नगर पालिका व नगर पंचायतों में चुनाव का नगाड़ा बजते ही चुनावी सरगर्मी हुई तेज
(समर सैम)
—जगह जगह लटकते होर्डिंग व पोस्टर करा रहे चुनाव का आभाष
जनपद सोनभद्र में नगर निकाय चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज़ हो चुकी है। गिरगिट की तरह रंग बदलते नेता और ऊंठ की तरह करवट बदलते मतदाताओं के बीच दारू, मुर्गा और साड़ी के साथ गांधी जी का जयकारा शुरू हो चुका है।
घाघ नेता सियासी पार्टी के प्रत्याशियों की लिस्ट में शामिल होने के लिए तमाम पार्टियों की चौखट पर दावेदारी हेतु हाज़िरी दे रहे हैं। प्रमुख पार्टियों के आकाओं से टिकट हासिल करने के लिए तरह तरह के हथकण्डे अपनाये जा रहे हैं । इसीलिए मठाधीशों द्वारा भावी प्रत्याशियों का पार्टी से टिकट दिलवाने के नाम पर जमकर शोषण भी किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अभी से ही गिरगिटिया नेता चेयरमैनी के लिए जनता दरबार में हाज़िरी भी लगाने लगे हैं।
नेताओं द्वारा बार बार छले जाने के कारण इस बार जनता स्यानी हो चुकी है। जनता अपना वोट सोच विचार के देने का पूरी तरह मंसूबा बना चुकी है।ऐसा लगता है कि कुर्सी के चक्कर में घन चक्कर हो गये निकाय चुनाव के भावी प्रत्याशी। कुर्सी पाने के चक्कर में प्रत्याशी जनता के द्वार पर दण्डवत होना चालू कर दिए हैं। इस सोच से जनता व राजनीतिक पार्टी के लुभाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जिससे पार्टी का टिकट व जनता की कृपा प्रत्याशी पर जमकर बरसे।
बताते चलें कि जैसे ही नगर में निकाय चुनाव की सीट घोषित होती है वैसे ही सारे प्रत्याशियों द्वारा पिकनिक पार्टी चालू कर दिया जाता है। इस बार के नगर पालिका चुनाव में कुछ गाँव भी नगर पालिका की सीमा में शामिल हो गयें हैं। नगर और गांव के लोग भी इनकी पार्टी का मजा लेने पहुचते हैं। बाकी जनता समझदार है,चुनाव के दरम्यान प्रत्याशियों की जेब ढीली करने पर आमादा रहती है। वो तो अपना बहुमूल्य मत अपने ही हिसाब से उन्हें देती है जो उस लायक होता है। फिर भी प्रत्याशी अपना दमखम दिखाने से पीछे नही हटते। इसके लिए खर्चा तो भरपूर करते हैं।
जितने भी भावी प्रत्याशी हैं अपने प्रचार प्रसार में कोई भी कमी नही रख रहे। नगर में व गांव के चट्टी चौराहे पर बैनर, बोर्ड, बड़े बड़े होर्डिंग टँगे हुए साफ देखे जा सकतें हैं। मजे की बात ये है कि जो चुनाव के लिए ताल ठोक रहे हैं, वो इस समय सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ के हिस्सा ले रहे हैं। जिसको देखो वही सबसे बड़ा समाजसेवी बनने पर आमादा है। चतुर स्यानी लोमड़ी की भांति भावी प्रत्याशियों द्वारा अचानक से सामाजिक सरोकार के कामों में बढ़चढ़ कर तन, मन, धन से हिस्सा लेना फिर चुनाव के बाद विलुप्त हो जाना ये थोड़ा अजीब लगता है। वैसे आपको पूछना भी नही पड़ेगा कि हर तिराहे एवं चौराहे पर जो व्यक्ति लोगो के बीच खड़ा विकास के लम्बे चौड़े ढींगे मार रहा है उसे देखकर आप खुद बता सकते हैं कि वह प्रत्याशी है। अब देखना यह है कि इस बार जनता अपना फैसला किस पार्टी एवं प्रत्याशी को देती है। खैर हारजीत का फ़ैसला आने वाला समय करेगा कि ऊंठ किस करवट बैठेगा।