सोनभद्र।रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून,पानी गए न ऊबरै मोती मानुस चून।रहीम दास की यह चौपाई सोनभद्र की ग्राम पंचायतों पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। गर्मी प्रारंभ होते ही सोनभद्र की लगभग तीन चौथाई ग्राम पंचायतों के लोग पीने के पानी के लिए काफी जद्दोजहद करते नजर आते हैं। और सरकारी अमले के लिए जैसे यही सही वक्त होता है अपनी कारस्तानी को अंजाम देने का।जनहित के नाम पर कुछ भी कर जाओ क्या फर्क पड़ता है।आखिर पेयजल पर पानी की तरह धन बहाया जा रहा है और परिणाम वही ढाक के तीन पात।

ग्रामीणों की मानें तो न ही सरकार के नुमाइंदों द्वारा हैंडपंपों की मरम्मत की जाती है और न ही पेयजल आपूर्ति का अन्य कोई उपाय और जो कुछ हैण्डपम्प पानी दे भी रहे होते हैं उनपर इतना लोड बढ़ जाता है कि वह खराब हालत में काफी दिनों तक बंद पड़े रहते हैं और उनकी मरम्मत भी नहीं की जाती है।यह तो बात हुई ग्रामीणों की जो धरातल पर दिखाई दे रही हैं, परन्तु सरकारी आंकड़े बिल्कुल इसके उलट हैं।सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22जो अभी 31 मार्च के बाद प्रारम्भ हुआ है में कई ग्राम पंचायतों में केवल रिबोर के नाम पर प्रति रिबोर किसी में एक लाख बीस हजार (1,20,000) रुपये तो किसी मे एक लाख तीस हजार (1,30,000) तो किसी मे एक लाख दो हजार रुपये(1,02,000) ब्यय किये गए हैं।इतना ही नहीं किसी रिबोर पर एक लाख पैसठ हजार तो किसी पर एख लाख अट्ठासी हजार तो किसी पर एक लाख पचास हजार रुपये भी व्यय किया गया है।जैसे अशोक के घर के पास रिबोर पर 1,66,582.0 रुपये(एक लाख छाछठ हजार पांच सौ बयासी रुपये)और प्राथमिक विद्यालय आवइ के प्रांगण में रिबोर पर 1,98,887.0रुपये तो मिठाई के घर के पास हुए रिबोर पर 1,17,689.0रुपये ब्यय दर्शाया गया है।

यहां ध्यान देने योग्य यह बात भी है कि इसी जनपद में जिलापंचायत ने नए हैंडपंपों के अधिष्ठापन पर प्रति हैंडपंप मात्र 79,076.0रुपये खर्च किया है जिसमे 300 फीट बोरिंग व इंडिया मार्का हैण्डपम्प तथा उसका फाउंडेशन निर्माण भी किया जाता है।अब सवाल उठता है कि जब इतने कम कीमत में जिला पंचायत पूरा हैंडपंप बोरिंग सहित लगा रही है तो ग्राम पंचायत केवल रिबोर पर इतना व्यय कैसे कर रही है जबकि रिबोर के बाद पुराने हैंडपंपों की सामग्री उसमें यूज करनी है।

प्रधान व सचिव का तर्क है कि हम लोग गहरी बोरिग कराते हैं ,तो यहां यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि जब इतनी गहरी बोरिंग हो रही है तो फिर हैंडपंप गर्मी का मौसम प्रारंभ होते ही पानी क्यों छोड़ दे रहे हैं? और गर्मियों के मौसम में उन्ही गहरी बोरिंग के नाम पर जिलापंचायत से दुगुनी रकम खर्च करने वाली ग्राम पंचायतों में टैंकरों से जल आपूर्ति के नाम पर फिर धन का व्यय किया जाता है ।आप समझ रहे हैं कि वजह क्या हो सकती है?

इस जिले में रीबोर के नाम पर जमकर खेल हो रहा है, केवल कुछ ग्राम पंचायतों में ही नहीं हर ग्राम पंचायत में यही खेल चल रहा है।ऐसा लगता है कि पंचायत विभाग में रिबोर के नाम पर लूट मची है।लाख कहे योगी सरकार की हम जीरो टॉलरेंस पर कार्य करने की कार्य संस्कृति विकसित करेंगे परन्तु पंचायत विभाग की कार्यप्रणाली देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि इन्हें भाजपा सरकार में भी कोई डर है।
