मिड डे मील खाने के दौरान खेलते वक्त गिरा स्कूल का गेट,मासूम बच्चे की गई जान,आखिर हादसे के वक्त कहां थे शिक्षक ?
सोनभद्र जनपद में सरकारी विद्यालय का गेट गिरने से एक बालक की मौत हो गई।मिली जानकारी के मुताबिक स्कूल में बने मिड डे मील खाने के बाद कुछ बच्चे विद्यालय का गेट पकड़ कर झूल रहे थे तभी पिलर सहित लोहे का गेट अचानक भरभरा कर गिर गया।अब मासूम को कहाँ पता था कि उक्त पिलर भी भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गया है, अर्थात उसमें सरिया भी नहीं लगी है और यदि लगी भी है तो मानक से भी कम जो उसकी मजबूती के लिए आवश्यक थी।
हम बात कर रहे हैं जनपद सोनभद्र की जहां आज एक प्राथमिक विद्यालय का गेट गिरने से एक बालक की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक लंच के बाद कुछ बच्चे विद्यालय का गेट पकड़ कर झूल रहे थे तभी पिलर सहित लोहे का गेट अचानक भरभरा कर गिर गया और कुछ मासूम उसकी चपेट में आ गए। हादसे के बाद विद्यालय में हड़कंप मच गया।सबसे चौकाने वाली बात यह है कि उस वक्त विद्यालय में कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था पूरा स्कूल केवल रसोइयां के माथे ही था। आनन-फानन में किसी तरह परिजनों को सूचना दी गई और सूचना पाकर स्कूल पहुंच परिजनों ने बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी हालात गंभीर देखते हुए उसे वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया।
आपको बताते चलें कि दुद्धी थाना क्षेत्र के पकडेवा प्राथमिक विद्यालय में लंच के समय कुछ बच्चे विद्यालय का गेट पकड़ झूल रहे थे कि लोड सहन न कर पाने की वजह से सम्भवतः पिलर सहित गेट बच्चों पर ही गिर पड़ा जिसमें कुछ बच्चे दब गए और उसमें से एक बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे परिजन वाराणसी ट्रामा सेंटर लेकर जा ही रहे थे कि बालक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है हादसे के वक्त स्कूल में कोई भी शिक्षक मौजूद नहीं था केवल रसोइयां के माथे पूरा विद्यालय छोड़ शिक्षक नदारद थे ,शायद शिक्षक अपनी ड्यूटी पर होते हुए भी विद्यालय परिसर में ही रहते तो किसी के घर का चिराग नहीं बुझा होता।फिलहाल सोनभद्र मुख्यालय से दूर के ब्लॉकों में सरकारी स्कूलों का यह खेल कोई नया नहीं है यहां कार्यरत अधिकांश शिक्षक केवल स्कूल के रजिस्टर पर ही मौजूद होते हैं और वास्तव में वह लोग सेटिंग के बूते असल मे होते कहीं और ही हैं।आज इस हादसे ने स्कूल में शिक्षकों की मौजूदगी की भले ही पोल खोल दी हो पर इस क्षेत्र की हकीकत यही है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों ने बातचीत में बताया कि शिक्षक तो अधिकांश गायब ही रहते हैं कभी आते भी हैं तो देर से आकर जल्दी ही बच्चो से यह कह कर की ऑफिशियल काम से जा रहे हैं जल्द ही स्कूल से चले जाते हैं।आगे कुछ अभिभावकों ने बताया कि पूरा विभाग ही ऐसे अध्यापकों का समर्थन किया करता है अब ऐसे में जांच में भी कुछ नहीं होना,बस दिखा दिया जाएगा कि उस वक्त अध्यापक किसी विद्यालयी कार्य से स्कूल से बाहर था और बस फाइल बन्द।
ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय की चाहरदीवारी बहुत ही जर्जर है जो हाथ से भी हिलाने पर हिलने लगती है।ऐसे में सवाल उठता है कि कायाकल्प योजना के तहत विद्यालय मरम्मत का कोई भी कार्य क्यों नहीं कराया गया है ? ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर कायाकल्प योजना के तहत उन विद्यालयों का सुंदरीकरण क्यों नहीं कराया गया जिनकी सेहत खराब थी। यहां आपको बता दें कि कक्षा एक में पढ़ने वाला 7 वर्षीय बालक श्लोक पटेल पुत्र सुरेंद्र पटेल पकडेवा प्राथमिक विद्यालय में नित्य की भांति स्कूल पढ़ने गया था, इसी दरमियान दोपहर एक बजे कुछ बच्चों के संग वह स्कूल का गेट पकड़कर झूल रहा था कि इतने में अचानक विद्यालय का लोहे का गेट पिलर सहित उनके ऊपर ही धड़ाम से गिर गया और बालक मलबे के नीचे दब गए।शोर-शराबा सुनकर लोग स्कूल की तरफ दौड़े और लोहे की गेट से दबे बालक को बाहर निकाल एम्बुलेंस बुलाने के लिए संपर्क करने लगे। तीन बार लगातार एम्बुलेंस बुलाने के लिए हेल्पलाइन पर सम्पर्क किया गया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आयी और अंत में परिजनों संग ग्रामीणों ने निजी वाहन से घायल बच्चे को दुद्धी सीएचसी लाए जहां बालक की स्थिति गंभीर देखते हुए उसे यहां से रेफर कर दिया गया ।परिजन उसे लेकर वाराणसी ट्रामा सेंटर पहुंचे जहां देखते ही चिकित्सकों ने बालक को मृत घोषित कर दिया।
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