क्या इसी खोखले विकास मॉडल व गिरे हुए मनोबल अथवा नाराज कार्यकर्ताओं के भरोसे 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरेगी भाजपा
सोनभद्र । विधानसभा चुनाव 2022 का विगुल बज चुका है, लगभग सभी पार्टियां अपने तरकश के तीर निकालना प्रारम्भ कर चुकी हैं । एक तरफ जहाँ विपक्षी पार्टियों द्वारा ध्वस्त कानून व्यवस्था व विकास में पिछड़ते प्रदेश को मुद्दा बनाया जा रहा है वहीं पिछले पांच वर्षों से शासन कर रही भाजपा की तरफ से प्रदेश में कानून का राज स्थापित कर विकास को गति देने की बात जनता को बताई जा रही है।आज भाजपा के इसी दावे को परखते हुए विपक्ष द्वारा विकास कार्यो व कानून व्यवस्था पर उठाए जा रहे सवालों का परीक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा के विकास व कानून के राज को समझने के लिए जनपद में पिछले एक सप्ताह में घटी घटनाओं व उन घटनाओं से सम्बंधित फोटो व विडियो के सोशल मीडिया में वायरल होने के विश्लेषण के आधार पर समझा जा सकता है।

एक तस्वीर में भाजपा के एक पुराने कार्यकर्ता की मौत पर सम्बेदना प्रकट करने जा रहे भाजपा नेताओं के एक दल को उनके निवास स्थान तक पहुंचने के लिए खराब व कीचड़ युक्त सड़क होने के कारण अपनी गाड़ी छोड़कर ट्रैक्टर की सवारी करने को मजबूर होकर ट्रैक्टर से ही वहाँ तक जाने की तस्वीर वायरल होने के बाद लोग बाग भाजपा के विकास के दावे पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं।यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि यह फ़ोटो किसी विपक्षी पार्टी के नेता ने खिंचवा कर नहीं वायरल की है अपितु जिला में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले भाजपा के एक जिम्मेदार नेता ने शोसल मीडिया पर शेयर की है। इसलिए इसे विपक्षी पार्टियों का प्रोपेगैंडा कहकर खारिज भी नही किया जा सकता।

अब एक दूसरी घटना जिसका वीडियो व फोटो शोसल मीडिया में वायरल हो रहा है पर बात करते हैं। जिसमे भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं का एक समूह वाराणसी शक्तिनगर हाइवे इसलिए जाम कर दिया कि एक चौकी इंचार्ज द्वारा भाजपा के एक पदाधिकारी को भरे बाजार बिना किसी गलती के ही गाली गलौच कर उनके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया।अब सवाल उठता है कि यह कैसा कानून का राज है जिसमे खुद सत्ताधारी दल के नेता ही जब बिना वजह लात खा रहे हैं तो आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं कि आम आदमी की हालत कैसी होगी।

लोगों का कहना है कानून के राज के नाम पर पुलिस आम जनता के साथ उत्पीड़नात्मक कार्यवाही कर रही है।चूंकि उक्त दोनों ही कार्य चाहे खराब सड़क होने की वजह से गाड़ी न जाने पर ट्रैक्टर से जाने को मजबूर होकर जाने का मामला हो अथवा पुलिस प्रताड़ना से आजिज होकर हाइवे जाम कर उसके खिलाफ कार्यवाही की मांग करने का मामला हो भाजपा के लोगों ने ही किया है इसलिए इसे सिर्फ प्रोपेगैंडा कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।हां उक्त फोटो अथवा वीडियो के शोसल मीडिया पर वायरल होने को लेकर कुछ भाजपा के लोग यह जरूर कह रहे हैं कि यह भाजपा के नाराज लोगों का शिगूफा भर है।हो सकता है कि यह नाराज लोगों का धड़ा हो पर इससे सच्चाई तो नहीं बदल सकती ?क्या इससे पूरे प्रदेश में गड्ढा मुक्त सड़क होने का ढोल पीट रही सरकार के दावे झूठे साबित नहीं होते।

उक्त खराब सड़क को देखकर ही लगता है कि उस पर पिछले कई वर्षों से उसकी मरम्मत कार्य नहीं किया गया है वह भी तब जब उक्त सड़क भाजपा के एक कद्दावर नेता के गांव जाने के लिए एकमात्र पहुंच मार्ग है और अपनी अंतिम सांस लेने से पूर्व उन्होंने उक्त सड़क की मरम्मत हेतु सांसद विधायक सहित जिले के उच्चधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं।अब जब उनकी मौत हो चुकी है और उनके परिजनों से मिल उनके प्रति अपनी सम्बेदना प्रकट करने लोग बाग जा रहे हैं तो खराब सड़क होने की वजह से उनके गांव तक पहुंचने में हो रही दिक्कत को सतह पर लाने वालों को विरोधी अथवा नाराज कार्यकर्ता कहकर सच्चाई को खारिज नहीं किया जा सकता।अब सवाल तो उठेगा ही कि क्या इसी विकास मॉडल के लिए भाजपा का चुनाव जनता ने किया था।आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को जनता के इन सवालों से अवश्य ही रूबरू होना पड़ेगा।