सोनभद्र

कसया खुर्द गांव में चकबंदी कार्य में हुई अनियमितता की शिकायत पर लेखपाल पर हुई कार्यवाही,पर लेखपाल के न हटने से ग्रामीणों में आक्रोश

सोनभद्र। यह घटना चकबंदी प्रक्रिया के दौरान किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेने और उसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक उदाहरण है। यहां आपको बताते चलें सोनभद्र जिले के कसया खुर्द गांव में चकबंदी कार्य में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने जाँच की और जांच में चकबंदी के दौरान प्रक्रिया का पालन न करने के लिये जहां एक तरफ सहायक चकबंदी अधिकारी को जवाबदेही के लिए तलब किया गया है वही दूसरी तरफ वहां के लेखपाल को दूसरे तहसील में स्थानांतरित कर दिया गया है, परंतु उक्त लेखपाल विभाग में अपने जुगाड़ के चलते अभी तक उसी गांव में बना हुआ है और ग्रामीणों की मानें तो गांव में किसानों को एक दूसरे से के खिलाफ लड़ाई लगा विवाद उत्पन्न करा रहा है।इससे ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है।

यहां आपको बताते चलें कि ग्रामीणों की शिकायत पर कि कसया खुर्द गांव में चकबंदी कार्य में अनियमितता लेखपाल व  सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा प्रक्रिया का पालन न कर कुछ चुनिंदा किसानों को लाभ पहुंचाने के लिये कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। ग्रामीणों की उक्त शिकायत पर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी द्वारा मौके पर गांव में निरीक्षण के बाद ग्रामीणों की शिकायतें सही पाई गईं, जिसके बाद लेखपाल रोहित कुमार तिवारी का तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण कर दिया गया और सहायक चकबंदी अधिकारी कौशल प्रसाद से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है, और यदि उनका स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया जाता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश चकबंदी आयुक्त, लखनऊ को पत्र भेजा जाएगा।

यह कार्रवाई इस बात को दर्शाती है कि प्रशासन किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए चकबंदी कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहता है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि किसानों को कृषि कार्य में कोई असुविधा न हो और उन्हें उनके हित में चक आवंटित किया जाए। परंतु चकबंदी विभाग में तैनात कुछ कर्मचारियों की वज़ह से शासन की इस मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता हुआ लग रहा है।

ग्रामीणों ने बात चीत करते हुए कहा कि उक्त लेखपाल स्थानांतरण के बाद भी गांव में कार्य कर रहा है तो निश्चित है कि विभाग में कुछ उपर के अधिकारियों से उसकी सांठगांठ है जिसके चलते ही उक्त लेखपाल जिसके ऊपर जांच में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान गडबड़ी करने का आरोप सही पाए जाने पर उन्हें हटाया गया है परंतु वह उसी गांव में अब तक बने हुए हैं जो निश्चित रूप से शासन की मंशा के विपरीत है।

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