उत्तर प्रदेशराजनीति

घोसी उपचुनाव : बसपाई बैठेंगे घर या फिर दबाएंगे नोटा , क्या बसपा बिगड़ेगी खेल ?

घोसी में मतदान से पहले बसपा ने चला बड़ा सियासी दांव। बसपाई यदि बूथ तक जाएंगे तो दबाएंगे नोटा नहीं तो बैठेंगे घर । बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में हंगामे जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। 

वाराणसी । Varanasi News । घोसी विधानसभा के उपचुनाव का प्रचार कल sसमाप्त हो गया। पांच सितंबर को वोट डाले जाएंगे। इधर भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा पर तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला बोला है।

उधर उपचुनाव में मतदान से पहले बसपा ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है। बसपाई या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे। बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में हंगामे जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। 

पिछले चुनावों में भी बसपा उम्मीदवार को यहां अच्छे खासे वोट मिलते रहे हैं। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव का प्रचार बंद हो गया है। पांच सितंबर को यहां मतदान होगा। इस चुनाव को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। इसके दो मुख्य कारण हैं। 

पिछले चुनावों में भी बसपा उम्मीदवार को यहां अच्छे खासे वोट मिलते रहे हैं। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव का प्रचार बंद हो गया है। पांच सितंबर को यहां मतदान होगा। इस चुनाव को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है।  


दारा सिंह चौहान सपा छोड़कर फिर से भाजपा के साथ आ गए हैं और यहां के चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। दूसरा, लोकसभा चुनाव-2024 से पहले हो रहे इस चुनाव को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाम ”इंडिया” (आई.एन.डी.आई.ए) के रूप में देखा जा रहा है। 

चूंकि सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कांग्रेस, रालोद का भी यहां समर्थन मिला है तो इससे लड़ाई आमने सामने की हो गई है। दोनों ही गठबंधन इस बात को भली भांति जानते हैं कि इस चुनाव को जो जीतेगा उसे इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।

अहम हैं बसपा के वोटर
इस सीट पर बसपा के वोटर बड़ी भूमिका में हैं। बीते तीन चुनाव के नतीजे बताते हैं कि करीब 90 हजार से अधिक दलित मतदाताओं वाली सीट पर बसपा की पकड़ अब भी मजबूत है। 2022 में यहां बसपा प्रत्याशी वसीम इकबाल को 54,248 मत मिले थे। वर्ष 2019 के उपचुनाव में बसपा के अब्दुल कय्यूम अंसारी को 50,775 वोट और 2017 में बसपा के अब्बास अंसारी 81,295 मत मिले थे।

बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि पहले विधायकों को तोड़ने के लिए दल बदल कानून लाया गया। इससे दल बदल पर अंकुश लगा पर अब नई परिपाटी शुरू हो गई कि किसी सदस्य को इस्तीफा दिलाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लो और फिर चुनाव लड़ा दो। इसका भार जनता पर जाता है। ऐसे चुनाव का हम बहिष्कार करते हैं। हमारे लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जो लोग जाएंगे भी तो वे नोटा दबाएंगे।

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