जलखोरी ग्राम में हनुमान मंदिर पर चल रही मानस यज्ञ एवं श्री राम कथा
सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज तहसील अंतर्गत चतरा ब्लॉक के जलखोरी ग्राम में हनुमान मंदिर पर चल रही मानस यज्ञ एवं श्री राम कथा के छठे दिन पर विधिवत पूजन एवं बिद्वान पंडितों द्वारा पारायण किया गया तथा सायं काल श्री राम कथा, कथा वाचीका मानस माधुरी सुनीता पांडे द्वारा माता अनुसूइया प्रसंग, सीता हरण, जटायु प्रसंग की कथा का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि गंगा पार करने के उपरांत भगवान राम अनेक ऋषियों मुनियों से मिलते हुए यत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचते हैं वहां पर माता अनुसूइया द्वारा माता सीता को नारी धर्म की शिक्षा दिया जाता है और उसके उपरांत भगवान राम चित्रकूट पहुंचते हैं।

जंगल में रावण की बहन सूर्पनखा भगवान राम एवं लक्ष्मण को अकेला देखकर के वह उनके ऊपर मोहित हो जाती है और अपना सुंदर स्वरुप बनाकर उनसे ब्याह का प्रस्ताव रखती है, भगवान राम द्वारा उसे बार-बार लक्ष्मण के पास एवं लक्ष्मण द्वारा स्वयं को दास बताते हुए भगवान राम के पास भेजा जाता है जिससे क्रोधित होकर के सूर्पनखा अपने राक्षसी स्वरूप में आकर माता- सीता के ऊपर आक्रमण करती है तब भगवान राम का इशारा प्राप्त कर लक्ष्मण द्वारा सूर्पनखा की नाक काट दी जाती है। बहन की नाक काटने के उपरांत खर ऑर दूषण आते हैं और भगवान के साथ उनका युद्ध होता है जिसमें खर दूषण मारे जाते हैं तत्पश्चात सूर्पनखा अपने भाई रावण के पास लंका जाती है और सारी बात बताती है, जिस पर लंका अधिपत रावण अपने मामा मारिच को सोने का हिरण बनाकर माता सीता को हरण करने के लिए जाता है। सोने का हिरण देखकर के माता सीता भगवान राम से उसे लाने की इच्छा प्रकट करती हैं जिस पर भगवान राम सोने के हिरण के पीछे चले जाते हैं और लक्ष्मण को माता सीता की रक्षा के लिए छोड़ देते हैं, परंतु कुछ समय उपरांत सोने के हिरन द्वारा हाय लक्ष्मण की आवाज दे कर मदद की गुहार लगाई जाती है जिसे सुनकर माता सीता लक्ष्मण को भगवान राम की मदद हेतु जाने के लिए कहती हैं।

बार-बार मना करने के बाद लक्ष्मण द्वारा कुटिया के सामने लक्ष्मण रेखा खींचकर यह कहा जाता है कि वह इसको पार नहीं करेंगी, वह भगवान राम की मदद के लिए चले जाते हैं और मौका देखकर रावण ब्राह्मण भेष बनाकर भिक्षा के लिए आता है और माता सीता से लक्ष्मण रेखा के बाहर आकर बढ़ा देने की बात करता है, ज्योही माता सीता लक्ष्मण रेखा पारकर भिक्षा देने के लिए आती है रावण द्वारा उनका हरण कर लिया जाता है। भगवान राम को जब सीता हरण का पता चलता है तो वह जंगल में लताओं और पत्तों पेड़ पौधों पर्वतों से पूछते चलते हैं और कहते हैं कि हे खग है मृग मधुकर श्रेनी,
तुम देखी सीता मृगनयनी l
माता सीता को ढूंढते हुए वह जटायु से मिलते हैं और अधमरे जटायू द्वारा उन्हें रावण द्वारा सीता हरण की सूचना प्राप्त होती है आगे चलते हुए वह माता शबरी से मिलते हैं और माता शेवरी की नवधा भक्ति से प्रेरित होकर उसके झूठे बेर को बड़े चाव से खाते है ।
इस अवसर पर कृष्ण कुमार .द्विवेदी, विजय राम पाठक, श्रीकांत पाठक,विजेंद्र नाथ तिवारी,रामपति पाठक, नारायण प्रसाद पांडे,नाम देव पांडे, पुजारी राजेंद्र पाठक एवं कल्पना पाठक,दिलीप सिंह,जयचंद सिंह,कृष्ण कुमार सिंह गोपी,गोविंद,सुदामा, जयशंकर,सूर्य नारायण सिंह प्रधान, सुरेश पाठक जितेंद्र सिंह,राजेश पटेल,रामप्रसाद सुभाष पाठक, वीरेंद्र पटेल, महेंद्र पटेल, रामकुमार पटेल, राजकुमार सिंह, गोविंद पटेलसमेत सैकड़ो लोग उपस्थित रहे