पैरासूट से उतरे प्रत्याशियों के खिलाफ उठ रहे बगावती स्वरों से पार पाना शीर्ष नेतृत्व के लिए बना सिरदर्द
सोनभद्र।दूसरे चरण के चुनाव के लिए नाम वापसी के अंतिम दिन के बाद चुनाव मैदान में उतरने वाले योद्धाओं की तस्वीर लगभग साफ हो गयी है।किस पार्टी से कौन रहेगा चुनावी दंगल में और कौन पर्चा खींच पार्टी के साथ खड़ा हो जाएगा,इस तरह के जो कयास लगाए जा रहे थे सभी अटकलों पर नाम वापसी की अंतिम तिथि गुजरने के बाद ही विराम लग गया और बचे हुए प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित हो जाने के पश्चात सभी तरफ से तीर कमान सजाए चुनावी योद्धा मैदान में कूद पड़े हैं और आने वाले समय मे छिड़े इस चुनावी महाभारत में कूटनीति व राजनीति के पहलवानों द्वारा आजमाए जाने वाले एक से एक दांव देखने को मिलेंगे।
यहां आपको बताते चलें कि निकाय चुनाव के इस महाभारत में सबसे बड़ी परीक्षा सत्ताधारी दल की होगी क्योंकि यह निकाय चुनाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक तरह से सेमीफाइनल मुकाबले की तरह होंगे और यदि इस निकाय चुनाव में सत्ताविरोधी लहर देखने को मिली तो इस निकाय चुनाव के तुरंत बाद ही होने वाले लोकसभा चुनावी दंगल में उत्तर प्रदेश में भाजपा को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और शायद यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टी अपना हर कदम बहुत ही फूंक फूंक कर आगे बढ़ा रही है। यहां आपको यह भी बताते चलें कि वर्तमान निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत टिकट न मिलने से नाराज उसके बागी कार्यकर्ताओं ने खड़ी कर रखी है जो मान मनोवल के बाद भी बागी तेवर अपनाए रहे और पार्टी के अधीकृत प्रत्याशी के ही खिलाफ विगुल फूंक चुनावी मैदान में डटे हुए हैं और कोढ़ में खाज की तरह यह कि पार्टी को यह डर भी सता रहा कि न जाने कौन सा अपना पदाधिकारी भितरघात कर इन बाग़ियों से जा मिले और परिणाम विपरीत हो जाये।
सोनभद्र की इकलौती नगरपालिका परिषद की सीट बिल्कुल हाट सीट हो गयी है और इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।यहां आपको बताते चलें कि जनपद की इकलौती नगरपालिका की सीट पर सारे कयासों के विपरीत दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक रहीं रूबी प्रसाद ,जो जल्दी ही सत्तारूढ़ भाजपा का दामन थामा है, को नगरपालिका अध्यक्ष पद का भाजपा द्वारा टिकट दे मैदान में उतार देने से जहां एक तरफ विपक्षियों को अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने को मजबूर कर दिया है वहीं प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के अंदरखाने भी खलबली मचा दिया है।
जहां तक निकाय चुनाव में जीत हार की बात है तो यह तो भविष्य के गर्त में है कि कौन विजयी होगा पर यदि राजनीति के धुरंधरों की बात पर गौर करें तो एक बात यह साफ हो जाती है कि किसी भी चुनाव में जीत हार के अंतर में प्रत्याशी चयन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है मसलन यदि पार्टी का बहुत विरोध भी हो और यदि किसी ऐसे व्यक्ति को टिकट मिल जाये जो उस क्षेत्र में बहुत पापुलर हो तो उसे विजय दिलाने में नेतृत्व को बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती है और यदि किसी ऐसे कंडीडेट को पार्टी टिकट दे दे जो उस क्षेत्र के लिए अनजान चेहरा हो तो उसे पार्टी पर निर्भर रहना पड़ता है और ऐसे में यदि पार्टी के नाराज कार्यकर्ता भितरघात कर जाएं तो निश्चित ही परिणाम आशा के उलट निकल जाते हैं।चूंकि सोनभद्र में चुनाव निकाय चुनाव के दूसरे चरण में होने हैं और जैसे जैसे चुनाव की तिथि नज़दीक आ रही है वैसे वैसे चुनावी दंगल में उतरे सभी पहलवानों द्वारा आजमाए जा रहे विभिन्न तरह के दांव भी जनता को देखने को मिलेंगे।अब आगे यह देखना सबसे महत्वपूर्ण होगा कि कौन धोबी पछाड़ मार अपने विपक्षी पहलवानों को चित कर मैदान मार लेता है और कौन चारों खाने चित्त होता है।