दुद्धी। बघाडू वन रेंज में इन दिनों अवैध खनन व परिवहन कर्ताओं के लिए स्वर्ग बन गया है।यहाँ शाम ढलते, रात का अंधेरा होते ही जंगल के इलाके में पड़ने वाली नदियों में मशीनों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगती है और ट्रेक्टर व जेसीबी आदि रात का सन्नाटा चीरते हुए अपने काम मे लग जाते हैं। इस समय एक तरफ जहां एनजीटी के आदेश पर नदियों से खनन बन्द है परन्तु डंपिंग के नाम पर बालू का अवैध खनन व परिवहन का खेल बदस्तूर जारी है और अवैध खनन कर्ताओं की चांदी कट रही हैं। ऐसा नहीं है कि इन अवैध खनन माफियाओं के क्रिया कलापों की जानकारी अधिकारियों को नहीं है पर लगता है कि चांदी की थाली में उन्हें भी भोजन परोसा जा रहा है।

विगत एक सप्ताह से कनहर नदी में बाढ़ का पानी कम होते ही अवैध खनन कर्ता सक्रिय हो गए हैं।वन विभाग एवं पुलिस तथा कुछ सफेदपोशों के मिलीभगत से अमवार नल- जल योजना साइड तथा ठेमा रेलवे मैचिंग प्लांट पर रातभर अबैध खनन कर्ताओं के द्वारा बेखौफ कनहर व पागन नदी से ट्रैक्टर व ट्रिपर के माध्यम से बालू निकाल कर गिराया जा रहा है।अवैध खनन से एक तरफ जहां एन जी टी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं तो वहीं प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व की चोरी भी की जा रही हैं। सुत्रों की माने तो अबैध खननकर्ताओं के द्वारा पुलिस थाना ,चौकी व वन रेंज के जिम्मेदारों से सेटिंग करके रातभर अवैध खनन का कार्य किया जाता है।ग्रामीणों की मानें तो इन दिनों कनहर नदी से दर्जन भर ट्रैक्टरों के अलावा आधा दर्जन ट्रिपर से पूरी रात बेखौफ बालू ढोया जा रहा है और ट्रैक्टरों एवं ट्रिपरों की रफ्तार इतनी रहती हैं कि रात्रि में यदि कोई चपेट में आ जाए तो उसे बचना मुश्किल हो सकता है।देखना होगा कि यह खेल कब तक चलता है।

वैसे धर पकड़ का कोरम पूरा करने के लिए कभी कभार वन विभाग की टीम तो कभी इलाकाई पुलिस द्वारा एकाध ट्रैक्टर को पकड़ लिया जाता है परंतु यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह भी होती है कि ड्राइवर लगभग हमेशा ही अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में सफल हो ही जाते हैं।अब जब अवैध खनन पर अंकुश लगाने वाले विभागों की कार्यप्रणाली यही है तो फिर क्या उम्मीद की जाए कि इस पर अंकुश लगेगा।
