गुरमा चौकी इंचार्ज बने बभनी थाने के एस एस आई।अब यह सत्ताधारी दल के नेताओं से बदसलूकी की सजा है या फिर प्रमोशन ?
सोनभद्र।आज पुलिस विभाग में फेरबदल करते हुए पुलिस अधीक्षक ने गुरमा चौकी इंचार्ज को बभनी का एसएसआई तथा राजेश सिंह को गुरमा का चौकी प्रभारी बनाया है। आपको बता दें कि दो दिन पूर्व गुरमा चौकी इंचार्ज पर भाजपा के बूथ अध्यक्ष को बैंक से पैसा निकाल कर वापस आते समय बेवजह उनके साथ गाली गलौज करने के साथ ही मार पीट करने के बाद उत्तेजित भाजपा के स्थानीय नेताओं ने उनके ऊपर कार्यवाही को लेकर वाराणसी शक्तिनगर हाइवे को जाम लगा कर घण्टों नारेबाजी की।बाद में हाइवे जाम होने की बात जैसे ही उच्चधिकारियों के यहाँ तक पहुँची मामले को शांत करने के लिए पुलिस के उच्चधिकारी पहुंचे और चौकी प्रभारी पर कार्यवाही करने की बात कहकर फिलहाल तो सड़क पर बैठे भाजपाई नेताओं को हटा दिया।

उस दिन सड़क जाम कर चौकी प्रभारी पर कार्यवाही की बात करने वाले भाजपा नेताओं की बात पर गौर किया जाय तो यह बात सामने आती है कि कुछ भाजपा के नेता अपने कॉकस वाले ग्रुप का मान बढ़ाने के लिए अपने ही पार्टी के छोटे कार्यकर्तओं पर ध्यान नही दे रहे हैं। अब टुकड़ो में बंटी भाजपा का कोई कार्यकर्ता जब पुलिस अथवा किसी अन्य प्रशासनिक अधिकारी के यहाँ किसी बात को लेकर पहुँचता है तो उक्त अधिकारी द्वारा यह देखा जाता है कि यह किस गुट का है।उसके बाद ही यह तय होता है कि उक्त की बात सुनी जाय अथवा नहीं।अब जब भाजपा कार्यकर्ताओं से ही पुलिस इस तरह का बर्ताव कर रही है तो आम जनता के साथ उसका बर्ताव कैसा होगा यह आप समझ सकते हैं।

धरने पर बैठे भाजपा नेताओं का कहना था कि पुलिस बेलगाम हो चुकी है और जो भी उसके गलत कार्य पर उंगली उठाने की हिम्मत कर रहा है उसे पुलिस द्वारा भरे बाजार बेइज्जत किया जा रहा है।जोभी भाजपा का कार्यकर्ता पुलिस की शिकायत कर रहा है पुलिस उसे लात व जूते से पीट रही है। अब सवाल उठता है कि जब पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ सत्ता पार्टी के नेताओं को हाइवे जाम करना पड़ रहा है तो आम जनता के साथ पुलिस का बर्ताव क्या होगा आप खुद ही समझ सकते हैं।अब यह भी समझने की बात है कि जिस चौकी इंचार्ज पर भाजपा के पदाधिकारियों को सरेआम बीच बाजार गाली गलौज कर उनके साथ मार पीट करने के आरोप में कार्यवाही की बात को लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा हाइवे जाम कर दिया जाता है उसपर कार्यवाही स्वरूप उसे चौकी से हटाकर थाने पर एस एस आई के रूप में पोस्टिंग कर दी जाती है।अब इसे क्या समझा जाय कि यह सत्ताधारी दल के पदाधिकारियों से बदसलूकी की सजा दी गयी है या फिर उन्हें प्रमोशन मिला है ?अब यह भी विचारणीय है कि यह कैसा कानून का राज है जिसमे शासन चला रही पार्टी के कार्यकर्ता ही जब डरे सहमे हुए हैं तो आम जनता की बात ही क्या होगी ?
