समर सैम
मिलार्ड क्या आपकी आँखों ने पहाड़ को पाताल बनते देखा है ? अगर नहीं देखा तो पत्थर बेल्ट के पाताल और पाताललोक से निकले जलस्रोत को गौर से देखिये हुज़ूर। सुहाग रात के समय सामुहिक बलात्कार का शिकार अबला की तरह विलाप करती इन पहाड़ियों की समाधियों को गौर से देखिए मिलार्ड। रुदालियों की तरह करुण क्रंदन करती रु दाद ए ग़म आपकी अंतरात्मा को ज़रूर सुनाई दी होगी हुज़ूर। लेकिन आपकी भी ज़रूर कोई विवशता होगी। वरना यूं कोई संग दिल नहीं होता हुज़ूर। जिस बेबसी पर पत्थर भी आंसू बहा रहे हैं, उस बेबसी पर आपके आंखों से ज़रूर आंसू टपका होगा। नेचर के गैंगरेप से न सही, इन खदानों में सैकड़ों मज़दूरों की दर्दनाक मौत से ज़रूर आपका दिल पसीजा होगा हुज़ूर।
सोनभद्र। विशेष सचिव का सोनभद्र खनन बेल्ट में आकस्मिक निरीक्षण। चोरी चोरी चुपके चुपके दल बल सहित विशेष सचिव महोदय आ धमके सोनभद्र में खनन की ज़ीरो ग्राउण्ड़ रिपोर्ट तैयार करने। इसकी भनक जिले में उनके अनायास बिना किसी प्रोटोकॉल के आ धमकने के बाद हुई। भगवान भाष्कर की पत्नी प्रत्युषा के दस्तक़ देते ही इसकी सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई। इसके चलते खनन माफियाओं के हाथ पैर फूल गए। दिन रात नदियों का सीना चाक करती मशीनों की कर्कश ध्वनियों को आनन फानन में शांत करा दिया गया। मशीनों को छुपा कर बालू साइडों पर काम ठप्प कर दिया गया।
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जांच टीम के भय से बालू साइडों पर फ़िलहाल इस वक़्त मरघट सरीखा स्यापा छाया हुआ है। आखिर बालू साइडों पर मरघट सा सन्नाटा क्यों बरपा है भाई। महालपुर के बालू साइडों पर व्यापक पैमाने पर अवैध खनन किया गया है। अवैध खनन के लिए बालू साइडों पर पेनाल्टी भी लगाया गया है। परन्तु इसके बाद भी अवैध खनन का खेल लगातार जारी रहा।
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सोन नद की अगोरी बालू साइड पर पांच खण्डों में बालू के टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई है। अगोरी ख़ास खण्ड एक का पट्टा चन्द्र शेखर चौरसिया, खण्ड दो का पट्टा मल्होत्रा ब्रदर्स एवं खण्ड तीन का पट्टा न्यू इंडिया मिनरल्स के नाम से जारी किया गया। परन्तु मौके पर सीमांकन पिलर नदारद है। मिलार्ड तीनों खनन पट्टे में अपने क्षेत्र से बाहर जाकर नदी के चारो तरफ से दर्जनों पोकलेन मशीन लगाकर अत्यधिक बालू का दोहन दिन रात किया जा रहा है। इसके चलते इकोलॉजिकल सिस्टम छिन्न भिन्न हो रहा है।
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अगर मानव द्वारा धन की लालसा में ऐसे ही प्रकृति से खिलवाड़ किया जाता रहेगा तो पृथ्वी पर होने वाले विनाशलीला को कोई नहीं रोक सकता। उक्त तीनों खदानों पर सिंडिकेट द्वारा दर्जनों पोकलेन मशीनों से निर्दयता के साथ सोन नद की अस्मिता को तार तार करने के चलते जलीय परिस्थिति तंत्र पर संघातिक प्रहार किया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में हम लोगों को प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिलेगा। उस वक्त पछतावे कुछ नहीं होगा। क्योंकि तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी होगी।
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अवैध खनन के चलते जिलाधिकारी टीके शिबू सहित खनिज विभाग की टीम पर गम्भीर आरोप जांच में लगे थे। अवैध खनन की जांचोपरांत शासन ने सभी को ताश के पत्ते की तरह फेंटते हुए जिले से हटा दिया था। टीके शिबू ने अपने समय में एक दर्जन पोकलेन मशीनों एवं नाव को सीज़ किया था। अवैध खनन की रिपोर्ट भी शासन को भेजी थी। जांच टीम द्वारा अवैध खनन के खेल में करोड़ों रुपये का जुर्माना भी लगाया था। एक नहीं दो दो तीन तीन बार अवैध खनन के चलते जांचोपरांत जुर्माना लगाया जा चुका है।
जिससे मिलार्ड यह साबित होता है कि यह सब आदतन अपराधी हैं। बार बार जानबूझकर अवैध खनन का खेल खेलते हैं। समय की शिला पर खड़ी जनता योगी आदित्यनाथ सरकार से मुतालबा कर रही है कि सिंडिकेट के काले कारनामों की जांच सीबीआई एवं ईडी से कराना चाहिए। तभी खनन सिंडिकेट का काला साम्राज्य नेस्तनाबूद होगा। वरना खनन माफियाओं के कारनामों के चलते भविष्य में सरस्वति नदी की तरह सोन नद की स्मृति किताबों और किस्सा कहानियों में शेष रह जायेगी।
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उक्त तीनों बालू साइडों पर मानक की धज्जियां उड़ाते हुए रिकार्ड तोड़ अवैध खनन किया गया है। बालू साइडों पर दर्जनों मशीनें लगाकर दिन रात नदी का कलेजा चाक किया जाता रहा। परमिट से हज़ार गुना बिना परमिट के दिन रात परिवहन होता रहा। जिसके चलते करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति हुई। नियम को मशीनों से रौंदने के एवज़ में खनन माफियाओं द्वारा चांदी के जूतों की मुसलसल बरसात की जाती है। इसके लिए बाकायदा कम्पनी ने एक लायजनर रखा हुआ है। जो हर महीने लिफाफा उन लोगों को पहुंचाता है जो अवैध खनन के खेल में अपना मुंह बंद रखते हैं।
