बीमार मलेरिया विभाग का आखिर कौन करेगा इलाज ?
आखिर मलेरिया विभाग में तैनात कुछ कर्मचारियों के एक ही जिले में दशकों तक जड़ जमाकर भ्र्ष्टाचार किये जाने पर कब लगेगी लगाम
जब समूह ग के कर्मचारियों के लिए एक जिले में कार्यरत रहने की सीमा सात वर्ष तक ही नियत है तो कुछ कर्मचारी कैसे 15 से 20 वर्ष तक एक ही जिले में जमे हुए हैं ?इस पर बार बार सवाल उठ रहे हैं।
अब देखना होगा कि सरकार द्वारा घोषित स्थानांतरण पालिसी के मुताबिक 30 जून तक क्या स्वास्थ्य विभाग में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई स्थानांतरण नीति का पूर्ण रूप से पालन होता है या फिर पूर्व के वर्षों की भांति इस वर्ष भी विभाग में जड़ जमाये भ्र्ष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को इस स्थानांतरण नीति से छूट प्रदान कर दिया जाता है ?
सोनभद्र।जब से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग की कमान संभाली है तभी से वह पूरे सूबे में ताबड़तोड़ दौरा कर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाने का प्रयास करने में लगे हैं पर स्वास्थ्य विभाग में जड़ जमाये कुछ अधिकारी व कर्मचारी हैं कि उनकी मेहनत पर पलीता लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहते।यहां आपका ध्यान सोनभद्र के मलेरिया विभाग की तरफ खींचना चाहते हैं जो पिछले दो तीन वर्ष से बरसात के मौसम व उसके बाद मौसम आधारित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों के कारण मीडिया की सुर्खियों में रहता है और सबसे मजेदार बात यह है कि जैसे ही समय गुजरता है उक्त विभाग की उसी तरह की लापरवाही से बार बार सोनभद्र के कुछ चिन्हित इलाकों में उसी तरह की बीमारियों के फैलने से हर वर्ष लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है।
यहां आपको यह भी बताते चलें कि ऐसा नहीं है कि इन बीमारियों से लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा प्रयास नहीं किया जा रहा ,सरकार द्वारा तो तमाम ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे कि लोगों के जान माल की सुरक्षा की जा सके पर सोनभद्र के मलेरिया विभाग में कार्यरत अधिकारियों की लापरवाही व मलेरिया विभाग में जड़ जमाये कुछ कर्मचारियों की वजह से सरकार के सारे प्रयास विफल हो जा रहे हैं। मलेरिया विभाग की स्थिति इतनी बदतर हो चली है कि लगता है यहाँ उत्तर प्रदेश सरकार के नियम कानून लागू नही होते।
यहां आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के स्थानांतरण की जो नीति घोषित किया है उसके मुताबिक कोई भी समूह क अथवा समूह ख का अधिकारी जिले में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष से अधिक नहीं रह सकता और समूह ग के कर्मचारियों के लिए बनीं नियमावली के मुताबिक कोई भी समूह ग का कर्मचारी एक जिले में सात वर्ष व मंडल में 12 वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत नहीं रह सकता और ऐसा भी नहीं है कि कर्मचारियों के स्थानांतरण सम्बन्धी नियमों में यह सीमा पहली बार जुड़ी है अपितु यह नियम पहले से ही लागू है।यहां आपको यह भी बताते चलें कि किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के लिए एक जिले में अपनी सेवा देने की जो यह सीमा तय की गई है उसकी वजह यह मानी जाती है कि यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जब इस सीमा से अधिक समय तक एक ही स्थान अथवा पटल पर कार्य करेगा तो इस बात की आशंका होगी कि वह स्थानीय परिस्थितियों से सांठगांठ कर जनहित के मुद्दों के जगह पर अपने स्वहित के लिए भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देगा और शायद इसी कारण सरकार ने अपने कर्मचारियों को स्थानांतरित कर इस तरह की आशंका को कमतर करने के प्रयास के तहत ही हर वर्ष कर्मचारियों को स्थानांतरित किया करती है।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर हर वर्ष स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से सोनभद्र के कुछ चिन्हित इलाकों में हालात इतने खराब क्यूँ हो जाते हैं कि लोग रहस्यमयी बुखार या फिर किन्ही अन्य वायरल या बैक्टीरियल बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गवांते हैं और क्या इस तरह के हालात के लिए लंबे समय से जड़ जमाये स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यदि सोनभद्र में कार्य कर रही कुछ सामाजिक संगठनों व बुद्धिजीवी वर्ग की बातों पर भरोशा किया जाय तो निश्चित ही इन तरह की बीमारियों से लोगो की सुरक्षा के लिए नोडल विभाग मलेरिया विभाग के उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो पिछले लगभग 20 वर्षो से एक ही जिले में जमे हुए हैं और स्थानीय लोगों से सांठगांठ कर मलेरिया विभाग ही नही पूरे स्वास्थ्य विभाग को अपनी लाठी से हांक रहे हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि जब पिछले छः वर्षों से भाजपा की सरकार है जिसके मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं जो किसी भी नियम को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं तब सोनभद्र के स्वास्थ्य विभाग खासकर मलेरिया विभाग में कुछ कर्मचारी आखिर लगभग 20 वर्ष से अधिक समय से जड़ जमाये लोगों के स्वास्थ्य के साथ लगातार खिलवाड़ करते रहे और उनका स्थानांतरण नहीं हो पाया।आखिर किसका हाथ उसके पीछे है जिसकी वजह से वह पूरे स्वास्थ्य विभाग को अपने डंडे से हांक रहा है यह भी विचारणीय बिंदु है।अब देखना होगा कि क्या इस वर्ष भी स्वास्थ्य विभाग में जड़ जमाये ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियों का स्थानांतरण होता भी है अथवा इन्हीं लोगों के भरोशे इस जिले को फिर छोड़कर उन्हीं तरह की बीमारियों से लोगों को जूझने के लिए छोड़ दिया जाता है।