सोमभद्र। परीक्षा हमें हमारी कमियों और हमारी ताकत के बारे में बताती है। यह एक ऐसे मित्र की तरह है जो हमे सच्चाई का आइना दिखती है। यदि परीक्षाओं का अस्तित्व न होता तो शायद जिन्दगी में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल हो जाता। परीक्षा ही बच्चों को यह बताती है कि उन्होंने बीते समय मे क्या किया ,कहाँ कमी रह गयी,जिससे कि वह आगे आने वाले समय मे अपनी पिछली कमियों को दूर कर जीवन मे आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर सकें।परन्तु जब परीक्षा, परीक्षा न हो कर केवल खाना पूर्ति हो जाएगी तो देश का भविष्य ही अंधकार मय हो जाएगा।
जी हां आज हम आपको जिस परीक्षा के बारे में दिखाने व बताने जा रहे हैं वह है तो छोटी मगर है काफी महत्वपूर्ण…
जैसे कहा जाता है कि जिस तरह किसी भी मजबूत इमारत के लिए उसके नींव का मजबूत होना जरूरी है, उसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भी प्राथमिक शिक्षा का वही महत्व है ।देखा गया है कि जिस बच्चे की प्राथमिक शिक्षा जितनी मजबूत होगी वह बच्चा आगे चलकर उतना ही मेधावी होता है ।
लेकिन यूपी में सरकारी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है । तभी तो सरकारी स्कूलों में अच्छे घरों के बच्चे पढ़ने नहीं जाते औऱ इस पर गरीबों का स्कूल होने का ठप्पा लगा हुआ है । इतना ही नहीं इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक भी अपने बच्चों के एडमिशन सरकारी स्कूलों में नहीं कराते । क्योंकि वह जानते हैं कि यहां पढ़कर वह भविष्य की तैयारी नही कर पायेगा।
यहां आपको बताते चलें कि प्रदेश में गुरुवार से यूपी बोर्ड परीक्षा के साथ प्राथमिक स्कूल की परीक्षा भी शुरू हो गई है । जहां एक तरफ बोर्ड परीक्षा को नकलविहीन व सकुशल सम्पन्न कराने के लिए शासन से लेकर जिले स्तर पर कई गाइडलाइंस जारी की गई है वहीं प्राथमिक स्कूलों में पढाई की तरह परीक्षा का हाल भी बेहाल ही नजर आ रहा है। विंध्य लीडर की टीम ने कई प्राथमिक स्कूलों में जाकर परीक्षा का जायजा लिया, जहां कई हैरान करने वाली तस्वीर कैमरे में कैद हो गयी ।
सरकारी स्कूलों को लेकर सरकार भले ही तमाम दावे करती हो मगर आज हम जिस खबर को दिखाने जा रहे हैं उसे देखकर सीएम भी हैरान हो जाएंगे । हैरानी इस बात को लेकर कि जिस सरकारी स्कूल की बेहतरी के लिए वे लगातार काम करते रहे स्कूलों के कायाकल्प को लेकर सरकार पूरे कार्यकाल काम करती रही लेकिन उन्हीं के अधिकारी व शिक्षक किस तरह सरकारी स्कूलों को बर्बाद करने में और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में जुटे हुए हैं यह उन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है।
आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि कक्षा 3 में जो अंग्रेजी का पेपर है वही पेपर कक्षा 2 के लिए भी है । इतना ही नहीं एक ही जिले में एक ही विषय के कई तरह के पेपर वितरित किये गए, यानी जिले में कई पेपर तैयार किये गए,जो प्रश्नपत्रों की शुचिता व शिक्षा विभाग कर अधिकारियों की संजीदगी पर सवालिया निशान उठाते हैं।
बदहाली का आलम यह है कि कई बच्चे तो जमीन पर बैठकर परीक्षा देते नजर आए तो कही कहीं बेंच पर बच्चे भूसे की तरह ठूँस ठूँस कर बैठाए गए। वहीं कई स्कूलों में पूरे अध्यापक भी उपस्थित नहीं थे । कई विद्यालयों में अध्यापकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई थी जबकि स्वंय उनके स्कूल में भी परीक्षा चल रही है तो कई विद्यालयों में अध्यापक नदारद मिले । इतना ही नहीं परीक्षा के दिनों में भी बच्चों से काम लिए जाने का मामला भी देखने को मिला।यह सारी तस्वीर परीक्षा के लिए विभाग की संजीदगी बयां करने के लिए काफी है।
कुल मिलाकर जहां एक तरफ बोर्ड परीक्षा में गम्भीरता दिख रही है तो वहीं प्राथमिक स्कूलों में जिस तरह से लापरवाही देखने को मिली, उससे एक बात तो साफ हो गई कि प्राथमिक स्कूलों को सरकार से लेकर अधिकारी तक कितने गंभीरता से लेते हैं ।
बहरहाल अब उम्मीद है कि योगी सरकार अपनी दूसरी पारी में इन सब कमियों से जल्द निजात दिलाएंगे और सरकारी स्कूलों पर गरीबों के स्कूल होने का जो दाग लगा है वह भी जल्द मिट जाएगा ।