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घोरावल से अपहृत बच्चे की हत्या कर शव तालाब में फेंका , गांव में तनाव के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात

पुलिस की शाख पर लगा बट्टा, बच्चे को ढूंढने को लेकर पुलिस परिजनों को केवल देती रही आश्वासन,आखिरकार मिली उसकी लाश,परिजनों में कोहराम

घोरावल। पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली व लचर प्रशाशनिक व्यवस्था का खामियाजा एक मासूम को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी । घटना की सूचना के बाद से ही जहां पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही वहीं अपहृत बच्चे की लाश मिलने के बाद पेढ़ गांव के ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं और पुलिस बैकफुट पर । पेढ़ गांव पहुंचे सीओ घोरावल ने बच्चे के मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि गांव में माहौल फ़िलहाल तनावपूर्ण है । बच्चे की डेडबॉडी चुनार पोस्टमार्टम हाउस रखी गई है । आपको बताते चलें कि पिछले 5 मार्च दिन रविवार को गांव की सरहद से दिनदहाड़े एक नाबालिक बच्चा अनुराग पाल पुत्र मंगल पाल ( 9 वर्ष ) का अपहरण हो गया था ।

अपहरण की घटना की जानकारी अपहरण करने वाले स्थान पर खेल रहे एक बच्चे ने देखकर परिजनों को बताया, जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया । देर शाम तक जब बच्चा घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने मामले की जानकारी लिखित रूप से पुलिस को दी । अपहरण की तहरीर मिलते ही पुलिस के हाथ – पांव फूल गए और घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी।

सूत्रों की मानें तो सुस्त चाल से चलती जब तक स्थानीय पुलिस कुछ प्लान कर पाती अपहरणकर्ता बच्चे को लेकर इलाका छोड़ चुके थे। परिजनों ने अपहरण की दी गयी तहरीर में कई लोगों की नामजद शिकायत की थी लेकिन पुलिस की सुस्ती ऐसी रही कि उन्हें भी ढूंढने में कई दिन लगा गए और जब तक नामजद इंद्रजीत यादव व राजेश यादव को गिरफ्तार कर पुलिस ने पूछताछ शुरू की तब तक काफी देर हो चुकी थी। हालांकि पुलिस बच्चे की लाश मिलने के कुछ देर पहले तक भी यही दावा कर रही थी कि वे बच्चे के काफी करीब है और जल्द सकुशल बरामद कर ले आएगी । लेकिन जब अभियुक्तों की निशानदेही पर सीखड़ गांव के पास पहुंची तो पुलिस के तोते ही उड़ गए।अपहरणकर्ता तब तक मासूम की हत्या कर चुके थे । इस घटना के बाद इलाके में पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है । इस मामले में पुलिस लगातार लापरवाही बरतती रही और परिजनों को आश्वासन देकर टालमटोल करती रही । परिजन लगातार पुलिस से गुहार लगाते रहे कि नामजद लोगों को गिरफ्तार कर कड़ाई से पूछताछ की जाय तो सारा मामला खुलकर सामने आ जायेगा, लेकिन पुलिस अपने मन की करती रही और होली को सकुशल निपटाने में लगी रही । जबकि पेढ़ गांव में इस बार इसी गम के कारण किसी ने होली नहीं खेली।

बड़ा सवाल यही है कि क्या घोरावल में अपराधियों के भीतर कानून का डर खत्म हो गया है या फिर घोरावल में पुलिस की कार्यप्रणाली कमजोर हो चली है । क्योंकि यदि स्थानीय पुलिस का खुफिया तंत्र वहां मजबूत होता और नामजद संदिग्धों से समय रहते कड़ाई से पूछताछ कर उनके खिलाफ कानून का शिकंजा कसता तो शायद अपहरणकर्ता इलाके से बाहर न जा पाते और मासूम की जान बच जाती ।

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