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प्रयाग कुंभ मेले में बहायी गयी भ्रष्टाचार की गंगा!

प्रयागराज नगर निगम द्वारा 35 सड़क कार्यों  के  संबंध में भी सामग्री और सम्पादित कार्य का कोई गुणवत्ता  परीक्षण नहीं कराया गया था। इसके अतिरिक्त, कार्यस्थल की प्रयोगशालाओं में ठेकेदारों द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षण के संबंध में लेखा परीक्षा को अभिलेखों में कोई साक्ष्य नहीं मिला। संबंधित विभागों ने कहा कि गुणवत्ता परीक्षण थर्ड पार्टी जांच एजेन्सी द्वारा किया जाना था।

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प्रयागराज । प्रयागराज कुम्भ का कुल बजट तो लगभग 4500 करोड़ का था लेकिन पतित पावनी गंगा, पुण्य सलिला यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर वर्ष 2019 में लगने वाले कुंभ मेले में होने वाले 980.94 करोड़ रुपये के कामों की कथित जांच थर्ड पार्टी से कराई गयी थी। इस तरह केवल एक चौथाई बजट से कम बजट के कार्य ही थर्ड पार्टी ऑडिट के दायरे में थी। विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट की मानें तो थर्ड पार्टी जांच में कई महत्वपूर्ण  गुणवत्ता परीक्षण नहीं किये गए थे और थर्ड पार्टी जांच घपले-घोटाले पर लीपापोती के लिए थी क्योंकि इसके तत्संबंधी जाँच दस्तावेज कैग को उपलब्ध नहीं कराये गये। 

दरअसल 25 फरवरी 2018 को तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर निर्णय लिया गया था कि 980.94 करोड़ रुपये के कामों की जांच थर्ड पार्टी से कराई जाएगी। प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने इस संबंध में संबंधित विभागों को निर्देश भेज दिया था।

सरकार द्वारा बताया गया था कि लोक निर्माण विभाग को 39,641.26 लाख, पावर कार्पोरेशन 151.89, जल निगम 15,564.32 लाख, नगर निगम इलाहाबाद 3,019.93 लाख रुपये का काम दिया गया है। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग को 25 लाख, नगर पंचायत झूंसी 67.06 लाख, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण 7,429.14 लाख, राज्य सड़क परिवहन निगम 195.52 लाख, सेतु निगम 32,000 रुपये काम कराने के लिए दिए गए हैं।

इसके लिए इलाहाबाद विकास प्राधिकरण  (अब प्रयागरराज विकास प्राधिकरण) ने ई-टेंडरिंग के माध्यम से थर्ड पार्टी के चयन की प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें कुल सात फर्मों ने भाग लिया था। इसमें से तीन फर्मों का तकनीकी स्कोर कट ऑफ से ऊपर पाया गया। इन तीन फर्मों में बीएलजी कॉन्सट्रक्शन, टीयूवीएसयूडी तथा मेन हार्ट कम्पनियों द्वारा दिये जाने वाले प्रस्तुतीकरण के बाद टीयूवीएसयूडी का चयन किया गया। कहा जाता है कि  टीयूवीएसयूडी के माध्यम से कुंभ मेला कामों की थर्ड पार्टी जांच कराई गयी।

टीयूवी कम्पनी द्वारा विकसित एक साफ्टवेयर के बारे में दावा किया गया कि समस्त कार्यों के प्रगति की रिपोर्ट सभी विभाग साफ्टवेयर में दिये गये पाठ्य में नियमित रूप अंकित करते रहेंगे, तथा कुम्भ की प्रगति से सम्बन्धित साप्ताहिक समीक्षा बैठकों से लेकर मुख्य सचिव/स्तर से होने वाली सभी बैठकों में कार्य की प्रगति का आंकलन इसी साफ्टवेयर में सभी विभागों की समस्त कार्यों का वर्गीकृत विवरण विकास कार्यों की समयबद्ध प्रगति के अनुसार माइलस्टोन के रूप में अंकित होता रहेगा। जिसकी वास्तविक परीक्षण थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी अपने स्तर से करते हुए समयबद्ध रूप से मण्डलायुक्त और प्रशासन को अवगत कराती रहेगी।

साफ्टवेयर में समस्त कार्यों के समयबद्ध चार्ट के अनुसार मौलिक प्रगति का उल्लेख माइलस्टोन के रूप में दिखता रहेगा तथा कार्य के सापेक्ष अवमुक्त धनराशि के व्यय की भी स्थिति पारदर्शी ढंग से दिखाई देती रहेगी। इस प्रकार कार्य की भौतिक, वास्तविक आख्या गुणवत्ता एवं समयबद्ध अनुपालन के रूप में पारदर्शी ढंग से दिखाई देती रहेगी। इससे विकास कार्यों की समयबद्धता और उनकी गुणवत्ता पर हस्तक्षेप का केन्द्रीय नियंत्रण रहेगा तथा हर विभाग की प्रगति आख्या साफ्टवेयर पर पारदर्शी ढंग से उपलब्ध रहेगी।

