प्रयागराज। अपनादल विधि मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने अनुप्रिया पटेल केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री भारत सरकार को पत्र लिख कर आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में रहस्यमयी बुखार से होने वाली लगभग दो दर्जन मौतों व मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अपनाये जा रहे लापरवाह व उपेक्षात्मक रवैये तथा उक्त मौतों की कवरेज करने वाले पत्रकार पर हमले की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने के सन्दर्भ में उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है।उन्होंने पत्र में लिखा है कि जनपद सोनभद्र आदिवासी बाहुल्य जनपद होने के साथ साथ उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक राजस्व प्रदान करने वाला औद्योगिक क्षेत्र भी है। यहां पर सरकारी व गैर सरकारी थर्मल पावर प्लान्ट , एल्यूमिनियम प्लान्ट्स , केमिकल प्लान्ट्स , नार्दन कोल फील्ड्स लिमिटेड की ककरी , बीना , कृष्णशिला , खड़िया आदि कोएला खदान परियोजनाएं व स्टोन क्रशर प्लान्ट्स संचालित हैं । वर्तमान में इस क्षेत्र में लगभग 12000 मेगावाट प्रतिदिन विद्युत उत्पादन सिंगरौली सोनभद्र परिक्षेत्र के ताप विद्युत ग्रहों द्वारा किया जाता है । इस परिक्षेत्र में कोएले पर आधारित लगभग 10 पावर प्लान्ट है जोकि बिजली उत्पादन में सालभर में लगभग 10.3 करोड़ टन कोएले की खपत करते हैं ।फलस्वरूप हर साल लगभग चार करोड़ टन फ्लाई ऐश / राख पैदा होती है ,जिसका समुचित निस्तारण नहीं हो पाता है । बड़ी मात्रा में जहरीली फ्लाई ऐश ओवरफ्लो होकर विभिन्न स्त्रोतों से रिहन्द जलाशय में जाकर उसे जहरीला बना रहे हैं।

साथ ही यह क्षेत्र उद्योग / फक्ट्रियों से होने वाले मर्करी जनित प्रदूषण से भी जूझ रहा है तथा इस क्षेत्र में केमिकल प्लांट , एल्यूमिनयम प्लांट , थर्मल पावर प्लांट , कोएला खदाने व अन्य उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों जैसे रेडमड खतरनाक केमिकल युक्त मर्करी ब्राईन- स्लज / क्लोरीनेटेड रसायनिक अपशिष्ठ / आर्सेनिक युक्त अपशिष्ट व फ्लाईऐश से यहां का भूजल / रिहन्द जलाशय सर्वथा प्रदूषित है तथा भूगर्भ जल में फ्लोराईड की मात्रा दोगुने से भी अधिक पायी गई है जिसकी वजह से यहां का भूगर्भ जल पीने योग्य नहीं है और साथ ही औद्योगिक अपशिष्टों से रिहन्द जलाशय का पानी भी जहरीला हो चुका है। उक्त सभी बातों की पुष्टि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा गठित कोर कमिटी की रिपोर्ट मय शपथ पत्र दाखिल माननीय एन.जी.टी न्यायालय दिनांकित 20.8.2015 ( Original Application No. 276/2013 व 20/2014 ) से होती है । उक्त रिपोर्ट के अनुक्रम में माननीय न्यायालय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली ने दिनांक 6.12.2017 को विस्तृत आदेश पारित कर क्षेत्र में व्याप्त प्रदूषण के बाबत ठोस कदम उठाने का आदेश / दिशानिर्देश पारित किया था । महोदया सूच्य हो कि क्षेत्र में व्याप्त भयावह प्रदूषण के बाबत माननीय एन.जी.