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राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टीएमसी (TMC) के मुद्दे पर एक बातचीत के दौरान बताया, ” संसद के अंदर की रणनीति अलग होती है और बाहर की अलग, बीजेपी से लड़ने के लिए सभी समान विचारधारा वाली पार्टी को एक होना चाहिए और टीएमसी के ऊपर फैसला हमारे आलाकमान को लेना है.”
नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है. विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है. कृषि कानूनों और मंहगाई समेत कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में जुटा हुआ है. राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, “इस बार करीब 15 से 16 मुद्दे हैं जो हम सदन में उठाएंगे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि शीतकालीन सत्र में सरकार के खिलाफ रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठक भी बुलाई. इस बैठक में संसद के दोनों सदन में कांग्रेस के स्ट्रेटजी कमेटी के नेता मौजूद रहेंगे.
कांग्रेस के सामने इस बार सबसे बड़ी चुनौती तृणमूल कांग्रेस को अपने पाले में रखने की होगी. जिस तरह से टीएमसी कांग्रेस के लीडर्स को अपनी पार्टी में शामिल करवा रही है उससे इसकी संभावना कम दिखती है कि ममता की पार्टी संसद सत्र के दौरान कांग्रेस का साथ दे. अब तो मीडिया में यह भी खबरें सामने आ रही हैं कि टीएमसी मुख्य विपक्षी पार्टी बनने की राह पर है.

टीएमसी को लेकर मतभेद
टीएमसी के मसले पर कांग्रेस के दोनों सदन के लीडर्स की अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं. कुछ लोग जहां टीएमसी को विपक्ष का एक मजूबत हिस्सा मानते हैं तो वहीं पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का मानना हैं की टीएमसी ये सब बीजेपी के इशारे पर कर रही है.

वहीं राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टीएमसी के मुद्दे पर एक बातचीत के दौरान बताया, “संसद के अंदर की रणनीति अलग होती है और बाहर की अलग, बीजेपी से लड़ने के लिए सभी समान विचारधारा वाली पार्टी को एक होना चाहिए और टीएमसी के ऊपर फैसला हमारे आलाकमान को लेना है.”
इन मुद्दों पर सरकार से पूछेगी सवाल
वहीं इस बार सदन में कौन-कौन से मुद्दे होंगे इस पर खड़गे ने बताया, “महंगाई, किसानों का मसला, covid का मामला है, बेरोजगारी का मामला समेत 15 से 16 मुद्दे होंगे जो सदन में उठाए जाएंगे.”

संसद का मानसून सत्र विवादास्पद कृषि कानूनों के साथ साथ दूसरे कई मुद्दों को लेकर विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे की बलि चढ़ गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि कृषि कानूनों के साथ साथ सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने समेत कई मुद्दों पर इस बार भी जमकर शोर शराबा हो सकता है.