सोनभद्र । कभी खनन घोटाला तो कभी पत्थर घोटाला तो कभी जमीन घोटाले को लेकर सुर्खियों में रहने वाला जनपद सोनभद्र अब बिना काम कराए ही लाखों रुपए खर्च करने को लेकर फिर से एक बार सुर्खियों में है। अभी जिले में 300 करोड़ के मनरेगा घोटाले में सीबीआई जांच चल ही रही है परन्तु सोनभद्र में मनरेगा कार्यों में घपले की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अब नया मामला चतरा ब्लॉक के तियरा कला ग्राम पंचायत में मनरेगा से कराए गए कार्यों में लाखों के बंदरबांट का सामने आने से महकमे में खलबली मची है।

तियरा के ग्रामीणों ने कई कार्यों को कराए बगैर ही लाखों का फर्जी भुगतान निकाल लेने की शिकायत पिछले दिनों जिलाधिकारी से की थी। ग्रामीणों की शिकायत को संज्ञान में लेकर जिलाधिकारी ने उपायुक्त मनरेगा अरुण जौहरी से जाँच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया है ।उपायुक्त मनरेगा ने जांच के लिए त्रिस्तरीय समिति गठित की जिसमें खंड विकास अधिकारी चतरा , एपीओ और जूनियर इंजीनियर को शामिल किया गया है।

ग्रामीणों ने शिकायत में कहा है कि मझिगवां संपर्क मार्ग से जितेंद्र देव के घर तक इस सड़क पर जवाहर रोजगार योजना से वर्ष 2002 में काम कराया गया था। उसके बाद से उक्त सड़क पर कोई भी कार्य नहीं हुआ है फिर भी बिना काम कराए वर्ष 2017-18 में मोरंग का काम दिखा कर ग्रामपंचायत द्वारा उक्त सड़क पर 2,37,540 रुपये निकाल लिया गया।

इतना ही नहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इसी तरह गांव के शिव मंदिर से मुख्य मार्ग तक विधायक निधि से बनी सड़क पर मनरेगा का हल्का काम करा कर लाखों रुपए की धनराशि बंदरबांट कर ली गई तथा तियरा कला ग्राम पंचायत के मड़रहिया में तालाब के गहरीकरण पर साढ़े सात लाख का खर्च दिखाया गया है जबकि ग्रामीणों के अनुसार उक्त तालाब से क्षेत्र के एक राइस मिल मालिक ने जेसीबी से मिट्टी निकलवाई और ट्रैक्टर से वही मिटटी अपने राइस मिल परिसर में पटवाया। बाद में जॉब कार्ड धारकों से सेटिंग कर तालाब का गहरीकरण दिखा दिया गया और इसके नाम पर साढ़े सात लाख रुपये सरकारी कोष से भुगतान ले लिया गया।अब देखना होगा कि ग्रामीणों की शिकायत पर घपले की जांच के लिये गठित समिति को जांच में क्या मिलता है? ग्रामीणों को फिलहाल न्याय की उम्मीद है तो घपले के आरोपियों को इस आरोप से बाहर निकलने की आस भी।जो भी हो अब सबकी निगाहें जांच समिति की रिपोर्ट पर लगी हैं।