ये सब तो दावे थे लेकिन हकीकत में क्या हुआ इसे कुम्भ के दौरान लोक निर्माण विभाग के कारनामों से समझा जा सकता है। थर्ड पार्टी ऑडिट और कथित साफ्टवेयर के बावजूद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में सड़कों के निर्माण में खुलकर मानकों की अनदेखी पकड़ी गई। सड़कों के निर्माण में अफसरों की मिलीभगत से जमकर अंधेरगर्दी की गई। निर्माण खंड-4 (कुंभ मेला) डिवीजन की सड़कों में बिना काम पूरा कराए करोड़ों रुपये का भुगतान करा लिया गया। ठेका फर्मों ने आधा-अधूरा जो काम कराया भी, वह अधोमानक पाया गया है।

कैग की रिपोर्ट में थर्ड पार्टी आडिट के सम्बन्ध में कहा गया है कि भौतिक आधारभूत संरचना बनाने और वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रावधान के लिए गुणवत्ता आश्वासन आवश्यक है जो मेला के लिये सुरक्षित/दुर्घटना-मुक्त  वातावरण उपलब्ध करायेगा। यह प्रयोगशाला परीक्षण की नियमित निर्धारित प्रणाली के साथ-साथ तीसरे पक्ष के निरीक्षण के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना था।

प्रयोगशाला परीक्षण के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन शासनादेश (अगस्त, 1996) सड़क कार्यों की गुणवत्ता परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली निर्धारित करता है। प्रणाली में सम्मिलित था कि 25 प्रतिशत परीक्षण नमूने, अनुसंधान विकास और गुणवत्ता संवर्धन सेल एवं अनुसंधान संस्थान लखनऊ भेजे जायेंगे, 25 प्रतिशत परीक्षण नमूने क्षेत्रीय प्रयोगशाला, मेरठ143 भेजे जायेंगे और शेष 50 प्रतिशत परीक्षण नमूने गुणवत्ता परीक्षण के लिए जिला प्रयोगशालाओं को भेजे जायेंगे। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक अनुबंध में यह प्रावधान भी है कि ठेकेदार निर्धारित विशिष्टियों के अनुसार अनिवार्य परीक्षण करने के लिए कार्यस्थल पर एक प्रयोगशाला स्थापित करेगा।

लेखापरीक्षा ने हालांकि यह देखा कि लोक निर्माण विभाग द्वारा निष्पादित किए गए नमूना जांच के 24 सड़क कार्यों में से किसी के भी संबंध में अनुसंधान विकास और गुणवत्ता संवर्धन सेल, अनुसंधान संस्थान और जिला  प्रयोगशालाओं के माध्यम से निर्धारित गुणवत्ता परीक्षण नहीं कराये गये थे।

प्रयागराज नगर निगम द्वारा 35 सड़क कार्यों  के  संबंध में भी सामग्री और सम्पादित कार्य का कोई गुणवत्ता  परीक्षण नहीं कराया गया था। इसके अतिरिक्त, कार्यस्थल की प्रयोगशालाओं में ठेकेदारों द्वारा किए गए गुणवत्ता परीक्षण के संबंध में लेखा परीक्षा को अभिलेखों में कोई साक्ष्य नहीं मिला। संबंधित विभागों ने कहा कि गुणवत्ता परीक्षण थर्ड पार्टी जांच एजेन्सी द्वारा किया जाना था।

शासनादेश (अगस्त, 1996) के अनुसार, गुणवत्ता परीक्षण की प्राथमिक जिम्मेदारी स्वयं विभाग के पास थी और शासनादेश द्वारा निर्धारित प्रणाली को तीसरे पक्ष के निरीक्षण द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया गया था। इस प्रकार, थर्ड पार्टी के निरीक्षण का कुम्भ मेला कार्यों के लिए अनिवार्य गुणवत्ता आश्वासन परीक्षणों से बचने के लिए उपयोग किया गया था और संबंधित विभाग द्वारा आवश्यक निरीक्षण को कमजोर किया गया था, जो कि शासनादेश का एक गंभीर उल्लंघन था। (143 जिन क्षेत्रों में क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां 25 प्रतिशत परीक्षण नमूने अनुसंधान विकास और गुणवत्ता संवर्धन सेल एवं अनुसंधान संस्थान को भेजे जाने थे।)

