गिट्टी बालू सस्ता होगा,हर गरीब का घर पक्का होगा(वर्ष 2017)।अवैध खनन व ओभरलोड परिवहन से कुछ लोग और उनके प्यादे हैं मस्त,जनता हो गयी पूरी तरह से त्रस्त(2021)।
सोनभद्र ।जिले में भले ही बालू की एक भी खदान नही है फिर भी इन दिनों सोनभद्र की बालू मंडी में लाल रेत की आवक बढ़ गई है और लाल बजरी लोड कर परिवहन करने वाले ट्रक मालिक भी मोटी रकम कमा रहे हैं।यहाँ एक बात और भी गौरतलब हो कि उक्त बालू की आवक तो कागज पर गैर प्रान्त से बतायी जाती है परंतु अप्रत्याशित रूप से सैकड़ो किलोमीटर की दूरी तय कर आने के बाद भी उन ट्रक पर लदी बालू से पानी सड़क पर रिसता रहता है अब इसका राज क्या है आप खुद ही समझ सकते हैं। खैर जो भी हो सोनभद्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जनपद सोनभद्र माफियाओं का हमेशा से पसन्दीदा ठिकाना रहा है, चाहे नक्सलवाद के समय हो या फिर अब परिवहन माफियाओं के समय ।आपको बताते चलें कि पिछले तीन दिनों से सलखन से लेकर लोढ़ी टोल गेट तक गिट्टी व बालू लदी ओभरलोड ट्रकों का रेला लगा हुआ था और इसी बीच शुक्रवार को जब जिले में वीआईपी (आर एस एस के बड़े पदाधिकारी) का दौरा हुआ तो प्रशासन के हाथ – पांव फूलने लगे ।आनन – फानन में मारकुंडी के नीचे खड़ी गाड़ियों को ऊपर भेजा जाने लगा । और फिर क्या था देखते – देखते सभी ओभरलोड गाड़ियां रफ्तार में टोल पार करते हुए खनिज बैरियर पर बिना एम एम 11 जांच कराए निकल गयी । सबसे चौकने वाला नजारा तो यह था कि ओवरलोड माल लेकर फर्राटा भरने वाली गाड़ियों में ज्यादातर गाड़ियों के नम्बरप्लेट या तो थे ही नहीं या फिर खरोंच दिए गए थे या फिर उन पर कालिख पोत दिया गया था ।

सबसे मजेदार बात यह है कि जहां एक तरफ खनिज विभाग जिले में बालू की एक भी खदान न चलने का अपना रोना रोता रहा है,वहीं प्रशासन दावा करता है कि यह ओवरलोड ट्रकें गैर प्रान्तों से माल लोडकर आ रही हैं । अब यदि प्रशासन के दावे को ही मान कर चलें तो सवाल यह उठता है कि बार्डर से लेकर मारकुंडी घाटी के बीच में कई थाने व चौकियां पड़ती हैं । आखिर वहां से ये गाड़ियां पार कैसे हुई .. ? क्या जिस सिस्टम की बात ट्रांसपोर्टर करते हैं और वह सही है तो फिर प्रशासन झूठे दावे करता ही क्यों है ? अभी कुछ माह पूर्व इसी जाम के झाम को देखते हुए सीओ सिटी ने चोपन थानाध्यक्ष को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि यदि सड़क पर जाम लगा तो सम्बंधित के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी । लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात की तरह इस आदेश को भी ठेंगा दिखाते हुए लगातार जाम लग रहा है मगर कोई कार्यवाही आज तक न हुई और न कभी दिखी ।

ऐसा नहीं कि उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं , उच्चाधिकारियों को तो यहां तक जानकारी है कि कौन – कौन कहाँ – कहाँ अवैध खनन में लिप्त है । अभी कुछ महीने पूर्व ए एस पी ने तो बकायदे एसपी के निर्देश पर ओबरा सर्किल को पत्र लिखकर खनन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिया था ।उन्होंने ओबरा सी ओ को लिखे पत्र में बाकायदा कौन खनन माफिया किस क्षेत्र में बालू के अवैध खनन में लिप्त है यह भी लिखा था परंतु ऊंची रसूख रखने वाले इन खनन माफियाओं की पहुंच के कारण उस आदेश को ठेंगा दिखा दिया गया।ऐसा नहीं है कि अधिकारी इन खनन व परिवहन माफियाओं पर कार्यवाही नहीं करना चाहते, परन्तु एक तो इन माफियाओं को राजनीतिक दलों के रसूखदारों का संरक्षण प्राप्त होता है दूसरी तरफ नीचे के कर्मचारियों को भी इन्ही राजनीतिक रसूखदारों से संजीवनी मिलती है।यही वजह है कि इन खनन व परिवहन माफियाओं व उन पर सीधे अंकुश लगाने वाले कर्मचारियों को मिलते इन राजनीतिक संरक्षण का कॉकस इतना मजबूत हो चूका है कि इन पर कार्यवाही करने से उच्चाधिकारी भी बचते नजर आते हैं।
