कुल मिलाकर यूपी में भले ही चुनावी विगुल बज गया हो मगर सोनभद्र में फंसे तमाम राजनीतिक पेंच की वजह से यहां अभी चुनावी उत्साह नजर नहीं आ रहा है , जनता व राजनीतिक दल के नेताओ के बीच असमंजस की वजह से रानीतिक हलचल फिलहाल धीमी है।हालांकि इस बीच एक दल से दूसरे दलों में जाने का सिलसिला जारी है राजनीतिक लोग फिलहाल अपनी गोटी फिट करने में लगे हैं।

सोनभद्र । यूं तो सूबे में चुनावी विगुल बज चुका है और लगभग सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है मगर सोनभद्र में फिलहाल चुनावी हलचल अभी देखने को नहीं मिल रही । इसकी एक वजह यह भी मानी जा रहा है कि सोनभद्र की चारों विधानसभा में ऐसा कोई नेता नहीं जिसका विधानसभा में टिकट पक्का माना जाय । लोगो की सबसे अधिक निगाहें भजपा पर ही टिकी हैं परंतु लगता है कि सबसे अधिक पेंच भाजपा में ही फंसे हैं।भाजपा में जहाँ एक तरफ उसके गठबंधन वाले दक अपनादल को लेकर असमंजस है तो वहीं दूसरी तरफ उसके खुद के नेताओं के बीच इतना अंतर्विरोध है कि पता नहीं कौन भाजपा का नेता कब अपने ही दल के दूसरे नेता के विरोध पर उतर जाए।भाजपा के अंतर्विरोध का फायदा लेने के लिए ही अभी अन्य दल भी अपने पत्ते नही खोल रहे हैं।कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस अभी अपनी जमीन तैयार करने में व्यस्त है ।

वहीं सपा में भी हर विधानसभा से कई नेताओं ने दावेदारी ठोक दी है । अब किसके भाग्य में टिकट है यह कहना थोड़ा मुश्किल है , क्योंकि 2022 विधानसभा चुनाव में हर पार्टी को जिताऊ प्रत्याशी चाहिए । सपा के लिए तो अबकी नही तो फिर कभी नहीं कि तर्ज वाली लड़ाई है इसलिए वह बहुत सोच समझ कर कदम बढ़ा रही है।फिलहाल सपा इस बार की लड़ाई में कोई चूक नही करना चाह रही है।

वहीं बसपा में भी अभी कोई खास हलचल दिखाई नहीं दे रही है । ब्राह्मण कार्ड खेलने की वजह से माना जा रहा है कि एक सीट ब्राह्मण के खाते में जा सकती है । वहीं भाजपा अपनादल गठबंधन की बात करें तो लगातार बैठकें कर रणनीति तो तैयार की जा रही है लेकिन कई सीटों पर पेंच होने की वजह से अभी कोई भी नेता अपना पत्ता नहीं खोल रहा है । मगर इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ सपा पर भी बड़ा दबाव रहेगा । एनडीए की बात करें तो अभी सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है ।

सूत्रों की माने तो अपनादल इस बार दुद्धी की सीट छोड़कर रॉबर्ट्सगंज व घोरावल की सीट मांग रही है । यदि ऐसा हुआ तो भविष्य में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है । राजनीतिक जानकारों की माने तो बीजेपी सदर की सीट पर समझौता नहीं करना चाह रही है परन्तु राजनीतिक पंडित यह भी मान रहे हैं कि यह राजनीति है कभी भी कुछ भी हो सकता है।फिलहाल अपनादल यदि दुद्धी सीट खाली करती है और सदर विधानसभा सीट पर बात नहीं बनती है तो ऐसे में घोरावल की सीट अपनादल के खाते में जा सकती है । इन्हीं सब कन्फ्यूजन की वजह से बीजेपी व अपना दल के नेता भी कोई खास तैयारी में नहीं दिख रहे हैं बल्कि वह समय के साथ अपने पत्ते खोलने के मूड में नजर आ रहे हैं यही सब पेंच फिलहाल सोनभद्र की राजनीतिक हलचल में स्थिरता ला रहे हैं।
