पंजीकरण रद्द होने के बावजूद संचालित हो रहे निजी अस्पताल, प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल

सोनभद्र: मानवाधिकार आयोग में शिकायत पर कि जिले में कुछ अस्पतालों तथा पैथोलॉजी सेंटरों का संचालन मानक विहीन किया जा रहा है, इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी को जांच करने का आदेश जारी किया जिस पर जिले के कुछ निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी की जांच करवायी जिसमें मानक विहीन संचालित कुछ पैथोलॉजी तथा हास्पिटल का पंजीकरण रद्द किए जाने का फैसला लिया गया परंतु उक्त आदेश केवल काग़ज़ी पन्ना साबित हो रहा क्योंकि उक्त लगभग सभी हास्पिटल तथा पैथोलॉजी सेंटर धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय द्वारा जारी आदेश के बावजूद इन अस्पतालों का संचालन कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। क्योंकि जिले में एक नोडल अधिकारी की तैनाती है जो प्राइवेट अस्पतालों तथा पैथोलॉजी सेंटर की निगरानी का कार्य करते हैं, ऐसे में जिन हास्पिटल व पैथोलॉजी जांच केंद्रों का पंजीयन निरस्त कर दिया गया है उनका संचालन पाया जाना अवश्य ही जिम्मेदार लोगों को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।
यहां आपको बताते चलें कि मुख्य चिकित्साधिकारी, सोनभद्र द्वारा 28 नवंबर 2024 को जारी एक आदेश में बताया गया कि मानव अधिकार आयोग, लखनऊ में दायर शिकायत के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कुछ अस्पतालों का निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि ये अस्पताल और पैथोलॉजी नियमानुसार संचालित नहीं हो रहे थे, जिसके चलते इनका पंजीकरण निरस्त कर दिया गया। संबंधित प्रबंधकों को निर्देश दिया गया कि वे अपने प्रतिष्ठानों को तुरंत बंद कर दें और बोर्ड हटाकर संचालन रोक दें।

आदेश के बावजूद चल रहे प्रतिष्ठान:
विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार की पंजीकरण रद्द होने के बावजूद कई अस्पताल खुलेआम संचालित हो रहे हैं जिनमें राबर्ट्सगंज और पिपरी रोड समेत अन्य स्थानों पर स्थित त्रिशा, सदगुरु, संकेत, दुर्गा पॉली, श्याम, परमहंस, आकृति, बालाजी और पब्लिक पैथोलॉजी आदि शामिल हैं,पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने संज्ञान लिया और पत्र जारी कर कहा कि यदि दुबारा उक्त अस्पताल संचालित पाया गया तो बिना किसी नोटिस के उन पर एफ आई आर दर्ज करवा दिया जाएगा ।

प्रशासन की सख्ती पर उठे सवाल:
आदेश के उल्लंघन और अस्पतालों के चालू रहने पर नोडल अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। प्रशासन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि पंजीकरण रद्द किए जाने के बाद अगर कोई अस्पताल संचालित पाया गया, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।इसके बावजूद इनके संचालित रहने से लोगों में य़ह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि अखिर जिन प्रतिष्ठानों का पंजीयन समाप्त करते हुए उन्हें बंद करने का फैसला लिया गया है वह किसके शह पर संचालित हो रहे ?

नोडल अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की जांच का दायरा:
स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर उनकी जांच कितनी प्रभावी है। क्या नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित कर पा रहे हैं कि आदेश का पालन हो रहा है? पंजीकरण रद्द होने के बावजूद इन प्रतिष्ठानों का संचालन कैसे संभव है?

अंतिम चेतावनी जारी:
सीएमओ कार्यालय ने इन अस्पतालों को एक बार फिर अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर प्रतिष्ठानों को तत्काल बंद नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ बिना सूचना दिए एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
प्रशासन की साख पर संकट:
इस पूरे प्रकरण ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इन निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई करता है।
— संवाददाता, सोनभद्र