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टाटा : एक ‘ भले आदमी ’ जो अखबार हॉकर से भी करते थे बातचीत , जरूरत पड़ने पर की थी उसकी मदद

मुंबई । 10 अक्टूबर  24 । मुम्बई में अखबार वितरित कर के अपने परिवार का जीविकोपार्जन करने वाले हरिकेष (39) को बुधवार तक लगता था कि वैश्विक महामारी कोविड-19 उसके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी थी। दरअसल, संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान उनके अखबार वितरण का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित या यूं कहें कि ठप ही हो गया था और लंबे समय तक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था

दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में शामिल रतन टाटा के निधन ने उन्हें अखबार देने वाले हॉकर हरिकेष सिंह को अब यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उसके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी कोविड-19 थी या टाटा का इस दुनिया से रूखसत होना।

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