सोनभद्र। जनपद सोनभद्र एवं समूचे देश में छठपर्व धूमधाम से मनाया गया। भारतवर्ष का सबसे प्रमुख पर्व होली एवं दिवाली को माना जाता है। परंतु छठपर्व की ख्याति तेजी से फैल रही है। आने वाले समय में यह हमारे देश का सबसे विख्यात एवं महत्वपूर्ण पर्व बन जायेगा। ऐसा आभास इसकी लोकप्रियता एवं छठ घाटों पर अपार भीड़ को देखकर लगता है। छठपर्व मुख्य रूप से संतान सुख, संतान की दीर्घायु, सेहत, यश, समृद्धि एवं कीर्ति हेतु मनाया जाता है।
अनपरा, रेनुकूट, ओबरा, दुद्धी, घोरावल एवं रोबेर्टसगंज के विभन्न छठ घाटों पर छठपर्व धूमधाम से सम्पन्न हुआ। ओबरा के सेक्टर 3 में रेणु नदी के तट पर छठपर्व का मेला लगा हुआ था। जिसमें सैकड़ों खाने पीने एवं खिलौनों की दुकानें सजी थी। इस मौके पर हज़ारों लोग उपस्थित थे। जहां व्रती महिलाओं ने विधि विधान के साथ छठ मइया की पूजा अर्चना की। वहीं राबर्टसगंज के अलग अलग छठ घाटों का नज़ारा भी बेहद शानदार एवं अलौकिक था।
घाटों पर विधि विधान के साथ आरती भी की गई। इस अवसर पर महिलाओं ने 36 घण्टे का निर्जला उपवास भी रखा। उपवास के साथ ही छठी मईया की पूजा अर्चना विधि विधान के साथ सम्पन्न हुई। वहीं इस मौके पर समाजसेवियों एवं व्यवसाइयों द्वारा शुद्ध सात्विक प्रसादों का लंगर स्टाल भी छठ घाट के मार्गों पर लगाकर लंगर बांटा।
छठपर्व के अवसर पर शुद्ध देशी गुड़ एवं अरवा चावल की दिव्य खीर बना कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह खीर सुपाच्य एवं शक्तिवर्धक होती है। इसे मिट्टी के नये चूल्हे एवं शुभ फल हेतु आम की सूखी लकड़ी से पकाया जाता है। वहीं गन्ना, सिंघाड़ा, अमरक्,आंवला, शकरकंद जिसे कंडा भी कहा जाता है प्रसाद के रूप में ग्रहण किया गया। इसके साथ ही छठपर्व के दौरान व्रतियों द्वारा चने की दाल एवं कद्दू की सब्ज़ी खाना बेहद शुभ एवं गुणकारी माना जाता है।
इसप्रकार देखा जाये तो यूनानी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इन तत्व का सेहत के लिए बहुत महवपूर्ण माना जाता है। साइंटिफिक रीज़न से हमारा शरीर 74 प्रतिशत तरल तत्व से एवं 25 प्रतिशत ठोस तत्व से मिलकर बना है। इसलिए हमें 75 प्रतिशत लिक्विड का ही इस्तेमाल करना चाहिये सेहतमंद रहने के लिए। परन्तु हमलोग इसका उलटा खाते हैं सिर्फ 25 प्रतिशत ही लिक्विड लेते हैं वहीं 75 प्रतिशत ठोस भोजन ग्रहण करते हैं जिससे सेहत चौपट हो जाती है।
छठपर्व में इसी का मैसेज दिया जा रहा है। जैसे खीर आधा तरल पदार्थ है एवं आधा ठोस। इसी प्रकार सिंघाड़ा में 75 प्रतिशत तरल भोजन मिलता है। वहीं शकरकंद में भी बराबर बराबर ठोस एव तरल भोजन मिलता है। गन्ना के सेवन से पूर्णतया तरल भोजन हमारे शरीर को मिलता है। इसप्रकार यह सेहत के लिए एवं एंटी ऑक्सीडेंट का एक बहुत ही अचूक हथियार है। जिसके सेवन से शरीर तंदुरुस्त होता है। साथ ही शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं। साथ ही 36 घण्टे निर्जला उपवास रहने से शरीर अंदर से रिसाइकल होता है।
कुदरत ने शरीर को इस तरह बनाया है कि अगर उसे वक़्त दिया जाये तो वह स्वयं ही शरीर की रिपेरिंग करने में पूर्णतया निपुण है। जापानी साइंटिस्ट योशीनोरी
ओसुमी को इसी बात के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने शोध कर बताया कि उपवास रखकर बुढापा एवं विभिन्न गम्भीर रोगों से मुक्ति पाया जा सकता है। उन्होंने अपने शोध को आटोफेगी कहा। यह ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है कि शरीर उपवास के दौरान सर्वाइव करने के लिए सड़े गले अंगों को खाना शुरू कर देता है। जिससे शरीर स्वस्थ्य एवं निरोगी हो जाता है।
छठपर्व सेहत के साथ साथ प्राकृति का भी संवर्धन करता है। प्रकृति के प्रति इंसानों का प्रेम एवं अटैचमेंट बढ़ जाता है। प्रकृति के से जुड़े रहने से इंसान तनाव मुक्त एवं निरोगी रहता है। इस प्रकार देखा जाए तो छठपर्व का संदेश मानव कल्याण के साथ साथ प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का भी है। आज सूर्योदय होते ही व्रतियों ने भगवान भाष्कर को जल से अर्ध्य देकर छठपर्व को अपने आगाज़ से अंजाम की ओर बढ़ाया। इस मौके पर सदर विधायक भूपेश चौबे, ब्लॉक प्रमुख रोबेर्टसगंज अजीत रावत उर्फ पप्पू भईया, भाजपा नेता मनोज सोनकर, आदि गणमान्य नागरिक छठ घाट पर उपस्थित रहे। वहीं जगह जगह सोनभद्र पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद नज़र आई। ओबरा थानाध्यक्ष मिथिलेश द्ववेदी एवं रोबेर्टसगंज कोतवाली प्रभारी दिनेश कुमार पांडेय साथ ही चौकी इंचार्ज रोबेर्टसगंज मय हमराही लगातार दिन रात छठ घाटों की गश्त करते नज़र आये।