जिलाधिकारी को कलेक्ट्रेट के लिपिक ने दिखाया अपना दम ।
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सोनभद्र । पिछले तहसील दिवस पर जिलाधिकारी ओबरा तहसील में जन समस्याओं के निस्तारण के बाद ओबरा तहसील का मुआयना करने का निर्णय लिया और जन समस्या सुनने के बाद वह तहसील के मुआयना करने निकल पड़े।तहसील में स्थापित विभिन्न ऑफिसों का निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी उपजिलाधिकारी के कोर्ट का मुआयना करने के दौरान मिली कमियों के मद्देनजर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी के पेशकार के पद पर कार्यरत लिपिक को स्थानांतरित करते हुए उन्हें जिलाधिकारी कार्यालय में वाद लिपिक के पद पर तथा वाद लिपिक के रूप में कार्यरत बाबू को ओबरा तहसील में उपजिलाधिकारी के पेशकार के पद पर भेज दिया ,परन्तु जिलाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर ही एसडीएम ओबरा के पेशकार भगवान सिंह के स्थानान्तरण का आदेश वापस लेना पड़ा।
फिलहाल आपको बताते चलें कि जिलाधिकारी के आदेश पर एक बाबू का भारी पड़ना जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है ,लोग चट्टी चौराहों पर चर्चा कर रहे कि यदि उक्त बाबु ने कोई गलती नही किया था तो फिर जिलाधिकारी ने उसका स्थानांतरण ही क्यूँ किया ?और यदि उसकी गलती पर जिलाधिकारी ने उसका स्थानांतरण किया था तो आखिर उक्त बाबू को फिर उसी तहसील में उसी पटल पर वापस करने का क्या कारण हो सकता है।आखिर जिलाधिकारी की ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से उन्हें अपने ही आदेश को पलटना पड़ गया ?