घोरावल। पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली व लचर खुफिया तंत्र का खामियाजा एक मासूम को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी । आपको बताते चलें कि पिछले 5 मार्च को घोरावल थाना क्षेत्र के पेढ़ गांव में घर से कुछ दूर खेल रहे एक 9 वर्षीय बच्चे का अपहरण हो गया।घटना की सूचना के बाद से ही जहां पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही वहीं अपहृत बच्चे की लाश मिलने की सूचना मिलने के बाद से ही पेढ़ गांव के ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं और पुलिस बैकफुट पर । पेढ़ गांव पहुंचे सीओ घोरावल ने बच्चे के मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि गांव में माहौल फ़िलहाल तनावपूर्ण है और इसी लिए ऐतिहातन गांव में पुलिस तैनात किया गया है।फिलहाल बच्चे की डेडबॉडी चुनार पोस्टमार्टम हाउस रखी गई है और पोस्टमार्टम के बाद ही उसे परिजन लेकर घर आ पाएंगे।
इस बीच गांव के लोग उक्त 9 वर्षीय बालक के हत्या के मामले में दोषी आरोपियों को मौत की सजा की मांग व पुलिस की लापरवाही को लेकर के ग्रामीणों ने मुख्य मार्ग को जाम कर दिया है।लोगों का कहना है कि यदि पुलिस समय रहते संदिग्धों के साथ कड़ाई से पेश आती तो यह अनहोनी न हो पाती।यही वजह है कि लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है।सड़क जाम कर रहे कुछ लोगों का यह भी कहना रहा कि पुलिस ने आरोपियों के साथ आखिर इतनी नरमी क्यू बरत रही थी जबकि आरोपी नामजद थे ?ऐसे पुलिस कर्मियों की भी जांच होनी चाहिए जिनकी सुस्ती मासूम की जान पर भारी पड़ गयी।
फिलहाल उक्त घटना से पुलिस का इस्तकबाल कमजोर अवश्य हुआ है अब देखना होगा कि अपने इस्तकबाल को मजबूत करने के लिए पुलिस क्या करती है ? यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि समाज की सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस का इस्तकबाल यदि गिरता है तो उसका समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा ही विपरीत प्रभाव पड़ता है।ऐसे में पुलिस को अपना इस्तकबाल मजबूत कर समाज को भरोसे में लेना बड़ी चुनौती है क्योंकि सड़क पर उतरे लोग पुलिस की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।