शासन ने बताया (मई 2020) कि सभी कार्यों के संबंध में गुणवत्ता परीक्षण थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा किए गए थे। यह भी कहा कि ठेकेदारों ने अपनी प्रयोगशालाओं में आवश्यक गुणवत्ता परीक्षण भी किए थे और कुछ मामलों में, मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद के माध्यम से गुणवत्ता परीक्षण किए गए थे। हालांकि, सरकार ने उन परिस्थितियों की व्याख्या नहीं की, जिनके तहत अनुसंधान विकास और गुणवत्ता संवर्धन सेल,  अनुसंधान संस्थान तथा जिला प्रयोगशालाओं के माध्यम से गुणवत्ता परीक्षण नहीं किये गये थे।

थर्ड पार्टी के निरीक्षण के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने कार्यों की गुणवत्ता बनाये रखने एवं प्रयोग की जाने वाली सामाग्रियों की गुणवत्ता का अनुश्रवण किये जाने हेतु एक स्वतंत्र एजेंसी (थर्ड पार्टी जांच एजेंसी) को लगाया, जिससे अभिलक्षित विशिष्टियों के अनुरूप उत्पाद प्राप्त हो सके। थर्ड पार्टी जांच एजेंसी के कार्य-क्षेत्र निर्देशों के अनुसार, थर्ड पार्टी जांच एजेंसी को तकनीकी विशिष्टियों के अनुसार सभी कार्यों की  गुणवत्ता का आश्वासन एवं प्रमाणीकरण किया जाना था।

लेखा परीक्षा द्वारा नमूना जांच किये गये सड़क के 59 कार्यों में से 30 कार्यों से सम्बंधित थर्ड पार्टी जाँच एजेंसी की गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट लेखापरीक्षा को उपलब्ध नहीं करायी गई, परिणाम स्वरूप इन सड़क के कार्यों की गुणवत्ता के बारे में कोई भी आश्वासन नहीं दिया जा सकता। शेष नमूना जांच किये गये सड़क के 29 कार्यों में लेखापरीक्षा द्वारा यह देखा गया कि चार सड़क के कार्यों का थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा कोई गुणवत्ता परीक्षण नहीं किया गया था, जबकि 25 सड़क के कार्यों में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी द्वारा 80 प्रतिशत से 96 प्रतिशत तक के आवश्यक  गुणवत्ता परीक्षण नहीं किये गए थे।

थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा नहीं किये गए महत्वपूर्ण परीक्षणों में कैलिफोर्निया बीयरिंग अनुपात परीक्षण एवं ग्रेनुलर सतह में नमी की उपलब्धता और बाइन्डर की गुणवत्ता, बाइन्डर के फैलाव की दर, एग्रीगेट की जल अवशोषण  क्षमता, प्लास्टीसिटी इन्डेक्स, बिटुमिनस कार्य के सम्बन्ध में मिक्स ग्रेडिंग एवं मिक्स की स्थिरता परीक्षण सम्मिलित थे।

लेखापरीक्षा ने अग्रेतर यह देखा कि थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा जांचे गये सभी कार्यों में कम से कम एक कमी सूचित की गयी थी तथा आवश्यकता के अनुसार सुधार और/या ठेकेदार पर जुर्माना लगाये जाने का सुझाव दिया। हालांकि, लेखापरीक्षा थर्ड पार्टी जांच एजेंसी की रिपोर्ट पर लोक निर्माण विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की जांच नहीं कर सका क्योंकि लोक निर्माण विभाग की ओर से थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा इंगित की गयी गई कमियों के कारण ठेकेदारों पर लगाए गए कार्य-वार जुर्माने से सम्बंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये। इसके अतिरिक्त,  अस्थाई प्रकृति के कार्यों के सम्बन्ध में थर्ड पार्टी जाँच एजेंसी ने दृष्टिक निरीक्षण किया तथा विभाग द्वारा उसके अनुसार खराब गुणवत्ता की सामाग्रियों एवं कार्यकुशलता के कारण ठेकेदारों/आपूर्तिकर्ताओं पर 52.01 करोड़ की वसूली अधिरोपित की गयी। राज्य सरकार ने बताया (मई 2020) कि अनुबन्ध के अनुसार थर्ड पार्टी जांच एजेंसी द्वारा समस्त गुणवत्ता परीक्षण किये गये थे।

उत्तर मान्य नहीं था क्योंकि थर्ड पार्टी जाँच एजेंसी द्वारा कई महत्वपूर्ण गुणवत्ता परीक्षण नहीं किये गए थे। 30  सड़क कार्यों की गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट एवं ठेकेदारों पर खराब सड़क कार्य कराये जाने के कारण लगाये गए दण्ड से सम्बन्धित अभिलेख लेखापरीक्षा को उपलब्ध नहीं कराये गये थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की इलाहाबाद से रिपोर्ट।)

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