Saturday, April 20, 2024
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घोटाले की जाँच की डर से रातों रात बदलने लगे पंचायतों के बेंच

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जवाहर लाल नेहरू के सपनों के भारत का सोनभद्र जिसे नेहरू ने स्विट्जरलैंड बनाने का सोचा था ,कमोबेश इस दिशा में भरपूर प्रयास भी किया जिसका परिणाम रहा कि औद्योगिक विकास की क्रांति तो जनपद में जगी साथ ही इसके समानांतर भृष्टाचार और शोषण का भी खेल शुरू हो गया ।परिणाम स्वरूप आजादी के चार दशक के बाद ही भागौलिक दुरूहता और अनुकूल स्थिति के चलते यहाँ नक्सलवाद ने जड़े जमा ली और इसी के साथ जनपद में शुरू हो गया भृष्टाचार का खेल ।

सोनभद्र । जवाहर लाल नेहरू के सपनों के भारत का सोनभद्र जिसे नेहरू ने स्विट्जरलैंड बनाने का सोचा था ,कमोबेश इस दिशा में भरपूर प्रयास भी किया जिसका परिणाम रहा कि औद्योगिक विकास की क्रांति तो जनपद में जगी साथ ही इसके समानांतर भृष्टाचार और शोषण का भी खेल शुरू हो गया ।परिणाम स्वरूप आजादी के चार दशक के बाद ही भागौलिक दुरूहता और अनुकूल स्थिति के चलते यहाँ नक्सलवाद ने जड़े जमा ली और इसी के साथ जनपद में शुरू हो गया भृष्टाचार का खेल ।

ताजा मामला सोनभद्र में जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय के संरक्षण में ग्राम पंचायतों को सोने के मूल्य पर कूड़ा बेंच सप्लाई का मामला आजकल काफी गरम है । अभी सोनभद्र में बेंच घोटाले की जांच चल ही रही है कि सोमवार की रात दुद्धी इलाके में बेंच का एक और खेल सामने आ गया । विंध्यलीडर के सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायतों में पूर्व में की गई बेंचों की आपूर्ति के जाँच के मंडलायुक्त के पत्र के वाइरल होते ही रातोंरात अब इन्ही बैंचों को बदलने का काम शुरु हैं ।विंध्यलीडर के पास मौजूद तस्वीरों में साफ देखा ज सकता है कि किस तरह रात के अंधेरे में खेल को अंजाम दिया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक बभनी ब्लॉक क्षेत्र में लगभग हर ग्राम पंचायतों में 12,000 का बेंच लगाया गया है । बताया जा रहा है कि जांच को प्रभावित करने के लिए भ्रष्टाचारियों ने एक नया उपाय खोज निकाला है । भ्रष्टाचारी बेंच के दाम को कम करने के लिए बेंच की संख्या को दो गुना से तीन गुना तक बढ़ाने में जुटे हुए हैं । ताकि बेंच की कीमत घटकर 3 हजार के आसपास आ जाए ।

अब आप सोच सकते हैं कि भ्रष्टाचारी किस तरह जांच टीम को धोखा देने में जुटे हुए हैं । यानी भ्रष्टाचारियों को भी लगने लगा है कि यदि जांच में फंसे तो बाबा का बुलडोजर भी चल सकता है। इसलिए बुलडोजर के खौफ के आगे भ्रष्टाचारी रात में ही अपनी गलतियों को मिटाने में जुटे हुए है । लेकिन उनकी यह करतूत कैमरे में कैद हो गयी ।

सूत्रों की माने तो इसी नियम को भ्रष्टाचारी पूरे ब्लाक में लागू करने वाले हैं । ताकि जांच टीम को बेंच की वास्तविक कीमत 3 हजार के आसपास ही दिखे ।

आपको बतादे कि मिर्जापुर कमिश्नर ने शुक्रवार को एक पत्र लिखकर शासन को बताया कि सोनभद्र में तैनात डीपीआरओ द्वारा ग्राम पंचायतों में खरीद-फरोख्त के पर्यवेक्षण में शिथिलता के कारण ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है ।

जैसे ही कमिश्नर का पत्र सार्वजनिक हुआ तो पंचायत विभाग में हड़कंप मच गया। माना जा रहा था कि सोनभद्र जिलाधिकारी के बाद अब डीपीआरओ सोनभद्र का विकेट भी गिरना तय है ।लेकिन फिलहाल अभी तक शासन ने मंडलायुक्त के पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं कि है और इसी बीच जिला पंचायत राज अधिकारी ने बेंच घोटाले का ठीकरा प्रधानों व ग्राम सचिवों पर फोड़ते हुए शासन को चिट्ठी लिख कार्यवाही की मांग कर दी है।अब मरता क्या न करता की तर्ज पर सचिव व ग्राम प्रधान अपनी गर्दन फंसती देख भ्रष्टाचार के निशान मिटाने व खुद को बचाने के लिए तमाम उपाय ढूढने में जुटे हुए हैं । उसी क्रम में सोमवार रात के अंधेरों में यह खेल खेला जा रहा है ।


सूत्रों की मानें तो इस पूरे खेल में जिले के कुछ अन्य अधिकारी भी संलिप्त हैं ।विभागीय सूत्रों के मुताबिक सोनभद्र में तैनात एक ग्राम विकास विभाग के अधिकारी के रिश्तेदार उक्त बेंच की सप्लाई के लिए जिम्मेदार हैं। दबी जुबान कुछ प्रधानों ने कहा कि जबरिया बेंच की सप्लाई करा दी गई अब जांच केवल ग्राम प्रधान व सचिव की हो रही है जबकि बेंच सप्लाई किसी अन्य के इशारे पर की गई है। लेकिन जिस तरह से सुंदरी और कोरची गांव में रातो-रात बेंच लगाया जा रहा है उससे यह तो साफ हो गया कि भ्रष्टाचारी बहुत डरे हुए हैं और खुद को बचाने के लिए अभी भी हाथ-पांव मार रहे हैं ।

मजे की बात यह है कि कोरची व सुंदरी दोनों ही गांव कनहर डूब क्षेत्र में आते हैं । मगर भ्रष्टाचारियों को यह सब कहां दिखने वाला, उस समय तो कमाई के आगे उन्हें कुछ भी नहीं दिख रहा था । तभी तो वे डूब क्षेत्रों में भी बेंच लगा दिए और अभी भी उनकी संख्या बढ़ाने में जुटे हुए हैं।

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