सोनभद्र। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लाख दावे कर लें कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है पर लगता है सोनभद्र या तो उनकी नजर से दूर ही है या फिर उनकी जीरो टालरेंस की घोषणा हवा हवाई ही है जो सिर्फ़ मंचो से जनता को तसल्ली देने के लिए की जाने वाली घोषणा भर है।वैसे सोनभद्र भृष्टाचारी अधिकारियों के लिए मनपसंद प्ले ग्राउंड पहले से ही रहा है यहां नियुक्ति के बाद अधिकारियों /कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार के कुछ ऐसे तरीक़े अपनाए जो कहीं अन्यत्र नहीं मिलते ऐसे में जब भाजपा की सरकार बनी तो आम जन को लगा कि अब सोनभद्र में भी कुछ बदलाव अवश्य आएगा पर जैसे जैसे सरकार के पांच साल गुजरने वाले हैं लोगों की उम्मीद का दिया भी बुझने लगा है।
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वर्तमान में खंड विकास चतरा कार्यालय पर वहां के ब्लाक प्रमुख स्वयं खण्ड विकास अधिकारी के भृष्टाचार के खिलाफ ब्लॉक परिसर में धरना दे रहे हैं और इस मांग पर अड़े हैं कि पूर्व में इनके द्वारा टेंडर आवंटन में की गई गड़बड़ी की जाँच की जाय।ब्लाक प्रमुख का आरोप है कि पुर्व में अपनी चहेती फर्म को मैटेरियल आपूर्ति का आदेश जारी करने के लिए विभागीय नियमों का पालन नहीं किया गया जिसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि टेंडर प्रक्रिया के महत्वपूर्ण नियम धरोहर धनराशि के लिए लिए जाने वाले एफ डी आर में ओरिजनल की जगह उसकी फोटोकापी पर ही टेंडर जारी कर दिया गया है जो कि गलत है।उनका कहना है कि जब हमने इस बात की जाँच पड़ताल कराने की बात खंड विकास अधिकारी से की तो वह इसपर टाल मटोल करने लगे।
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वर्तमान ब्लॉक प्रमुख का कहना है कि चूंकि यदि उक्त प्रकरण की जांच हो गयी तो फर्म के साथ साथ तत्कालीन समय के सरकारी कर्मचारियों पर भी गाज गिरेगी इसीलिए उक्त प्रकरण पर अधिकारियों द्वारा टालमटोल किया जा रहा है।यह प्रकरण इतना गम्भीर हो गया है कि जहाँ एक तरफ ब्लॉक प्रमुख परिसर में ही जाँच कराने को लेकर धरना दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक के कर्मचारी अपने अपने कक्ष में टाला बन्द कर गायब हैं।दूसरी तरफ जिस फर्म को पिछले वित्तीय वर्ष में टेण्डर मिला था उसके प्रोपराइटर का कहना है कि जब हमारा टेंडर एक ही वित्तीय वर्ष के लिए था तो उक्त वित्तीय वर्ष के व्यतीत हो जाने के बाद हमारे एफ डी आर को बंधक रखने का अधिकार खण्ड विकास को कहां है।जब हमारे टेंडर का समय व्यतीत हो गया तो एफ डी आर निकाला जा सकता है।एफ़ डी आर बना था वह लगा भी था अब जिंदगी भर वह उन्हीं के फाइल में तो रहेगा नहीं।हो सकता है वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद एफ डी आर रिलीज करा लिया गया हो क्योंकि मैं तो ठेकेदार हूं अगले वित्तीय वर्ष में यदि कहीं अन्यत्र काम लेना होगा तो मैं अपना एफ डी आर वहां क्यूँ रखूंगा जहां कार्य समाप्त हो चुका है इसलिए वर्तमान प्रमुख बेवजह हमें परेशान करने के लिए ही पुरानी फाइलों में लगे एफ़ डी आर का मामला उठाकर उसे राजनीतिक तूल दे रहे हैं।
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यहाँ मामला एफ डी आर का नहीं मामला दबाव बनाकर अपना हित साधने की है।फिलहाल मामला चाहे जो हो यह तो निश्चित ही है कि यह कोई छोटा मामला नहीं है जो एक ब्लॉक प्रमुख को उसके ही ब्लाक में धरना देने को बाध्य कर दे।वर्तमान ब्लाक प्रमुख ने पुराने भ्रष्टाचार के कुछ ऐसे मामले पर से परदा हटाया जो चौकाने वाले रहे ।मसलन एक गांव में छः तालाब खोद कर भुगतान किए जाने की फाइल तो है पर उस गांव में तालाब केवल दो ही हैं।इसी तरह एक सड़क पर इतनी बार डब्लू बी एम कराने को भुगतान हुआ है कि लगता है कि भुगतान करने वाले व भुगतान लेने वाले दोनों के यहाँ बी एम डब्लू आ गयी होगी क्योंकि उक्त सड़क पर तो कही डब्लू बी एम होने का सबूत मिल नहीं रहा।
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इतना ही नही कुछ जगहों पर बने गौशाला में मटेरियल के लिये तो लाखों का भुगतान किया गया है पर आश्चर्य है कि उक्त कार्य और मजदूरी का भुगतान एक हजार रुपया किया गया है ऐसे में आप खुद ही समझ सकते हैं कि लाखों का खरीदा गया मैटेरियल केवल एक हजार की मजदूरी में कैसे खपा।यह इनके भ्र्ष्टाचार की कहानी बयाँ करने को काफी है। फिलहाल आगे देखना दिलचस्प होगा कि भ्र्ष्टाचार के इस शह मात के खेल में कौन विजयी होता है और इस खेल का अंजाम क्या होता है ?फिलहाल इतना तो तय है कि वर्तमान ब्लाक प्रमुख इस लड़ाई में अपनी ही पार्टी की सरकार में अकेले पड़ गए हैं ,हो सकता है वह इसमें वह समझौता भी कर लें अथवा विजयी भी हो जाएं पर आने वाले विधानसभा चुनाव में इस लड़ाई का सीधा असर भाजपा पर पड़ सकता है।
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