देहरादून जिले के त्यूणी में हुए भीषण अग्निकांड से सब हिल गए हैं. इस अग्निकांड में चार बच्चियों की जिंदा जलकर मौत हो गई है. इस अग्निकांड के दौरान आपदा राहत तंत्र के फेल होने के भी समाचार हैं, जो दुखद है. ऐसा पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में आपदा तंत्र राहत के समय फेल हुआ हो.
हिमाचल प्रदेश से आया फायर ब्रिगेड भी नहीं आ सका काम
देहरादून । राजधानी देहरादून के त्यूणी में हुए अग्निकांड ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है. कैसे जरूरत पड़ने पर आपदा प्रबंधन पूरा फेल हो गया, इसका जीता जागता उदाहरण 6 अप्रैल को पूरे राज्य ने देखा. हम भले ही बड़ी-बड़ी बातें और दावे करते हों लेकिन हकीकत यही है कि चार जिंदा बच्चियां आग की लपटों में चिल्लाते रहे, घर में धमाके होते रहे लेकिन आसपास पानी और बचाव कार्य की व्यवस्था ना होने की वजह से आज उन बच्चियों की हड्डियां भी मिलनी मुश्किल हो गई हैं.
राहत के समय फेल हुआ आपदा प्रबंधन तंत्र: घटना के बाद तमाम अधिकारी मौके का मुआयना कर रहे हैं. लेकिन सरकार और सिस्टम को यह सोचना होगा कि उत्तराखंड का उत्तरकाशी, जोशीमठ हो या कोई भी सीमावर्ती क्षेत्र, वहां आज भी कई घर ऐसे हैं जहां पर एक चिंगारी पूरे घर को जलाकर राख कर सकती है. विकासनगर में हुए इस हादसे में तो सिलेंडर के साथ ब्लास्ट भी हुए हैं.

सिलेंडर ब्लास्ट के साथ ही मकान ने पकड़ी आग: ये हम सबने देखा कि आग कितनी भयानक थी और कैसे पूरा का पूरा मकान आग के गोले में तब्दील हुआ. ये मकान ओल्ड त्यूणी बाजार पुल के पास रिटायर्ड शिक्षक सूरत राम जोशी का था. हादसा 6 अप्रैल 2023 को शाम 4 बजे के आसपास हुआ. इस दो मंजिला आवासीय भवन की रसोई में रखे गैस सिलेंडर के लीक होने से आग लग गई और चंद मिनटों में ही मकान में ब्लास्ट होने लगे. जबतक आसपास के लोग कुछ समझ पाते तबतक मकान के चारों तरफ से भयानक आग की लपटें सभी को डराने लगी थीं.
जिंदा जल गईं चार बच्चियां: पहले किसी को मालूम नहीं था कि घर में 4 बच्चे मौजूद हैं. आग लगने की शुरुआत में घर से दो से तीन मिनट तक तो चिल्लाने और चीखने की आवाजें आईं लेकिन उसके बाद सब कुछ शांत हो गया. तीन सगी बहनों की तीन बेटियां उस वक्त एक ही कमरे में खेल रही थीं. इनके साथ किराएदार की भी एक बेटी मौजूद थी.

आग ने नहीं दिया संभलने का मौका: आग इस तरह अचानक फैली कि कुछ भी समझने का मौका नहीं मिला. पूनम, कुसुम और संजना इन्हीं तीन सगी बहनों के तीन बच्चे इस अग्निकांड में झुलसकर स्वाहा हो गए. जिस वक्त आग लगी उस वक्त कुसुम ने आग बुझाने और बच्चों को बचाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी खतरनाक थी कि वो कुछ भी नहीं कर सकी और वो भी झुलस गई. फायर ब्रिगेड की टीम ने कुसुम के साथ ही घर में फंसे हुए चार लोगों को किसी तरह बाहर निकाला. कुसुम की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है.
बच्चों का विवरण-

रेस्क्यू शुरू करते ही खत्म हुआ फायर ब्रिगेड का पानी: घटना के बाद आसपास हड़कंप मच गया. फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई. फायर ब्रिगेड घटनास्थल पर पहुंची तो, लेकिन चंद मिनटों में ही उसका पानी खत्म हो गया. हैरानी की बात ये है कि जिस जगह घटना हुई उसके ठीक नीचे नदी बहती है. इस बीच ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभाला और 6 किलोमीटर नीचे उतरकर पानी लेने गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी. सिस्टम की लापरवाही के खिलाफ ग्रामीणों ने अपना आक्रोश भी जताया है. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन की तैयारियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस अग्निकांड में आग बुझाने के लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल से फायर ब्रिगेड को बुलवाना पड़ा.