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मी लार्ड मौके पर जाकर विध्वंसक रूप से नदी में अवैध खनन के अनगिनत प्रमाण नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इसके लिए किसी प्रकार के टेलिस्कोप की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इन साइडों पर इतनी बेदर्दी से बालू खनन किया गया है कि नदी की संरचना में तब्दीली आ गई है। जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक नदी के इस स्थान पर बड़ी मात्रा में दुर्लभ कछुआ, घड़ियाल एवं तमाम जलीय जीव जंतु अब भी दिखाई देते हैं। परंतु मशीनों से जल्लादों की तरह नदी का कलेजा चाक करने के चलते जलीय जीव जंतुओं के जीवन के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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अगोरी खास में भी सोन नदी की जलधारा को बांधकर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। मिलार्ड जबकि सोन नदी घड़ियाल और मगर के लिए रिज़र्व ज़ोन है। मिलार्ड वर्ष 2005 में कमला पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने घड़ियाल और मगर के लिए संरक्षित नदी होने के कारण सोन नदी की बालू खनन लीज निरस्त कर दी थी। परन्तु वर्तमान सरकार द्वारा सोनभद्र के पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करते हुए दर्जनों लोगों को सोन नदी में बालू खनन की लीज दे दी गई है। धडल्ले से नदी की जलधारा को बांधकर मशीनों से दिन रात अवैध खनन किया जा रहा है।
मिलार्ड क्या आपने आकस्मिक निरीक्षण के वक्त तिल – तिल मरती सोन नद की तबाही का मंज़र नहीं देखा ? पत्थर खदानों का हस्र बालू साइडों से अधिक शर्मशार कर देने वाला है। बिल्ली मारकुंडी, ओबरा एवं डाला में कभी गगन चुम्बी पहाड़ियों की हरी भरी श्रृंखला नयन सुख प्रदान करती हरित पट्टिका की ध्वजवाहक थीं। अवैध खनन के चलते खनन माफियाओं ने इन हरि भरी पहाड़ियों में सुराख कर इतना बारूद भर दिया कि ये पहाड़ से पाताललोक में तब्दील हो गया।
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मिलार्ड क्या आपकी आँखों ने पहाड़ को पाताल बनते देखा है ? अगर नहीं देखा तो पत्थर बेल्ट के पाताल और पाताललोक से निकले जलस्रोत को गौर से देखिये हुज़ूर। सुहाग रात के समय सामुहिक बलात्कार का शिकार अबला की तरह विलाप करती इन पहाड़ियों की समाधियों को गौर से देखिए मिलार्ड। रुदालियों की तरह करुण क्रंदन करती रु दाद ए ग़म आपकी अंतरात्मा को ज़रूर सुनाई दी होगी हुज़ूर। लेकिन आपकी भी ज़रूर कोई विवशता होगी। वरना यूं कोई संग दिल नहीं होता हुज़ूर। जिस बेबसी पर पत्थर भी आंसू बहा रहे हैं, उस बेबसी पर आपके आंखों से ज़रूर आंसू टपका होगा। नेचर के गैंगरेप से न सही, इन खदानों में सैकड़ों मज़दूरों की दर्दनाक मौत से ज़रूर आपका दिल पसीजा होगा हुज़ूर। मज़दूर की बेवा और यतीम बच्चों की स्याह ज़िन्दगी का पपिहा कौन है हुज़ूर? अनियंत्रित ब्लास्टिंग के चलते खदानें 90 मीटर से अधिक गहरी हो गई है। बिल्ली मारकुंडी के सेक्टर 9 , यादव बस्ती एवं न्यू कॉलोनी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
खनन माफियाओं ने पहाड़ों का सीना छलनी करते हुए अब तक हज़ारों टन बारूद फ़िज़ाओं में घोल दिया है। जिसका खामियाजा जनमानस को जीवन के सांसे कम कर चुकाना पड़ रहा है। खनन क्षेत्र की बदहाली देखकर सारा माज़रा खुद ब खुद समझ में आ जायेगा मिलार्ड। क्रेसर प्लांट भी नियम को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है। प्लांट से फर्जी परमिट दिया जा रहा है, जिससे व्यापक पैमाने पर राजस्व की छति हो रही है। यही नहीं प्रभारी खान अधिकारी सोनभद्र का कहना है कि क्रेसर पर गिट्टी लोडकर परमिट के लिए इधर उधर छट पटाना पड़ता है।
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जिम्मेदार प्रभारी खान अधिकारी का साफ साफ लफ़्ज़ों में कहना है कि गिट्टी क्रेसर से लोड होती है, वहीं परमिट इधर उधर से जुगाड़ किया जाता है। मिलार्ड इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि खनन बेल्ट की हालत कितनी खस्ता है। अवैध खनन के लिए समय समय पर ज़िम्मेदार मोहकमा पेनाल्टी लगाकर इति श्री हासिल कर स्वयं अपनी ही पीठ थपथपा लेता है। लेकिन अवैध खनन का यह खेल बेधड़क बेरोकटोक सुचारू रूप से जारी रहता है।
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