भाग …..1
सोनभद्र। कभी तपस्वियों,मुनियों के लिए सोनभद्र की धरती स्वर्ग हुआ करती थी ,पर समय बदला अब इसे भ्र्ष्टाचारियों के स्वर्गस्थली के रूप में नई पहचान मिलती दिख रही है। वैसे तो सोनभद्र में आप जहाँ भी नजर डालेंगे वहीं कुछ न कुछ गड़बड़ी मिल ही जाएगी परन्तु जब से ग्रामीण विकास को गति देने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा पंचायत विभाग को स्वायत्तता के साथ ही पर्याप्त धन मिलने लगा है तभी से गिद्ध निगाह लगाए इन विभागों के कर्ता धर्ता सरकारी नियमों क़ानूनों की आड़ में अपनी गोटी फिट करने में लगे हैं।

आपको बताते चलें कि पंचायत विभाग ने किसी विशेष परिस्थिति में कार्य चलाने के लिए कुछ नियम कानून बनाये हैं मसलन यदि किसी ब्लाक में एडीओ(पंचायत) का पद रिक्त है और जिले में एडीओ (पंचायत) की कमी है तो उस परिस्थिति में एक सामान्य सा नियम है कि वरिष्ठ ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को एडीओ पंचायत के रूप में कार्य करने के लिए चार्ज दे दिया जाय।

अब इसी नियम की आड़ में वर्तमान में सोनभद्र के पंचायत विभाग ने अपने चहेते ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को प्रभारी एडीओ पंचायत का चार्ज देने के लिए उन्हें जिन विकास खंड का चार्ज देना चाहते हैं सर्वप्रथम उस विकास खंड से अपने चहेते सेक्रेटरी से सीनियर को ,उस विकास खण्ड से हटा दिया जाता है और फिर अपने चहेते को एडीओ पंचायत का चार्ज देकर मनचाहे ढंग से पूरे विकास खंड को चलाया जाता है।

उदाहरण के तौर पर विकास खण्ड चोपन व घोरावल में जिन ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभारी एडीओ पंचायत बनाया गया है, ऐसा नहीं है कि जिले में उनसे सीनियर ग्राम पंचायत अधिकारी नहीं हैं ?परंतु हो सकता है उक्त सीनियर इन जिम्मेदार अधिकारियों के मनमाफिक कार्य न कर सकें ,सम्भवतः इसी लिए अपने चाहते ग्राम पंचायत अधिकारियों को बैठाने के लिए ही उन्हें उन विकास खण्डो से बाहर ही रखा जाता है ताकि चहेते प्रभारी एडीओ पंचायत की वरिष्ठता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्राम पंचायत अधिकारियों ने कहा कि ज्यादा दिक्कत आने पर उच्चधिकारियों द्वारा वरिष्ठ ग्राम पंचायत अधिकारी से यह लिखवा लिया जाता है कि हम प्रभारी एडीओ पंचायत का कार्य करने के या तो इच्छुक नहीं है या फिर असमर्थ हैं।अब एक ग्राम पंचायत अधिकारी की क्या बिसात जो अपने उच्चधिकारियों की बात काट सके। मजबूरन उसे लिख कर देना ही पड़ता है और इस तरह अधिकारियों के चहेते जूनियर ग्राम पंचायत अधिकारियों का प्रभारी एडीओ पंचायत बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। दबी जुबान पंचायत विभाग के ही कुछ लोगों ने कहा कि उक्त जूनियर ग्राम पंचायत अधिकारी जो कि प्रभारी एडीओ पंचायत का उत्तरदायित्व निभा रहे हैं वह एक तरह से अपने उच्चधिकारियों के लिए कामधेनु गाय हैं जो जब भी आप जो चाहत रखते हैं आपूर्ति करने का सामर्थ्य रखते हैं।

अब आप समझ सकते हैं कि सोनभद्र में सरकार द्वारा आपात स्थिति के लिए बनाए गए कामचलाऊ नियम को ढाल बनाकर अधिकारी किस प्रकार अपना राज काज चला रहे हैं। सवाल यह भी है कि जब प्रभारी एडीओ पंचायत का चार्ज ही देना है तो उस विकास खंड में कई तरह के और एडीओ होते हैं उन्हें भी तो दिया जा सकता है ? परंतु शायद वह लोग चहेते ग्राम विकास अधिकारियों के बराबर परिक्रमा न कर सकें। यही वजह है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए बनाए गए कुछ नियमों को ढाल बनाकर उच्चधिकारी अपनी रोटी सेकने में सफल प्रतीत हो रहे हैं। फिलहाल लगता है कि सोनभद्र को जल्द इस तरह के भ्रष्टाचारी वातावरण से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। क्रमशः—–आगे