतार दिया है ।
सपा के थिंक टैंक को यह भलीभांति पता है कि रघुराज शाक्य केवल सपा नेताओं के ही करीबी नहीं हैं बल्कि शाक्य होने के कारण भी बिरादरी में उनकी अच्छी पैठ होने के कारण ही अखिलेश के माथे पर शिकन है । मैनपुरी में यादव वोटरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या शाक्य वोटों की ही है । इस समीकरण को अखिलेश भलीभांति जानते हैं । यही कारण है कि चुनाव की घोषणा के ठीक बाद अखिलेश ने मैनपुरी जिलाध्यक्ष के पद से यादव नेता को हटाकर शाक्य को जिम्मेदारी सौंप दी है। उन्हें शायद पहले ही भाजपा की तरफ से शाक्य नेता पर दांव लगाने का अंदाजा हो गया था ।