
सोनभद्र। जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एड0 ने आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच मंगलवार को जिले के विभिन्न विभागों समेंत एक निजी लिमिटेड कंपनी पर सांटगांठ के तहत भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए एक बड़ा हमला बोला है। उपशा के सीईओ समेत खनन, परिवहन, पुलिस तथा वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजे गए शिकायती पत्रक में एस.एच. 5ए के लोढ़ी टोल प्लाजा, वन विभाग, खनन विभाग, परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग के स्थानीय कर्मियों द्वारा सिंडिकेट बनाकर फैलाए जा रहे भ्रष्टाचार पर जमकर प्रहार किया गया है।

जदयू जिलाध्यक्ष पटेल का स्पष्ट कहना है कि सोनभद्र में एस.एच. 5ए के किमी0 72 पर लोढ़ी में स्थापित टोल प्लाजा द्वारा जारी सूची को आधार बनाकर परिवहन विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर ओवरलोड वाहनों का चालान कर करोड़ों रू0 की राजस्व वसूली की जा रही है, जो राजस्व हित में सराहनीय कदम तो है, किंतु इसी की आड़ में इस वसूली से भी कई गुना बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व अवैध वसूली का खेल भी अपने चरम पर संचालित है। जब उनके द्वारा इसकी तह में जाने का प्रयास किया गया तो पता चला कि टोल प्लाजा के जिम्मेदार अधिकारियों एवं परिवहन विभाग की गहरी सांट- गांठ के तहत भष्टाचार का पूरा खेल संचालित है। इसी सुनियोजित नीति के तहत भ्रष्टाचार के खेल में संलिप्त ट्रकों से अवैध वसूली के बल पर उन्हें टोल प्लाजा से बिना पंजीयन नंबर के ही (A/F के नाम पर मिलीभगत के तहत) पार करा दिया जाता है। इतना ही नहीं आश्चर्यजनक रूप से ऐसी A/F वाली ओवरलोड ट्रकों पर 10-12 हजार रू0 प्रतिमाह की अवैध वसूली के बल पर परिवहन विभाग की कदापि नजर नहीं पड़ती है।

सोनभद्र के खनन विभाग, वन विभाग व परिवहन विभाग का ऐसा सिंडिकेट बन चुका है कि सामान्य स्थिति में लोढ़ी टोल प्लाजा से A/F के नाम पर निकलने वाली ट्रकों पर किसी की भी नजर नहीं पड़ती है। किंतु जैसे ही कोई ट्रक 10-12 हजार का बिना चढ़ावा चढ़ाए ही अपने पंजीयन नंबर से चलती है तो उस ट्रक को परिवहन विभाग द्वारा पकड़ लिया जाता है और फिर ट्रक के मालिक से मंडवाली शुरू हो जाती है और मांडवाली असफल होने पर तुरंत ही खनन एवं वन विभाग को भी बुला लिया जाता है, और फिर सारे विभाग मिलकर उक्त ट्रक पर लाखों रू0 राजस्व की देनदारी थोप देते हैं। यहीं हाल खनन व वन विभाग का भी है। जो कोई भी किसी ट्रक को पकड़ता है तो बाकी दोनों विभागों को बुला लेता है और तीनों विभाग मिलकर ट्रक के उपर कार्रवाई पूरा करते हैं।
जिलाध्यक्ष जनतादल यूनाइटेड सन्तोष पटेल का यह भी आरोप है कि ट्रक संचालकों के आर्थिक शोषण व भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा तो तब हो जाती है जब उक्त तीनों विभागों की मनमानी से अगर कोई ट्रक बच जाती है तो सड़क के किनारे स्थापित थानों की पुलिस रोककर यह तस्दीक करती है कि उनके थाने/ चौकी की मासिक इंट्री है कि नहीं। यदि है तो कोई बात नहीं, परंतु नहीं है तो 40- 50 हजार रू0 की तुरंत मांग की जाती है। ट्रक मालिक द्वारा पुलिस की उक्त अवैध मांग पूरा न किए जाने की स्थिति में संबंधित थाने/ चैकी की पुलिस द्वारा तुरंत ही परिवहन, खनन तथा वन विभाग के अधिकारियों को बुलाकर लाखों रू0 का चालान करा दिया जाता है।

जदयू जिलाध्यक्ष के दावों की बात करें तो इनके द्वारा उक्त पूरे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने की नियति से आवश्यक जानकारी सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 के तहत परिवहन विभाग व उपशा से मांगी गयी तो भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की मंशा से परिवहन विभाग द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा- 8 का सहारा लेकर तथा तदुपरांत उ0 प्र0 सूचना अधिकार नियमावली- 2015 की धारा 4 (2) का उल्लेख करते हुए वांछित सूचना देने से मना कर दिया गया। इसी दौरान उपशा के जन सूचना अधिकारी द्वारा विभिन्न पत्रों की रोशनी में बताया गया कि मेसर्स ए0सी0पी0 टोलवेज प्रा0 लि0, लखनऊ द्वारा वांछित सूचना उपशा को नहीं दी गयी है। इतना ही नहीं वांछित सूचना उपशा द्वारा मांगे जाने के बावजूद भी टोलवेज कंपनी द्वारा न उपशा को जानकारी दी गयी और न ही श्री पटेल को वांछित सूचना मिली। इसके बावजूद उक्त सारी सूचनाएं परिवहन विभाग को किस नियम के तहत और क्यों प्रदान कर दी जाती है। अगर सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा- 8 की बात करें तो हास्यास्पद है कि उपशा के अधीन कार्यरत कंपनी द्वारा उपशा की बजाय किस आधार पर तीसरे व्यक्ति (Third Party अर्थात् ओवरलोड परिवहन करने वाले ट्रकों के पंजीयन) की सूचना परिवहन विभाग को दे दी जाती है और इसे दिए जाने का औचित्य क्या है।

सच तो यह है कि यहां पर पूरा खेल उक्त समस्त विभागों द्वारा पंजीयन नंबर बनाम A/F पंजीयन नंबर वाली ट्रकों का है। जिसमें कूटरचित एवं फर्जी A/F पंजीयन नंबर वालों को उक्त समस्त विभागों के समस्त संबंधित लोगों का खुला प्रश्रय प्राप्त है। अगर केवल परिवहन विभाग के नियमों की बात करें तो बिना पंजीयन के कोई वाहन एजेंसी से बाहर ही नहीं जा सकता और इसीलिए वाहन के पंजीयन की सारी जिम्मेवारी वाहन एजेंसी को प्रदान की गयी है। ऐसे में लोढ़ी टोल को सैकड़ों वाहन बिना पंजीयन के प्रतिदिन किस प्रकार से पार कर जाते हैं। सबसे बड़ी बात यहां यह है कि पूरा परिवहन विभाग सो रहा है और स्थानीय ARTO को भी कुछ दिखायी नहीं देता है।
ऐसे में श्री पटेल की स्पष्ट मांग है कि लोढ़ी टोल प्लाजा, मेसर्स ए0सी0पी0 टोलवेज प्रा0 लि0, परिवहन विभाग, खनन विभाग, वन विभाग तथा पुलिस विभाग के लोगों के बीच ऐन-केन-प्रकारेण आपसी सांट- गांठ के बल पर स्वहित में भ्रष्टाचार एवं अवैध वसूली का खुला खेल खेलने वालों की केवल और केवल विगत 01- 02 वर्षों की वैयक्तिक/ पारिवारिक संपत्तियों की उच्च स्तरीय जांच करा ली जाय तो स्वतः ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