टी. के द्वारा उपरोक्त मुकदमों में वर्ष 2014-15 में कोर कमिटियों गठन किया गया था जिसमें जांचोपरान्त अपनी विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय को प्रेषित करते हुये क्षेत्र में भयावह प्रदूषण को रेखांकित किया था । विभिन्न वैज्ञानिक रिपोर्टो से यह बात सुस्पष्ट होती है कि रिहन्द जलाशय विषैला हो चुका है इसमें भारी धातु जैसे मरकरी , आर्सेनिक , बोरान , सिलिका , कोमियम , लेड , मैंगनीज व अन्य जहरीले धातु मिल चुके हैं , जिसका पानी किसी भी इस्तेमाल योग्य नहीं है परन्तु तलहटी क्षेत्र के म्योरपुर , दुद्धी व बभनी ब्लाक के निकटवर्ती गांव इसी जलाशय के पानी पर आश्रित हैं , रिहन्द जलाशय में सीधे प्रवाहित हो रहे अपशिष्टों की वजह से जलाशय अति गंभीर रूप से प्रदूषित हो चुका है जिससे क्षेत्र की बड़ी आबादी रहस्यमयी बीमारियों बुखार व प्रतिकूल स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझ रही है । वर्तमान में म्योरपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत सिंदूर मकरा के लभरी गाढ़ा , अगड़ियाडीह , भेड़िया , मड़ैया , मकरा टोले में डेढ़ माह के अन्दर ही 18 से अधिक मौतें रहस्यमयी बुखार ( मलेरिया ) से हो गयी है ।

सिंदूर मकरा क्षेत्र में रहस्यमयी बुखार से पीड़ित ग्रामीणों की संख्या दिनोदिन बढती जा रही है। विगत एक माह में प्रदूषित पानी व मच्छरों के प्रकोप से लगभग दर्जन भर मौतो से पूरे जनपद में हाहाकार मचा हुआ है , क्षेत्र के ग्रामीणों से बात करने पर उन लोगों ने बताया है कि विगत एक माह में सुशीला देवी पत्नी हरिनारायण उम्र 25 वर्ष , दिव्यांशू पुत्र हरिनारायण उम्र 3 वर्ष , हिमांशू पुत्र हरिनारायण उम्र 1.5 वर्ष , अंकुश पुत्र राधेश्याम उम्र 3 वर्ष , प्रीतम कुमार पुत्र कृष्णाराम उम्र 4 वर्ष , सरिता अगडिया पुत्री सूरज लाल उम्र 9 वर्ष , रोमित अगरिया पुत्र रामलाल उम्र 9 माह , रामबालक पुत्र मनधारी अगरिया उम्र 50 वर्ष , सोनू अगडिया पुत्र सुखदेव उम्र 10 वर्ष पूजा देवी पत्नी फलचन्द्र बैगा उम्र 20 वर्ष , कविता पुत्री राममूरत उम्र 11 माह , आरती कुमारी पुत्री लालजी केवट उम्र 5 वर्ष , नीतू देवी पत्नी नन्दू केवट उम्र 24 वर्ष , रिया कुमार पुत्री नन्दू केवट उम्र 4 वर्ष , राजेन्द्र केवट पुत्र जगदीश उम्र 5 वर्ष , श्वेता कुमारी उम्र 14 माह , सूरजमन पुत्र देवप्रकाश गोड़ उम्र 6 वर्ष व अन्य की मौत प्रदूषित पानी को पीने व मच्छरों के प्रकोप से होने वाले तेज बुखार से हुयी है। ग्रामीणों के मुताबिक यहां के लोग कच्चे कुए एवं हैण्डपम्पों का पानी पीते है जिससे लाल पानी निकलता है जो प्रदूषित होता है । स्वास्थ्य विभाग के उदासीन व लापरवाह रवैये नें कोढ़ में खाज का काम किया है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग व मुख्य चिकित्साधि सोनभद्र ने इन क्षेत्रों में सन् 2011 सितम्बर अक्टूबर में हुयी 3 दर्जन से अधिक मौतों से सबक न लेते हुए क्षेत्र में न तो समय से एण्टी लार्वा दवा व डीडीटी का छिडकावा कराया और न ही स्वास्थ्य शिविर लगाकर जांच या सैम्पलिंग भी करायी गई , ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र में कोई भी डाक्टर नहीं है और आमतौर पर यह बन्द ही रहता है । मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र के नेतृत्व में सोनभद्र के स्वास्थ्य विभाग यदि बारिश के समय से ही जल जनित बीमारियों खासतौर से पीएफ लार्वा को लेकर सतर्क रहता तो शायद यह स्थिति नहीं आती , क्षेत्र में शोधित जल की अनुपल्बध्ता भी इन मौतो का एक बड़ा कारण है जिसके लिए सोनभद्र प्रशासन भी उत्तरदायी है।

