निर्विरोध घोषित सीटों पर चुनाव की मांग – अजय भाटिया
नोटा का विकल्प रहते किसी को निर्विरोध निर्वाचित करना न्यायोचित नहीं
सोनभद्र। मतदान का अधिकार हर भारतीय मतदाता का संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है। किसी भी चुनाव में नोटा का विकल्प रहने के बाद किसी भी अकेले प्रत्याशी को बिना चुनाव कराये निर्विरोध निर्वाचित घोषित करना न्यायोचित नहीं है और यह मतदाताओं के मतदान के अधिकार को भी प्रभावित करता है। यह मानना है सामाजिक संस्था प्रयास सामाजिक सेवा समिति के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार अजय भाटिया का।
वर्तमान में चल रही लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया में देश के कुछ निर्वाचन क्षेत्र में एक मात्र प्रत्याशी रहने के कारण चुनाव आयोग ने उसे नोटा का विकल्प रहते हुए भी बिना चुनाव कराये निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया है जो न्यायोचित नहीं है। इस पर महामहिम राष्ट्रपति , सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को पुनर्विचार कर ऐसी सीटों पर नये सिरे से चुनाव कराना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में श्री भाटिया ने एक व्यक्ति को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने से रोकने और एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले लोगों के पक्ष में मतदान न करने की अपील देश के मतदाताओं से की थी। साथ ही दो स्थानों से जीतकर एक स्थान से त्याग पत्र देने वाले प्रतिनिधि और उसके राजनैतिक पार्टी से उप चुनाव का पूरा खर्चा वसूलने के साथ ही बिना उपचुनाव कराये ही दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी को विजेता घोषित कर सेवा का अवसर दिये जाने की मांग की थी।