बिल्ली मारकुंडी में भूमिहीनों को दी गई गवर्नमेंट ग्रांट की जमीन पर खनन माफियाओं द्वारा खनन पट्टा हासिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बिल्ली मारकुंडी की प्रधान ने दिए प्रार्थना पत्र में कुछ रसूखदारों द्वारा खनन पट्टा हासिल करने के लिए फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कमिश्नर एवं अन्य अधिकारियों से जांच कर कार्यवाही की मांग की गई है। मामले के खुलासे के बाद जमीन को वापस ग्राम समाज में दर्ज करने के साथ ही, अवैधानिक कृत्य में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और खनन पट्टे के निरस्तीकरण की प्रक्रिया के भी आदेश जारी किए गए हैं। हालांकि अभी खननपट्टा निरस्त नहीं हुआ है और संबधित जमीन पर खनन के लिए परमिट जारी किए जाने का काम जारी है। प्रधान ने खनिज विभाग के लोगों पर पट्टा धारक से मिलीभगत का आरोप लगाया है।
बिल्ली मारकुंडी ग्राम पंचायत की प्रधान रेखा देवी और प्रधान प्रतिनिधि अमरेश यादव ने मंडलायुक्त विंध्याचल मंडल के साथ ही, सीएम, मुख्य सचिव को भेजी शिकायत में आरोप लगाया है कि बिल्ली मारकुंडी में भूमिहीनों को कृषि कार्य के लिए पट्टे पर दी गई गवर्नमेंट ग्रांट की जमीन पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैधानिक तरीके से जमीन पर अपना नाम दर्ज करा लिया। आरोप है कि नाम दर्ज होने से पहले ही, इस जमीन पर पट्टे के लिए संबंधितों से एनओसी लेकर पट्टा स्वीकृत करा लिया गया। पट्टा स्वीकृत होने के बाद एक बार फिर से नियमों की अनदेखी की गई और उसमें नियमों को धता बता कर दूसरे प्रभावशाली लोग पार्टनर हो गए।
बाद में जब मामला उछलने लगा तो जिन भूमिहीनों को जमीन का पट्टा हुआ था, आरोप है कि उनको डरा-धमका कर जमीन बैनामा करा ली गई और एक बार फिर से इस जमीन पर पट्टा हासिल कर लिया गया।मिली जानकारी के मुताबिक उक्त खनन पट्टे में शामिल कुछ लोग पूर्व में सोनभद्र में तैनात रहे कुछ चर्चित अधिकारी/ कर्मचारियों के परिवार का बताया जा रहा है। वहीं शेष लोग भी यहां के चर्चित नामों में शामिल हैं।
आपको बताते चलें कि वर्ष 2020 में जब यह मामला तत्कालीन डीएम एस राजलिंगम के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच बैठा दी। जांच में गवर्नमेंट ग्रांट की जमीन की नियमों को दरकिनार कर पट्टा हासिल करने और बैनामा-नामांतरण की कार्रवाई सामने आई तो जमीन को ग्राम समाज में दर्ज करने के निर्देश दिए गए।
इसके बाद गत 28 जुलाई 2021 को नामांतरण की कार्रवाई के बाद दर्ज नामों को निरस्त कर, संबंधित जमीन को ग्राम समाज के खाते में दर्ज कर लिया गया। हालांकि इसकी जानकारी लोगों को नहीं मिल पाई।
पिछले माह जब प्रधान की तरफ से की गई शिकायत पर मामला गरमाया तो हल्का लेखपाल ने भेजी रिपोर्ट में बताया कि राजस्व रिकर्ड में 2021 में ही उक्त जमीन ग्राम समाज के नाम से दर्ज की जा चुकी है।
जांच में सारी चीजें सामने आने के बाद डीएम ने निर्देशित किया कि गवर्नमेंट ग्रांट लैंड बेचने का कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं, इसकी जानकारी करें। अगर अपराध की श्रेणी में आता है तो लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई करें। इसके अलावा नियम का पालन करते हुए पट्टा निरस्तीकरण एवं बेदखली का निर्देश भी दिया गया।
इस पर एडीएम ने खान अधिकारी को पट्टा निरस्तीकरण की फाइल प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया । इसके अलावा डीएम की तरफ से गर्वनमेंट ग्रांट लैंड के श्रेणी को विधिविरूद्ध परिवर्तित करने वाले के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया। बावजूद अब तक कार्रवाई न होने पर एक बार फिर से इसकी शिकायत शुरू हो गई है, जिसको लेकर खनन विभाग व राजस्व विभाग में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
यहां आपको बताते चलें कि वर्ष 2020 में ही उक्त मामले की जांच और उसके बाद तत्कालीन डीएम की तरफ से दिए गए कार्रवाई के निर्देश के बाद भी ग्राम समाज की जमीन पर खनन जारी रहने पर, बिल्ली मारकुंडी के प्रधान के तरफ से ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई जिसमें खान महकमे की तरफ से कहा गया कि उनके स्तर से प्रकरण का निस्तारण संभव नहीं है। इसके बाद प्रधान ने मंडलायुक्त से फरियाद लगाई जहां से मिले निर्देश पर, जिला प्रशासन फाइल के अध्ययन में लगा हुआ है। इसको देखते हुए अब लोगों की निगाहें नवागत जिलाधिकारी पर टिकी हुई हैं।