उन्होंने आगे लिखा है कि जनपद मे विगत डेढ़ माह में ही एक क्षेत्र विशेष में लगभग दो दर्जन मौतो से ग्रामीणों में भय व्याप्त है । इतनी मौतो के बाद भी सोनभद्र के मुख्य चिकित्साधाकरी का असंवेदनशील व अमानवीय रवैया घोर आश्चर्य का विषय है, क्योंकि जिलाधिकारी सोनभद्र के द्वारा तत्काल एक कमेटी ए.डी.एम. के नेतृत्व में गठित की गई है जो इन मौतों की जांच कर रही है इसके बावजूद भी मुख्य चिकित्साधिकारी ने आजतक क्षेत्र का दौरा नहीं किया है और सिर्फ कागजी निर्देश ही जारी किए हैं । महोदया सुच्य हो कि मरने वाले ग्रामीणों में अधिकतर आदिवासी , दलित , पिछड़े , वंचित व गरीब समाज के लोग ज्यादा हैं जोकि समाज के अंतिम पायदान पर हैं और वर्तमान अपन दल एस भाजपा सरकार का लक्ष्य अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक विकास की रोशनी को पहुंचाना है परन्तु स्वास्थ्य विभाग अपने असंवेदनशील लापरवाह व अमानवीय रवैये से सरकार के मंसूबो पर पानी फेरने का काम कर रहा है । महोदया यहां पर यह भी विदित कराना अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है कि जब इन क्षेत्रों में हो रही रहस्यमयी बुखार से मौतों को पत्रकारों ने उजागर करने का महत्वपूर्ण प्रयास किया तो मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र डा ० नेमसिंह के द्वारा उनपर गंभीर धाराओं में झूठी एफआईआर दर्ज कराने हेतु पुलिस अधीक्षक सोनभद्र के समक्ष प्रार्थना पत्र भी दिया गया है जोकि अपनी गलती स्वीकार करने से ज्यादा गलती पर पर्दा डालने की कुचेष्टा ज्यादा नजर आती है । आपको बताते चलें कि J.K. 24X7 New Channel के सोनभद्र संवाददाता श्री राजन जब उक्त मौतों पर मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र व मलेरिया उन्मूलन अधिकारी पी.के. सिंह से स्पष्टीकरण तथा जवाब अपने चैनल हेतु मांगने का प्रयास किया तो उन पर हमला किया गया और साथ ही गलत तथ्यों के आधार पर पुलिस अधीक्षक सोनभद्र को गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का प्रार्थना पत्र भी दिया गया जोकि विचारणीय है। इस पूरे प्रकरण में दोनों पक्षों के आरोप प्रत्यारोप की जांच एक उच्च कमेटी से कराया जाना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि जब पत्रकार क्षेत्र में हो रहे रहस्यमयी बुखार से आदिवासियों दलितो पिछड़ों की मौतो को उजागर करने का प्रशंसनीय प्रयास कर रहे थे तो ऐसे समय में मुख्य चिकित्साधिकारी सोनभद्र उन्ही की आवाज को दबाने की कुचेष्ठा क्यों कर रहे थे यह प्रश्न गंभीर है तथा इसकी जांच अत्यन्त आवश्यक है।

अपनादल विधि मंच के अभिषेक चौबे ने आगे लिखा है कि यहां के लोग मर्करी जनित प्रदूषण व केमिकल युक्त जहरीले पानी से होने वाले रोगों से ग्रसित हैं तथा इस क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यन्त आवश्यकता है। उक्त के क्रम में आपसे यह आग्रह है कि मृतकों के परिजनों को तत्काल आर्थिक सहायता , रोगो पर नियंत्रण हेतु मकरा व आसपास के क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का सर्वसुविधायुक्त मेडिकल कैम्प लगाकर इलाज , गंभीर स्थिति में ग्रामीणों को उच्च चिकित्सा केन्द्र तक ले जाने हेतु एडवान्स्ड लाइफ सपोर्ट एंबुलेन्स की सुविधा , तत्काल टैन्करों के माध्यम से शोधित पेयजल मकरा व आसपास के क्षेत्रों में मुहैया कराए जाने , मलेरिया विभाग द्वारा एण्टी लार्वा रोधी दवा का छिडकांव तथा मच्छर रोधी दवा की फोगिंग अविलम्ब कराए जाने हेतु संबंधित विभागों व मंत्रायलों को निर्देशित करने के लिए सरकार से व्यवस्था कराने की कार्यवाही हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया जाय तथा लगभग दो दर्जन मौतों के कारण का पता लगाने हेतु एक उच्च स्तरीय इनक्वायरी कमेटी गठित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है जिससे इन मौतो के लिए दोषी स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के जिम्मदार अधिकारियों पर विधि अनुरूप कार्यवाही हो सके तथा भविष्य में ऐसे मौतो के तांडव को रोका जा सके ।
