अलविदा वर्ष 2022 के साथ वेलकम वर्ष 2023

(समर सैम)
सोनभद्र। गुज़रे साल 2022 में खुशियों और गमों के कॉकटेल का स्वाद हम सबने चखा। जहां कोरोना के भयंकर चपेट में देश और समाज को भयभीत होकर तिल तिल जीते देखा वहीं अपनो को अपनो से खोते देखा। पिंजड़े में कैद तोते की तरह इंसानों को घरों की चहारदीवारी के भीतर नजरबंद होते देखा। निरन्तर रोजगार से वंचित होते लोगों को देखा। विधवा की तरह महंगाई का विलाप करते सशंकित समाज को देखा।
वहीं दूसरी तरफ कोरोना जैसी घातक बीमारी से पार पाकर ज़िन्दगी को पटरी पर आते भी देखा जिसके कारण लोगों के जीवन में खुशियों का संचार भी होते देखा। मुफ्त कोविड वैक्सीन और मुफ़्त का राशन वितरण भी होते देखा।
सब कुछ ऑल इज़ वेल होते ही कभी खुशी, कभी ग़म का तराना लोगों को गाते देखा। मीडिया में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा प्रति घण्टा ऐसे बताया जा रहा था कि जैसे लाइव मैच की कमेंट्री सुनाई जा रही हो। क्रिकेट मैच की कमेंट्री की तरह कोरोना से मरने वाले लोगों का आंकड़ा बताया जा रहा था। वह भी सनसनीखेज़ तरीके से। यह आंकड़ा मीडिया में स्टेट वाइज़ पेश किया जा रहा था। उसमें भी मुंबई टॉप पर रही। इसके चलते कोरोना से ज़्यादा मीडिया भय फैला रही थी। यह एक बुरा दौर था जिसे कोई भी याद नहीं रखना चाहेगा। अन्ततोगत्वा सरकार ने बहुत हद तक इस बीमारी पर कंट्रोल करते हुए देश वासियों का मुफ़्त वैक्सिनेशन किया गया। चिकित्सा व्यवस्था में लगे डॉक्टर एवं पैरा मेडिकल स्टॉप ने सीमित संसाधन में अपने जान की बाज़ी लगाकर कोरोना पेशेंट का इलाज करने में मशगूल रहे। जिसका नतीज़ा यह रहा कि विशाल जनसंख्या के बाद भी मौतों का आंकड़ा दुनिया को देखते हुए बहुत कम रहा।
कोरोना के कारण बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था जल्दी ही पटरी पर आ गई यह एक सुखद एहसास है वरना हालत जिस तरह से बेकाबू थे, उससे देश विदेश की आर्थिक एनालिसिस करने वाली संस्थाओं और अर्थ शास्त्रियों का कहना था कि भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दशकों लग जायेगा। फिलहाल सारी कयासराइयों को धता बताते हुए भारत 2022 के जाते जाते अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने में कामयाब रहा। अलविदा वर्ष 2022 में भारत ने पाकिस्तान और चाइना के मुक़ाबले जल्दी और अच्छी तरह से कोरोना को पराजित करते हुए गिरती अर्थव्यवस्था को संभाल लिया था। सचमुच कोरोना को पराजित करना एक सुखद एहसास था।
नववर्ष 2023 को वेलकम करते हुए सभी अच्छे दिनों की कामना कर रहे हैं। नववर्ष के आगाज़ का वेलकम दुनिया पलकों को बिछाकर कर रही है। शायद इस उम्मीद से की यह नव वर्ष सभी के लिए मंगलमय होगा। इसी आशा और विश्वास के साथ लोगों ने नव वर्ष के अवसर पर पिकनिक स्पॉटों पर जाकर एन्जॉय किया। जिसके चलते देश के टूरिज़्म सेक्टर में उछाल देखा गया। नये साल का खैर मकदम करने के लिए होटलों में भी खास इंतेज़ाम किये गए थे।
देश के पिकनिक स्पॉट नये साल में सैलानियों से गुलज़ार रहे। ऐसे में जनपद सोनभद्र के पर्यटन स्थल कहा पीछे रहने वाले थे। जनपद सोनभद्र के नैसर्गिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य से वशीभूत होकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सोनभद्र को भारत का स्विट्जरलैंड करार दिया था। नेहरू के सपनों का स्विट्जरलैंड सचमुच शासन प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। सोनभद्र की प्राकृतिक छटा आने वाले सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यहां की नदियों, झरनों और पहाड़ों के हुस्न को देखकर हर कोई बेताब हो जाता है। गर ज़रुरत है तो इन पिकनिक स्पॉटों पर बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने और इंफ्रास्ट्रक्चर को साकार रूप देने की।
फ़िलहाल स्थानीय सैलानियों का विभिन्न खूबसूरत पिकनिक स्पॉट पर दिनभर जमावड़ा लगा रहा। मुक्खा फॉल, मारकुंडी फाल, धंधरौल बंधा, विजयगढ़ किला, ओम पहाड़ी, फासिल्स पार्क, महुवरिया रेंज, पंचमुखी पहाड़ी और इको पॉइंट पर दिन भर लोगों का तांता लगा रहा। लोग गुज़रे हुए साल के दुखों को भुला कर नए साल की खुशियों में डूब जाने को बेताब नज़र आ रहे थे। सपरिवार लोग ख़ुशियों से सराबोर होकर पिकनिक स्पॉट पर ही वेज एवं नानवेज बनाकर आनंदातिरेक की गंगोत्री में दिन भर डूबते उतरते नज़र आये। नये साल का आगाज़ ठंड बढ़ने और कोहरे की धुंध के साथ साथ हुआ।
शाम ढलते ही लोग एक नई उम्मीद एवं एक नये संकल्प के साथ पुनः रिचार्ज होकर जीवन के भाग दौड़ में मशरूफ़ हो गए। उम्मीद करता हूँ कि थकान भरी नीरस रूटीन को पीछे छोड़कर समाज तरक़्क़ी की राह पर सरपट दौड़ेगा। अंत में एक शेर बस बात ख़त्म, चला था अकेले ही जानिब ए मंज़िल। लोग आते गये और कारवां बनता गया।