आर एस एस से बचकर रहिएगा – नीतीश

पटना में कलम दवात क्लब द्वारा आयोजित जेपी की कहानी नीतीश की जुबानी कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कहा। मौके पर मौजूद भीड़ से मुख्यमंत्री ने पूछा कि बापू की हत्या किसने की? भीड़ से यह प्रत्युत्तर आया कि आरएसएस। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों से सावधान रहिए।
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि आजादी की लड़ाई में जिसकी कोई भूमिका नहीं रहे वे लोग आज बंदेमातरम कर रहे। राजधानी स्थित बापू सभागार में मंगलवार को कलम दवात क्लब द्वारा आयोजित जेपी की कहानी, नीतीश की जुबानी कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कहा। मौके पर मौजूद भीड़ से मुख्यमंत्री ने पूछा कि बापू की हत्या किसने की? भीड़ से यह प्रत्युत्तर आया कि आरएसएस। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों से सावधान रहिए।


देश में झगड़ा लगाया जा रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल देश में कितना झगड़ा लगाया जा रहा। समाज की एकजुटता के खिलाफ काम हो रहा। अगर जेपी को याद रखते हैं तो जेपी के विचारों को याद कीजिए। हम सभी लोगों के लिए काम कर रहे। समाज के हर तबके के लिए काम किया। पहले कितनी कम लड़कियां स्कूल जातीं थी। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों के लिए काम किया। महिलाओं केे लिए पंचायती राज व्यवस्था और नगर निकाय चुनाव में आरक्षण दिया।

काम नहीं करने वाले प्रचार कर रहे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग काम करने वाले नहीं हैं वह काम पर प्रचार कर रहे। अलर्ट रहिए ऐसे लोगों से। अति पिछड़ों के आरक्षण की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काफी पुरानी बात है। तीन बार आरक्षण के साथ नगर निकाय चुनाव हो चुके हैं। हम रात दिन समाज के हर तबके के लिए काम कर रहे। समाज बदल रहा है। सबके उत्थान के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि जेपी को हम हमेशा याद रखते हैं। जेपी आजादी की लड़ाई में लोहिया के साथ थेे। जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति की बात कही तो उसके दो दिन बाद उन्होंने यह कहा कि लोहिया की सप्त क्रांति ही ही संपूर्ण क्रांति है। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजक जदयू के पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणवीर नंदन को यह परामर्श दिया कि गांधी मैदान में जेपी ने जो भाषण दिया था उसे घर-घर पहुंचा दीजिए।

जेपी किसी के खिलाफ नहीं थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी ने सभी विरोधी पार्टी को एकजुट होने को कहा। इसके बाद जनता पार्टी अस्तित्व में आ गयी। कांग्रेस चली गयी। पर 1977 के बाद सब आपस में ही लड़ने लगे। जेपी के किसी के खिलाफ नहीं थे। वह समाजवादी विचाराधारा के थे। जेपी के साथ अपने पुराने दिनों को याद करते हुए मु्ख्यमंत्री ने कहा कि जो 14 लोग उनकी कमेटी में थे उनमें मैं भी था। जब 1974 में जेपी गांधी मैदान संबोधन के लिए पहुंचे तब पांच लाख से अधिक लोग गांधी मैदान में जमा थे।